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Balrampur News: बौद्ध तपोस्थली की ओर बढ़ रही मोरारी बापू की ज्योतिर्लिंग रामकथा, श्रीराम धूनि से शुरू हुई है ये खास यात्रा
Balrampur News: मोरारी बापू ने कथा के दौरान युवाओं की मनोवृत्ति पर फोकस किया। कहा कि युवाओं को भोग रस की छूट है। खूब आनंदित रहें, खुलकर जिएं लेकिन, याद रखें कि मोरारी कभी उन्होंने मोरारी बापू से कथा सुनी थी।
Balrampur News: बौद्ध तपोस्थली में संत सिरोमणि मुरारी बापू ने श्री राम कथा का शनिवार शाम से शुभारंभ किया। अनादिकाल से अपनी सनातन जड़ें डालकर अवधूत की तरह बैठा है। अक्षय यानी अखंड-अनंत। जो न कभी टूट सकता है और न ही कभी खत्म हो सकता है। इसका गर्व प्रत्येक भारतवासी को होना चाहिए। इसका गुणगान सभी को करना चाहिए। यह मेरे लिए निजी रूप से परम प्रसन्नता का अवसर है कि अपनी और श्रीराम कथा भगवान बौद्ध का अक्षयवट भी सुन रहा है।
इस आयोजन का पहला श्रोता अक्षयवट ही है। श्रीरामचरितमानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने बौद्ध तपोस्थली में श्री राम कथा की शुरुआत कुछ इन्हीं भावपूर्ण शब्दों से की। श्रीराम कथा आयोजन समिति के प्रमुख कृष्ण कुमार जालान व ओम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि श्रीराम कथा के लिए बहुत अथक प्रयास के बाद आज यह दिन देखने को मिल रहा है जिसका वह शब्दों से ब्यान नहीं कर सकते हैं
देश विदेश से आए हजारों श्रोताओं को विशाल पंडाल में श्री राम कथा का रसपान कराते हुए मोरारी बापू ने सबसे पहले 'रामकथा-मानस अक्षयवटÓ को आयोजन का विषय निर्धारित किया। तो वहीं 'पूजहिं माधव पद जलजाता, परसि अखय वटु हरषहिं गाता-संगमु सिंहासनु सुठि सोहा, छत्रु अखय वटु मुनि मन मोहाÓ चौपाई से कथा का शुभारंभ किया। बापू ने बताया कि प्रत्येक वट में किसी न किसी देवता का वास रहता है।
वटवृक्ष में शिव का सदैव वास होता है। कहा कि मानस के सभी सोपान में वट के दर्शन होते हैं। धर्म की चर्चा करते हुए बापू ने कहा कि अपने धर्म में सभी को सदैव निष्ठा और अटल विश्वास होना चाहिए। इसी को अक्षयवट कहते हैं। मोरारी बापू ने कथा के दौरान युवाओं की मनोवृत्ति पर फोकस किया। कहा कि युवाओं को भोग रस की छूट है। खूब आनंदित रहें, खुलकर जिएं लेकिन, याद रखें कि मोरारी कभी उन्होंने मोरारी बापू से कथा सुनी थी।