कैंसर के इलाज के लिए अब बनारस बनेगा दूसरा सबसे बड़ा हब

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 सितंबर को प्रस्तावित वाराणसी दौरे से पहले ही अब बनारस को कैंसर हब के रूप में विकसित करने की कवायद रेलवे ने शुरू कर दी है। इसकी कमान नए रेल मंत्री पीयूष गोयल के हाथों में है।

priyankajoshi
Published on: 17 Sep 2017 6:28 AM GMT
कैंसर के इलाज के लिए अब बनारस बनेगा दूसरा सबसे बड़ा हब
X

वाराणसी: उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी से सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 22 सितंबर को प्रस्तावित वाराणसी दौरे से पहले ही अब बनारस को कैंसर हब के रूप में विकसित करने की कवायद रेलवे ने शुरू कर दी है। इसकी कमान नए रेल मंत्री पीयूष गोयल के हाथों में है।

डीजल रेल इंजन कारखाना (डीएलडब्ल्यू) से जुड़े सूत्रों की मानें तो मुंबई के बाद बनारस अब कैंसर के बेहतर इलाज का दूसरा सबसे बड़ा हब बनने जा रहा है। इससे पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों के कैंसर पीड़ित मरीजों को इलाज में मदद मिलेगी।

ये भी पढ़ें... कैंसर के इस स्टेज पर हैं टॉम अल्टर, पद्मश्री से हो चुके है सम्मानित

कैंसर का दूसरा हब

डीएलडब्ल्यू से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर आईएएनएस को बताया कि टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) यहां एक नहीं, दो कैंसर अस्पताल संचालित करेगा। इसके बाद पूर्वोत्तर भारत में पंडित महामना मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर के बाद कैंसर का यह दूसरा अस्पताल होगा।

बकौल रेलवे अधिकारी, 'रेलवे कैंसर संस्थान को भी टाटा मेमोरियल को सौंपने का खाका लगभग तैयार हो चुका है। पीएम मोदी के 22 सितंबर के प्रस्तावित दौरे के दौरान ही इसे लेकर एक एमओयू साइन होने की संभावना है। इसकी तैयारी के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल 17 सितंबर को बनारस पहुंच रहे हैं।'

ये भी पढ़ें... नर्क भोग रहा PM का संसदीय क्षेत्र बनारस, ऐसी है सड़कों की हालत..

पीएम ने दी थी सौगात

दरअसल, पीएम ने बीते वर्ष 20 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र में 500 करोड़ रुपए की लागत से बनारस को महामना कैंसर अस्पताल की सौगात दी थी। इसका संचालन पूरी तरह से टीएमसी को सौंपा गया है। बीएचयू में बन रहा कैंसर अस्पताल टाटा कैंसर संस्थान से भी बेहतर बनने का दावा अधिकारियों की ओर से किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि बनारस में लहरतारा इलाके में रेलवे कैंसर संस्थान की सौगात वर्ष 1980 में कांग्रेस के कद्दावर नेता और तत्कालीन रेल मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी ने दी थी। हावड़ा के बाद देश का यह रेलवे का दूसरा कैंसर संस्थान था। हालांकि इसकी खराब हालत के चलते ही इसे टाटा मेमोरियल को सौंपने का फैसला किया गया है।

स्टाफ का होगा समायोजन

डीएलडब्ल्यू के सूत्रों के मुताबिक, रेलवे बोर्ड की ओर से 14 सितंबर को एक आदेश जारी हुआ है। इस आदेश में रेलवे कैंसर संस्थान के 130 डॉक्टरों, अधिकारियों और कर्मचारियों को समायोजित करने की बात कही गई है। समायोजन के लिए सभी के सामने चार ऑप्शन रखे गए हैं। टीएमसी भी अपने स्तर पर चुनिंदा कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति करेगा। बचे हुए स्टाफ को रेलवे की ओर से समायोजित किया जाएगा।

कैंसर पीड़ितों का होगा डेटा तैयार

अधिकारियों की मानें तो टीएमसी ने बनारस में कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले कम्युनिटी बेस कैंसर रजिस्ट्री की योजना तैयार की है। इसके तहत बीएचयू में एक डाटा बेस कलेक्शन सेंटर खोलने पर विचार किया जा रहा है। इसके तहत टीएमसी की टीमें पूर्वाचल के हर जिले में घर-घर जाकर कैंसर के पुराने मरीजों और संभावित मरीजों का एक आंकड़ा तैयार करेंगी।

priyankajoshi

priyankajoshi

इन्होंने पत्रकारीय जीवन की शुरुआत नई दिल्ली में एनडीटीवी से की। इसके अलावा हिंदुस्तान लखनऊ में भी इटर्नशिप किया। वर्तमान में वेब पोर्टल न्यूज़ ट्रैक में दो साल से उप संपादक के पद पर कार्यरत है।

Next Story