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Balrampur News: देवीपाटन मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब, दिनभर चला दर्शन-पूजन का सिलसिला
Balrampur News: सावन मास के दूसरे सोमवार को सोमवती (सोमवारी) अमावस्या के सुखद सर्वार्थ सिद्धि विशेष योग पर जनपद बलरामपुर के देवीपाटन मंदिर में मां पाटेश्वरी मंदिर के दर्शन-पूजन के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
Balrampur News: भगवान भोलेनाथ को अति प्रिय लगने वाले सावन मास के दूसरे सोमवार को सोमवती (सोमवारी) अमावस्या के सुखद सर्वार्थ सिद्धि विशेष योग पर जनपद बलरामपुर के देवीपाटन मंदिर में मां पाटेश्वरी मंदिर के दर्शन-पूजन के लिए पूरे दिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने नारियल, मिष्ठान, फल-फूल, माला, चुनरी समेत आदि पूजा सामग्री मां को अर्पित की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मां से सुखी-स्वस्थ परिवार की कामना की।
परिसर में लगी है महंत अवैद्यनाथ की प्रतिमा
देवीपाटन मंदिर (Devipatan Temple) परिसर में महंत अवैद्यनाथ समेत अनेक संतों की प्रतिमा भी स्थापित है। श्रद्धालुओं ने वहां भी पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धा जताई। इस दौरान मंदिर के सभी 22 महंत अपनी-अपनी जिम्मेदारी के प्रति सजग रहे। स्त्री-पुरुष श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर स्थित देवाधिदेव महादेव मंदिर में भी जलाभिषेक किया और परिवार तथा लोकमंगल की कामना की। सावन मास के दूसरे सोमवार व सोमवती अमावस्या होने वजह से मंदिर परिसर में पैर रखने तक की जगह नहीं बची थी।
मंदिर में रुद्राभिषेक का अनुष्ठान
पुराणों में सोमवती अमावस्या का सावन में विशेष महत्व माना जाता है। श्रद्धालुओं ने भोलेनाथ को बेल पत्र, कमल पुष्प आदि अर्पित करने के बाद दूध एवं फल के रस से रुद्राभिषेक किया। मंदिर के पुरोहित बाबा आनंतनाथ समेत अन्य आचार्य एवं पुरोहितों ने शुक्ल यजुर्वेद संहिता के रुद्राष्टाध्यायी के महामंत्रों द्वारा रुद्राभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण कराया। रुद्राभिषेक के बाद उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन व आरती की। विधि विधान से पूर्ण हुए अनुष्ठान के उपरांत श्रद्धालुओं ने अपने और अपने परिजनों व शुभचिंतकों के आरोग्यमय, सुखमय, समृद्धमय व शांतिमय जीवन की मां पाटेश्वरी से मंगलकामना की।
51 शक्तिपीठों में शामिल है मां पाटेश्वरी देवी का मंदिर
प्रमुख पुजारी मिथिलेश नाथ योगी जी बताते है कि 51 शक्तिपीठों में देवी पाटेश्वरी 26वीं शक्तिपीठ देवीपाटन का अपना एक अलग ही स्थान है। अपनी मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के आधार पर इस शक्तिपीठ का सीधा संबंध देवी सती, भगवान शंकर, गोरक्षनाथ के पीठाधीश्वर गुरु गोरक्षनाथ महाराज सहित दानवीर कर्ण से भी है। यह शक्तिपीठ सभी धर्म, जातियों के आस्था का केंद्र है। यहां देश-विदेश से तमाम श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन को आते हैं।
‘मां के दरबार से कोई नहीं लौटता खाली हाथ’
ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में मांगी गई हर मुराद पूर्ण होती है। कोई भी भक्त यहां से निराश होकर नहीं लौटता है। पुरोहित बताते हैं कि देवी भगवत, स्कन्द और कलिका आदि पुराणों तथा शिव पुराण में वर्णित शक्ति पीठों में से 26 वीं श्री मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ अथवा देवीपाटन मंदिर अत्यंत प्राचीन और प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। यह उन 51 शक्तिपीठों में से एक है जो शिव और सती के प्रेम का प्रतीक है।
पाटन देवी में मां का बायां स्कन्ध गिरा था। कुछ लोग यह मानते हैं कि इस स्थान पर जगदम्बा सती का पाटन वस्त्र गिरा था, जिसकी पुष्टि एक प्राचीन श्लोक से भी होती है। इस मान्यता के कारण ही इस पूरे मंडल का नाम देवीपाटन पड़ा हुआ है। मंदिर से कई पौराणिक कहानियां तो जुड़ी ही हैं। साथ ही यहां की मान्यता को हर साल मां के दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ से समझा जा सकता है।