TRENDING TAGS :
Banda News: दौड़ाए गए दौलत के घोड़े, भाजपाइयों और संघियों की 'छातियों' के बाद रौंद रहे मीडियाई सूरमाओं का 'मस्तक'
Banda News Today: प्रथम नागरिक को बांदा की भाषा में 'झोल' यानी बेकार बताने के लिए न जाने किन-किन विशेषणों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने सोशल मीडिया के 'डंडीबाजों' यानी अपने चैनल-पोर्टल 'लोगो' के जरिए अवैध कमाई खाने वाले तथाकथित पत्रकार सूरमाओं को चंद टुकड़े डालकर अपना पिछलग्गू बना रखा है।
BJP VS RSS Politics in Banda
Banda News in Hindi: दौलत के घोड़े दौड़ते देखना हो, तो उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में थमने का नाम न ले रही भाजपाई माननीयों की जूतमपैजार पर गौर करिए। भाजपा से लेकर मातृ संगठन RSS के जिम्मेदारों की 'छातियां' रौंदने के बाद दौलत के घोड़े सोशल मीडियाई सूरमों का 'मस्तक' रौंद रहे हैं। इस रेस में करिश्माई माननीय के घोड़ों ने प्रथम नागरिक के घोड़ों को मीलों पीछे छोड़ दिया है। सोशल मीडियाई सूरमा माननीय के चरण चूम रहे हैं। एक ही धुन, एक ही राग अलाप रहे हैं। माननीय को ईमानदारी और प्रथम नागरिक को बेईमानी का पुतला साबित करने की कोशिश में अपनी 'बौद्धिक दुर्बलता' की नुमाइश कर रहे हैं। दौलत के इन घोड़ों ने अब प्रिंट मीडिया का भी रुख किया है। जल्द ही असर दिख सकता है। 'लाखों के विज्ञापन, उपहारों और नकदी' की बदौलत अखबारी सूरमाओं की करिश्माई माननीय के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की उत्सुकता छिपाए नहीं छिप रही। व्यक्त होने उधेड़बुन में माननीय की शिकायतों पर 'खोजी पत्रकार' बनने की कवायद हो रही है।
सारी कवायद 'अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे' कहावत चरितार्थ होने से उपजी झेंप मेटने का नतीजा
प्रथम नागरिक को बांदा की भाषा में 'झोल' यानी बेकार बताने के लिए न जाने किन-किन विशेषणों का इस्तेमाल होता है। उन्होंने सोशल मीडिया के 'डंडीबाजों' यानी अपने चैनल-पोर्टल 'लोगो' के जरिए अवैध कमाई खाने वाले तथाकथित पत्रकार सूरमाओं को चंद टुकड़े डालकर अपना पिछलग्गू बना रखा है। ये वो टुकड़खोर हैं, जिनकी कलम और जुबान में 'दम' नहीं कि वे टुकड़ों की कीमत अदा करते। लेकिन, 25 जनवरी को बांदा जिला पंचायत सभागार में जो हुआ, उसने करिश्माई माननीय के किष्किंधा वाले 'बालि' के इस मिथक को धराशाई कर दिया कि करिश्माई माननीय सामना होते ही अगले के आधे 'बल' का हरण कर लेते हैं। प्रथम नागरिक उन्हें उन्हीं के अंदाज में उत्तर क्या दिया, पूरे परिसर में 'अब ऊंट आया पहाड़ के नीचे' वाली कहावत चरितार्थ हो गई।
माथे की सिलवटें कर रहीं मामले का संज्ञान लेकर भाजपा नेतृत्व के सवाल-जवाब करने की चुगली
इस झेंप से उबरने और तथाकथित ईमानदारी की सफेदी पर घोर कमीशनखोरी की 'कालिख' ढकने के लिए करिश्माई माननीय ने अपनी 'दौलती' मिसाइल दागी है। अच्छे-अच्छे चित्त नजर आ रहे हैं। मिसाइल ने 'न्यूजट्रेक' के 'बांदा ठिकाने' को भी लक्ष्य किया। लेकिन पूर्व अंदाजे के तहत ऐक्टिव रक्षा कवच ने करिश्माई मिसाइल को हवा में ही मार गिराया। इससे हताश-निराश माननीय खेमा 'बातों का भन्ना' बरसा रहा है। जिसकी खुद की साख रसातल की ओर हो, उसकी बात पर भला कोई क्यों कान दे! यह माननीय जानें, लेकिन उनके माथे की सिलवटें मामला भाजपा हाईकमान के संज्ञान लेने और सवाल-जवाब भी करने की चुगली कर रही हैं। प्रथम नागरिक की भी कर्री क्लास लगी है। देखना होगा, क्या निष्कर्ष सामने आता है। लेकिन इस बीच, बांदा में भाजपा और संघी कर्णधारों के साथ मीडियाई महारथियों में दौलती घोड़े की सवारी को लेकर मची होड़ ने अलग किंतु रोचक नजारा पेश किया है।