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बलिया का रेवती कांडः आला अफसरों को नहीं पता गिरफ्तारी और हिरासत का अंतर

बलिया गोली कांड में गिरफ्तारी को लेकर पुलिस वालों के विरोधाभासी बयान, डीएम ने हिरासत में लिए गए लोगों को बता दिया गिरफ्तार, रात में ही अंत्येष्टि का था प्लान, घर में जमींदोज करने की भी तैयारी, भाजपा विधायक की धमा चौकड़ी से पार्टी असहज

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Published on: 16 Oct 2020 10:22 AM GMT
बलिया का रेवती कांडः आला अफसरों को नहीं पता गिरफ्तारी और हिरासत का अंतर
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Ballia's Revathi case: top officials do not know the difference between arrest and custody

अनूप कुमार हेमकर

बलिया । योगी सरकार में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को गिरफ्तारी व हिरासत का अंतर ही मालूम नहीं है । इसके अलावा बलिया के दुर्जनपुर कांड में हाथरस कांड की पुनरावृत्ति होते होते बच गई। प्रदेश शासन के उच्च पदस्थ अधिकारियों ने हाथरस कांड की तर्ज पर तड़के ही मृतक के अंतिम संस्कार के लिये जमकर दबाव बनाया, लेकिन हाथरस कांड में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई को देख चुके स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने तड़के अंतिम संस्कार करने से हाथ खड़ा कर लिया।

अजब नौकरशाही

योगी सरकार में नौकरशाही की भी अजीब स्थिति है । रेवती थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर ग्राम में कल सरकारी सस्ते गल्ले के राशन की दुकान के आवंटन के दौरान हुए बवाल में एक व्यक्ति की हत्या के मामले में जिला प्रशासन के आला अधिकारी के बयान से यही स्पष्ट हो रहा है कि योगी सरकार में जिला प्रशासन के आला अधिकारियों को गिरफ्तारी व हिरासत का अंतर ही मालूम नहीं है।

पुलिस वाले भी असमंजस में

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त कदम के बाद आज अपर पुलिस महानिदेशक ब्रज भूषण घटना स्थल पर पहुँचे। उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर जानकारी दी कि रेवती कांड के मामले में पुलिस के हत्थे अभी तक सिर्फ मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह का भाई नरेंद्र प्रताप ही आ सका है। पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ आज सुबह से ही सिर्फ यह बयान दे रहे हैं कि इस कांड में कोई आरोपी गिरफ्तार नही हुआ है। पुलिस ने कुछ लोगों को हिरासत में लिया है। अपर पुलिस अधीक्षक संजय यादव ने 5 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की पुष्टि की।

डीएम ने पूरी कर दी सारी कसर

दूसरी तरफ जिलाधिकारी हरि प्रताप शाही ने आज सुबह से ही मीडिया को जानकारी दी कि इस मामले में 5 आरोपी गिरफ्तार हो गए हैं । नरेन्द्र प्रताप की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने बयान दिया कि 6 आरोपी गिरफ्तार कर लिये गये हैं। पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों के बयान में विरोधाभास के कारण मीडिया से जुड़े लोगों को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।

यहां भी थी अंतिम संस्कार की तैयारी

रेवती कांड में मृतक के अंतिम संस्कार के मामले ने प्रदेश शासन के आला अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिया है। सूत्रों के अनुसार रेवती कांड के सरगर्म होने व इसको लेकर राजनैतिक प्रतिक्रिया के बाद प्रदेश शासन के अधिकारियों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों को मृतक का रात्रि समय अथवा तड़के ही अंतिम संस्कार करने का जमकर दबाव बनाया। इसको लेकर पुलिस अधिकारियों के होश फाख्ता हो गए।

हाथरस कांड में पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज से सहमे पुलिस अधिकारियों ने रात्रि समय व तड़के अंतिम संस्कार कराने से मना कर दिया । पुलिस अधिकारी अपने एक वरिष्ठ अधिकारी के एक निर्देश को लेकर भी असहज हो गए।

मकान जमींदोज कराने भी पहुंच गए

कल रात्रि पुलिस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे । मुख्यमंत्री के सख्त तेवर को देखते हुए इस वरिष्ठ अधिकारी ने रात्रि समय ही कांड के मुख्य आरोपी धीरेंद्र प्रताप सिंह डब्ल्यू का मकान जे सी बी से जमींदोज कराने का फरमान जारी कर दिया।

इसकी भनक बैरिया क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह को लग गई। भाजपा विधायक सिंह ने इस कार्रवाई पर सख्त एतराज जताया तथा जमींदोज कार्य में शामिल सरकारी कर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दे दी। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने यू टर्न ले लिया तथा मुख्य आरोपी के मकान को ध्वस्त कराने के निर्णय को टाल दिया।

विधायक के रुख से भाजपा की फजीहत

रेवती कांड में भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह के कारण भाजपा बैक फुट पर आ गई है। भाजपा के जिलाध्यक्ष जय प्रकाश साहू ने रेवती कांड के मुख्य आरोपी के भाजपा कार्यकर्ता होने की खबर समाचार चैनलों पर चलने के बाद बयान दिया कि धीरेंद्र प्रताप भाजपा में किसी पद पर नहीं हैं।

उधर भाजपा विधायक सिंह ने कल ही जानकारी दे दी कि आरोपी दल के पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ का जिलाध्यक्ष है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इसको लेकर भाजपा विधायक को जब आड़े हाथों लिया जाने लगा तो भाजपा विधायक ने धीरेंद्र को भाजपा का समर्थक बता दिया। इसके बाद वह आज खुलकर सामने आ गए।

उन्होंने आज बोल दिया कि धीरेंद्र ने आत्म रक्षा में गोली मारी है अन्यथा उनके परिवार व सहयोगी दर्जन भर लोग मार दिये गए होते। भाजपा विधायक के इस रुख के कारण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इस मसले पर भाजपा का पक्ष रखने वाले नेताओं को काफी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।

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