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Balrampur News: तराई में भीषण गर्मी जारी, पारा पहुंचा 43 डिग्री, बलरामपुर प्रशासन किया ये बड़ा काम

Balrampur News: बलरामपुर प्रशासन द्वारा चुनावी व्यस्तताओं के बीच बेजुबान जानवरों और पशु पक्षियों को पीने का पानी मुहैया कराया है तथा आग की विभीषिका से भी बचाव के लिए और बाढ़ बचाव में बेहद कारगर साबित होगा।

Radheshyam Mishra
Published on: 28 May 2024 5:05 PM GMT
Severe heat continues in Terai, mercury reached 43 degrees, Balrampur administration filled 934 ponds to the brim with water
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तराई में भीषण गर्मी जारी, पारा पहुंचा 43 डिग्री, बलरामपुर प्रशासन 934 तालाबों को पानी से लबालब भरा: Photo- Newstrack

Balrampur News : तराई में भीषण गर्मी, तेज धूप और उमस से हर कोई बेहाल है। तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के पार हो गया है, जिससे जनजीवन प्रभावित है। मौसम विभाग के मुताबिक, अगले एक सप्ताह तक गर्मी से राहत नहीं मिलेगी। दिन के साथ ही रात के तापमान में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। मंगलवार को अधिकतम तापमान 43 डिग्री व न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

पशु-पक्षियों को है छांव की तलाश

मंगलवार को प्रचंड गर्मी में हवा के गर्म थपेड़ों से हर कोई परेशान है। मंगलवार को सुबह 11 बजे से ही धूप तीखी हो गई। दोपहर एक बजे तक सूरज पूरी तरह से प्रचंड रूप में आ गया। गर्मी को देखते हुए लोग ऑफिस या घर की छांव में ही दुबके रहे। पशु-पक्षियों ने भी छांव की तलाश की। गर्मी का ताप इतना था कि दोपहर 12 बजे के बाद वही लोग सड़कों पर दिख रहे थे, जिन्हें बाहर जाना बहुत जरूरी था। दो बजे तक सड़कें सुनसान हो गईं। प्रचंड गर्मी के कारण घरों के पंखे भी जवाब दे रहे हैं। दोपहिया वाहन सवारों को ज्यादा परेशानी हो रही है।

प्रशासन ने जिले में 934 तालाबों को पानी से लबालब भरा

लू से बचने के लिए लोग मुंह ढंककर दोपहिया वाहन चलाने को मजबूर हैं। उधर, बलरामपुर में भीषण गर्मी में पानी की उपलब्धता को लेकर जिला प्रशासन ने 373 गूल बनाए गए हैं, जिससे लोगों के साथ बेजुबान जानवरों, पक्षियों को पानी मिल रहा है। प्रशासन ने जिले में 934 तालाबों को पानी से लबालब भरा गया है। बता दें कि बलरामपुर प्रशासन द्वारा चुनावी व्यस्तताओं के बीच बेजुबान जानवरों और पशु पक्षियों को पीने का पानी मुहैया कराया है तथा आग की विभीषिका से भी बचाव के लिए और बाढ़ बचाव में बेहद कारगर साबित होगा।


जिलाधिकारी अरविन्द सिंह ने बताया कि चुनावी व्यस्तताओं के बीच बेजुबान जानवरों एवं पक्षियों को भीषण गर्मी से बचाने एवं पीने का पानी मुहैया कराने के लिए शुरू की गई अनूठी मुहिम परवान चढ़ रही है। उन्होंने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सीडीओ, डीपीआरओ, डीसी मनरेगा, राजस्व एवं खंड विकास अधिकारियों के साथ बैठक कर अभियान की समीक्षा की तथा निर्देश दिये कि लोकसभा चुनाव की मतगणना के बाद सभी सम्बन्धित विभाग युद्धस्तर पर कार्य कराना शुरू कर दिया जाए।

बताया गया है कि गूल बनाकर तालाबों को भरने की समीक्षा में डीसी मनरेगा ने जनपद में अब तक 373 गूले खुदवाये हैं तथा 639 तालाबों को पानी से लबालब भरवा है, वहीं नलकूप विभाग द्वारा अब तक 120 तालाबों को भरवाने का काम किया गया हैं। इस प्रकार अब तक 934 तालाबों को पानी से भरवाने का काम पूरा हो चुका है। डीएम ने बताया कि लोकसभा निर्वाचन की आदर्श आचार संहिता के कारण नई आईडी बनाने में कठिनाई हुई है, इसलिए काम धीमी गति से हो रहा है। मतगणना का कार्य पूरा होते ही मनरेगा योजनान्तर्गत आईडी बनाकर युद्धस्तर पर काम शुरू करा दिया जाएगा।

साथ ही संचालित नहरों का पानी व्यर्थ न जाये इसके लिए हर्रैया, तुलसीपुर, पचपेड़वा क्षेत्र की नहरों के पानी से तालाबों को भरवाया जा रहा है। इसके अलावा उतरौला क्षेत्र के लिए भी नहर संचालित हो गई है जिससे तालाबों को भरवाने का काम शुरू कर दिया गया है तथा मनरेगा योजना के माध्यम से गूले खुदवाने का काम तेजी से चल रहा है।

नहरों के पानी का होगा सदुपयोग, पशु-पक्षियों को मिलेगा पानी

जिलाधिकारी ने बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि चूंकि वर्तमान में ज्यादातर खेत खाली हैं और फसलों की सिंचाई का कार्य नहीं हो रहा जिससे संचालित नहरों का पानी व्यर्थ चला जा रहा है। इसलिए नहरों के पानी का सदुपयोग करते हुए गूलों को भरा जाए जिससे भूगर्भ जलस्तर में वृद्धि के साथ ही पशु-पक्षियों को पीने का पानी एवं अग्नि काण्ड से बचाव में मदद मिलेगी।

जिलाधिकारी श्री सिंह ने बताया कि भयंकर गर्मी में गूल बनने से जलस्तर ऊपर होगा, पशु पक्षियों को पीने का पानी मुहैया होगा तथा आग की विभीषिका से भी बचाव के साथ ही बाढ़ बचाव में बेहद कारगर साबित होगा। इसके अलावा बाढ़ के दौरान नहरों के माध्यम से बाढ़ के पानी को गूलों के माध्यम से सिंचाई के काम में प्रयोग किया जाएगा साथ ही तालाबों को भी भरा जाएगा। जिससे बाढ़ का पानी आबादी क्षेत्र को कम से कम प्रभावित करेगा तथा फसल क्षति नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।

Shashi kant gautam

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