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Banda News: ठेकों में वर्चस्व और कमीशन में प्रभुत्व को लेकर नीचा दिखाने में लगे भाजपा के माननीय, शक्ति-परीक्षण के जरिए 'डील' की कोशिश
Banda News: भाजपा में सांगठनिक चुनाव का मौसम है। जल्द ही नया जिलाध्यक्ष तय होना है। लेकिन इससे इतर भाजपा के दो माननीयों में मचा घमासान लोगों की जुबां पर चढ़ा है।
Banda News: भाजपा में सांगठनिक चुनाव का मौसम है। जल्द ही नया जिलाध्यक्ष तय होना है। लेकिन इससे इतर भाजपा के दो माननीयों में मचा घमासान लोगों की जुबां पर चढ़ा है। सोशल मीडिया में धूम धड़ाके से परोसी जा रही बांदा में बदलाव की कथा पर बांदा के चौराहों-चौपालों से लेकर गली-मोहल्लों तक अंतर्कलह की चर्चा भारी है। सरकारी ठेकों में वर्चस्व और कमीशनखोरी के विभिन्न आयामों में प्रभुत्व को लेकर दोनों माननीय एक-दूसरे को नीचा दिखाने में आमादा हैं।
कोई इधर तो कोई उधर गिने जा रहे BJP के मठाधीश और RSS पदाधिकारी
शासन-प्रशासन की देहरी तक शिकवा-शिकायतों के दौर के बीच पर्दे के पीछे शक्ति-परीक्षण का हथकंडा भी इस्तेमाल हो रहा है। एक-दूसरे को अर्दब में लेने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा है। इस जोर आजमाइश में कौन झुकेगा और कौन तनेगा, इसके खुलासे में थोड़ी देर है। लेकिन, माननीयों की तनातनी से BJP मठाधीशों समेत RSS पदाधिकारी भी अछूते नहीं माने जाते। कोई इस ओर तो कोई उस ओर है। शायद सभी बतौर हित साधक दोनों को तौलना चाहते हैं। इस कसौटी पर करिश्माई माननीय का पलड़ा भारी माना जा रहा है। लेकिन मौजूदा माहौल में पिछड़े वर्ग के मापक उपकरणों को भी मामूली नहीं माना जाता। देखना होगा, दोनों माननीयों के निहित स्वार्थों का यह टकराव आखिर क्या मोड़ लेता है।
उठापटक से राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों से बहस अड्डों तक भाजपा की फजीहत
मोड़ जो भी रहे, माननीयों की उठा-पटक ने चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली भाजपा को न केवल राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों बल्कि बहस मुबाहिसों के अड्डों पर फजिहत का केंद्र बना दिया है। लोग हैरत जताते हैं कि भारतीय राजनीति के इस दौर में ईमानदारी की मिसाल बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम जपने वाले जन-प्रतिनिधि उलट आचरण पेश करने में तनिक भी नहीं लजाते। महज अधिकाधिक लाभ अर्जन की मंशा से विभागीय शिकायतों और छल-बल से अगले को घुटने पर लाने की कसरत हो रही है।
बाहें सिकोड़ने वालों में करिश्माई माननीय, दूसरे को प्रथम नागरिक का तमगा
इनमें करिश्माई माननीय वे हैं जिनसे एक बड़े मतदाता समूह ने किसी 'विजन' की उम्मीद बांधी हुई है। फिलहाल, सोशल मीडिया में 'बांदा में बदलाव' के गीत गाए जा रहे हैं। दूसरे वे हैं, जिन्हें जिले के प्रथम नागरिक का तमगा हासिल है। इससे पहले यह तमगा भी अपरोक्ष रूप से करिश्माई माननीय को ही हासिल था। इस तमगे को सालाना तकरीबन 30 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य आदि गतिविधियां संचालन की पावर है। कुछ दिनों पहले तक दोनों माननीयों में रजामंदी थी। सब मिल-बांट कर हो रहा था। लेकिन एकाएक ने दोनों ने एक-दूसरे के विरुद्ध बाहें सिकोड़ ली हैं। शासन-प्रशासन में शिकवा शिकायतें हो रही हैं। संगठन और मातृ संगठन के लोग खेमों में बंटे बताए जा रहे हैं। पर्दे के पीछे शक्ति-परीक्षण का हथकंडा भी अपनाया जा रहा है। अविश्वास प्रस्ताव लाने का भयादोहन हो रहा है।
एक ओर इशारे में नचाने का हठीला दर्प, दूसरी ओर कठपुतली न बनने की छटपटाहट
माननीयों के इस खेला की कहानी में बहुत कुछ समाहित है। एक ओर अधिकाधिक लाभ की मंशा से अगले को अपने इशारे पर नचाने का हठीला दर्प तारी है, तो दूसरी ओर अब और कठपुतली न बनने की छटपटाहट ने जस को तस की भाषा में बोलने को उत्प्रेरित किया है। कैसे और क्या रंग लाई अब तक की उठा-पटक, यह सब अगली रिपोर्ट में।