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हुनर की 'रोशनी' से चकाचौंध हुआ बनारस, 101 देशों में हो रही है तारीफ
रोशनी की इस कला को वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया ने भी अपने यहां दर्ज किया है। रोशनी को रंगों से चित्र बनाने से ज्यादा भारत के लोक कला रंगोली बनाने में अधिक रुचि है। पहले भी बनारस और अन्य शहरों में पांच सौ से ज्यादे रंगोली बना चुकी हैं।
वाराणसी: कोरोना काल ने दुनिया को अलग सीख दी। कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने कोराना आपदा को अवसर में बदल दिया। काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के पोस्ट ग्रेजुएशन की छात्रा रोशनी यादव भी उन्हीं में से एक हैं। रोशनी ने अपने हुनर की बदौलत लॉकडाउन में रिकॉर्ड कायम कर दिया। ये रिकॉर्ड कला के क्षेत्र में बनाया।
1 महीने में बनाया 101 देशों की रंगोली
रोशनी के हाथों के जादू से अभी तक सिर्फ उनका परिवार और साथी ही परिचित थे। लेकिन लॉकडाउन में उन्होंने कुछ ऐसा किया कि पूरे वाराणसी में रोशनी की वाह-वाह हो रही है। रोशनी ने दुनिया के एक सौ एक देशों के झंड़ों की रंगोली बनाई है। साथ ही रंगोली में उस देश में बोली जानी भाषा में शांति शब्द को भी उकेरा है।
यहां दर्ज हुआ रिकॉर्ड
रोशनी की इस कला को वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया ने भी अपने यहां दर्ज किया है। रोशनी को रंगों से चित्र बनाने से ज्यादा भारत के लोक कला रंगोली बनाने में अधिक रुचि है। पहले भी बनारस और अन्य शहरों में पांच सौ से ज्यादे रंगोली बना चुकी हैं। बताया कि पच्चीस अप्रैल से अपनी घर की छत पर झंडों की रंगोली बनाना शुरू किया। इस दौरान रौशनी ने हर रोज तीन से चार रंगोली बनाई। इस तरह पच्चीस मई तक उसने एक सौ एक झंडो़ं की रंगोली बनाने में कामयाबी पाई।
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घर की छत पर बनाई रंगोली
उन्होंने बताया कि चार बार गिनीज रिकार्ड में अपना दर्ज करवा चुके डॉ. जगदीश पिल्लई के आग्रह पर 101 देशों के झंडों के साथ उसी देश में बोले जाने वाली भाषा में शान्ति शब्द लिखकर रंगोली बनाने का कार्य शुरू किया, जो 25 मई को पूरा हुआ। शुरू में कुछ दिक्कत हुई पर अंत में पूरा हुआ। रोशनी ने बताया कि उन्होंने अपने घर के छत पर ही झंडों का रंगोली बनना शुरू किया। प्रतिदिन तीन से चार रंगोलियां बनाती थी। 25 मई तक उन्होंने 101 झंडों के रंगोली बना लिया।