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Banda News: बालिका जन्मदर ने हाशिए में गए बुंदेली नवेली कार्यक्रम की बढ़ाई प्रासंगिकता

Banda News: बुंदेली नवेली कार्यक्रम भले ही हाशिए में प्रतीत होता हो, लेकिन उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। अखिल भारतीय स्तर पर बालकों के सापेक्ष बालिकाओं की जन्मदर में सुधार हुआ है।

Om Tiwari
Report Om Tiwari
Published on: 30 Jan 2023 6:15 PM IST
The girl child birth rate increased the relevance of marginalized Bundeli Naveli program
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बांदा: बालिका जन्मदर ने हाशिए में गए बुंदेली नवेली कार्यक्रम की बढ़ाई प्रासंगिकता

Banda News: बुंदेली नवेली कार्यक्रम भले ही हाशिए में प्रतीत होता हो, लेकिन उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अखिल भारतीय स्तर पर बालकों के सापेक्ष बालिकाओं की जन्मदर में सुधार हुआ है। लेकिन देश के बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके के चित्रकूटधाम अंचल में काफी समय तक धूम मचाने वाले बांदा के बुंदेली नवेली कार्यक्रम से भी जोड़कर देखा जाता है।

IAS अनुराग पटेल ने मचाई थी बुंदेली नवेली की धूम

बांदा में अनुराग पटेल की जगह दीपा रंजन को जिलाधिकारी बनाया गया है। अनुराग को सचिवालय भेज कर दीपा को बदायूं से हटाकर बांदा की कमान सौंपी गई है। अनुराग ने बांदा में बुंदेली नवेली कार्यक्रम शुरू कर एक तरह से -बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ- अभियान आगे बढ़ाया था।

IAS दीपा रंजन भी बेहद संजीदा नेकदिल इंसान

नवजात बच्चियों का सार्वजनिक जन्मदिन मनाकर अभिभावकों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का सिलसिला उन्होंने जारी रखा। समाज के विभिन्न वर्गों की सहभागिता सुनिश्चित कर तत्कालीन जिलाधिकारी पटेल ने कार्यक्रम को लगातार प्रासंगिक बनाए रखने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

अनुराग की उत्तराधिकारी IAS दीपा रंजन भी बेहद संजीदा

मौजूदा जिलाधिकारी श्रीमती रंजन को नेक दिल इंसान माना जाता है। इसकी बानगी भी बांदा पधारने के बाद खुद ही पेश की। उन्होंने कहा- जिले में जो भी सकारात्मक और रचनात्मक क्रियाकलाप चल रहे थे उन्हें जस का तस आगे बढ़ाया जाएगा। ऐसा हुआ भी। बावजूद इसके जाने अनजाने बुंदेली नवेली कार्यक्रम हाशिए पर चला गया। लेकिन बालिका दिवस पर बालिकाओं की जन्मदर के सुधरे हुए कड़े ने अनायास बुंदेली नवेली कार्यक्रम को चर्चा में ला दिया है।

एनएफएचएस-5 सर्वे ने की सुधार की मुनादी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के मुताबिक बालिकाओं की जन्मदर में इजाफे से स्पष्ट है कि लोग जनसंख्या स्थिरीकरण और फैमिली प्लानिंग को लेकर जागरूक हो रहे हैं। कन्या भ्रूणहत्या रोकने के सरकारी प्रयास भी रंग ला रहे हैं। बालक और बालिकाओं के लिंग अनुपात का अंतर घटा है। बालिकाओं के जन्म में बढ़ोत्तरी हुई है।

हमीरपुर में लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ा, बांदा और महोबा में भी सुधार

पिछड़ गया चित्रकूट यूपी वाले बुंदेलखंड के चित्रकूटधाम मंडल अंतर्गत हमीरपुर जिले ने जन्मदर पैमाने पर बालिकाओं ने बालकों पीछे छोड़ दिया है। 2015-16 में 1000 बालकों पर 945 बालिकाएं जन्म ले रही थीं। एनएफएचएस- 5 की रिपोर्ट बताती है कि 2019-21 में बालिका जन्मदर 1003 हो गई है। बांदा में भी इजाफा हुआ है। बालिका जन्मदर 908 से बढ़कर 956 हो गई है। महोबा में 943 का आंकड़ा बढ़कर 972 हो गया है। हालांकि चित्रकूट जिले में गिरावट दर्ज हुई है। 1043 रहा आंकड़ा 950 तक नीचे खिसक गया है। इस पर स्वास्थ्य अधिकारियों को आगाह कर जरूरी निर्देश दिए गए हैं। प्रयासों में तेजी बरतने को कहा गया है।

जागरूकता प्रयासों संग रंग लाए सरकारी प्रयास: सीएमओ

बांदा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एके श्रीवास्तव ने कहते हैं- जागरूकता के प्रयासों को लगातार आगे बढ़ाने के साथ भ्रूणहत्या रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं। सोनोग्राफी सेंटरों पर सख्ती की गई है। अवैध गर्भपात पर प्रशासन भी सख्ती बरत रहा है। स्वास्थ्य विभाग की मुखबिर योजना काफी कारगर साबित हुई है। उन्होंने चेताया- गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।



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Shashi kant gautam

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