Banarasi Langra Aam: बनारस के मशहूर 'लंगड़ा आम' का दीवाना हुआ 'लंदन'

Banarasi Langra Aam: लगातार चार दिनों तक बारिश से आम की फसल में अच्छी होने की संभावना बढ़ गई।

Ashutosh Singh
Reporter Ashutosh SinghPublished By Chitra Singh
Published on: 24 May 2021 12:31 PM GMT
Banarasi langra aam
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लंगड़ा आम-लंदन (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Banarasi Langra Aam, वाराणसी: आम के शौक़ीन लंगड़ा आम से बखूबी वाकिफ है। ताउते के कारण डर था कि खास बनारसी किस्मों के लंगड़ा आम को नुकसान न हो, लेकिन खबर पॉज़िटिव है। बनारस के साथ ही विदेशी भी जल्द वो स्वाद चखेंगे, जिसके लिए साल भर इंतज़ार करते हैं।

गर्मी का मौसम, चक्रवाती तूफान ताउते और आम की पैदावार। इन तीनों का समय चूंकि एक ही है इसलिए साफ तौर पर तीनों के बीच कनेक्शन भी है। गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा और दमन-दीव में ज़्यादा तबाही मचाने वाला ताउते तूफान अब चूंकि तकरीबन खत्म हो चुका है, इसलिए कृषि जानकार मान रहे हैं कि बनारस में आम की पैदावार पर खास असर नहीं पड़ेगा। आशंका थी कि मई-जून महीने के दौरान आम का उत्पादन तूफान की वजह से होने वाली भारी बारिश की भेंट न चढ़ जाए, लेकिन अच्छी खबर है कि जल्द ही बनारस के लंगड़ा आम का ज़ायका मिलेगा और विदेश तक पहुंचेगा।

जल्द भेजा जायेगा लन्दन

लगातार चार दिनों तक बारिश से आम की फसल में अच्छी होने की संभावना बढ़ गई। इसके आकार और रंग में बदलाव होगा है। ऐसे में बनारसी लंगड़ा और दशहरी निर्यात के लिए तैयार हो जाएंगे। इसको देखते हुए एपीडा ने पांच किसान और एक एफपीओ का बाबतपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कस्टम काउंटर पर पंजीकरण भी करा दिया है। एपीडा के सहायक महाप्रबंधक डॉ.सीबी सिंह ने बताया कि अगले सप्ताह से निर्यात की तैयारी शुरू कर दी गई है। यूरोप और खाड़ी देशों से बातचीत चल रही है अभी यूरोप में लंदन से आर्डर मिला है। कोविड प्रोटोकॉल को देखते हुए कार्गो फ्लाइट से निर्यात की कोशिश होगी। पहली खेप में दो से तीन टन आम भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ देशों के साथ फ्लाइट को लेकर संशय है। जैसे ही यह समस्या दूर होगी निर्यात शुरू हो जाएगी। उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि जिले में करीब नौ सौ हेक्टेयर आम की बागवानी है। उम्मीद है कि 10 हजार मीट्रिक टन आम का उत्पादन होगा।

बनारसी लंगड़ा आम (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

बारिश से पहले ही तैयार हो जाएंगे आम

निर्यातक किसान एफपीओ के निदेशक शार्दूल विक्रम का कहना है कि बारिश से जो आम अगले 15 जून तक मेच्योर होने वाले थे, वह अब एक सप्ताह में तैयार हो जाएंगे। ऐसे में इनके निर्यात में कोई दिक्कत नहीं है।

पिछले साल 28 मई को पहली बार तीन मीट्रिक टन लंगड़ा और दशहरी आम दुबई भेजा गया था। इसके बाद 14 जून को डेढ़ मीट्रिक टन लंदन भेजा गया था। इसमें लंगड़ा, रामखेड़ा, दशहरी किस्म भी थी। किसानों ने 45 रुपये किलो की दर से ये आम भेजे थे।

दर्जनभर है आम की प्रजातियां

बनारस का लंगड़ा और चौसा काफी मशहूर है। इसके अलावा भी आम की कई प्रजातियां यहां लगी हैं । इसमें रामखेड़ा, दशहरी, आम्रपाली, मल्लिका, बंबईया, चूसुआ देसी आदि है। चिरईगांव, आराजीलाइन, काशी विद्यापीठ, बड़ागांव, सेवापुरी, चोलापुर आदि ब्लॉको में आम की बागवानी है। सबसे ज्यादा चिरईगांव और चोलापुर में आम की बागवानी है।

Chitra Singh

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