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Banda News. मनमोहन के निधन ने जिंदा कीं विवेक की यादें, बहस मुबाहिसों में बोले लोग, विधायकी का शउर जरूरी

Banda News: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक संवेदनाओं के बीच कांग्रेसियों ने बुंदेलखंड पैकेज के बहाने मनमोहन के बांदा और बुंदेलों से लगाव के महिमा मंडन में सारी ताकत झोंक दी‌।

Om Tiwari
Report Om Tiwari
Published on: 28 Dec 2024 9:01 PM IST
Banda News ( Pic- Newstrack)
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Banda News ( Pic- Newstrack) 

Banda News. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन ने बांदा के पूर्व विधायक दिवंगत विवेक सिंह की यादें जिंदा कर दीं। यादों ने लोगों को विवेक के राजनैतिक कौशल पर विमर्श को विवश किया है। शनिवार को चौराहों से चौपालों तक यही विमर्श तारी रहा। विवेक और उनके पूर्ववर्तियों समेत उत्तराधिकारी की कार्यशैली के विश्लेषण का जो सिलसिला चला, वह रह-रहकर अभी भी जारी है। लब्बोलुआब यही कि, 'विवेक तुम सा नहीं देखा!'

कांग्रेसियों ने बांधा अपना समा, अखबारों ने निकाल दी सारी हवा

दरअसल हुआ यूं कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक संवेदनाओं के बीच कांग्रेसियों ने बुंदेलखंड पैकेज के बहाने मनमोहन के बांदा और बुंदेलों से लगाव के महिमा मंडन में सारी ताकत झोंक दी‌। लेकिन देश के स्वयंभू नंबर एक अखबार और सच के जोश का दम भरने वाले प्रतिद्वंद्वी अखबार ने 2011 में 30 अप्रैल की मनमोहन को गेहूं की बालियां सौंपती विवेक की सचित्र खबरें प्रकाशित कर कांग्रेसियों की हवा निकाल दी। विवेक लोगों के जेहन में ताजा हो गए। चौराहों और चौपालों की बहस मुबाहिसों में विवेक और उनका विधायकी अंदाज, रुआब और दाब सब तरो ताजा हो गया।

फूल, गुलदस्ता, गमछा, टोपी नहीं.. जमीनी बात बढ़ाती है जनप्रतिनिधि की हैसियत

बहस मुबाहिसों में कुछ बातों ने हर किसी का ध्यान खींचा। किसी ने सटीक फरमाया। कहा, अमूमन फूल, गुलदस्ता और गमछा, टोपी से स्वागत करने वालों को विवेक से सीखना चाहिए कि प्रधानमंत्री को जमीनी वास्तविकता से कैसे अवगत कराया जाता है। गेहूं की सूखी बाली से मनमोहन का अभिनंदन इसकी बानगी थी। जबकि, अगले ने इसे विवेक का चिरपरिचित नौटंकी अंदाज करार देने में तनिक भी देर नहीं लगाई। मजे की बात यह कि इसी दौरान उभरा तीसरा स्वर मानो रहस्योदघाटन था!

मनमोहन की महफ़िल लूटने के साथ बेरंग हुई थी नसीमुद्दीन की भी पावर

बलखंडीनाका से महेश्वरी देवी मंदिर के बीच चर्चित चाय की दुकान पर छिड़ी बहस के बीच कहा गया, मनमोहन का विवेक के स्वागत की बात करते हुए ध्यान रहे कि इसी रात उत्तर प्रदेश में शायद अब तक के पावरफुल मंत्री रहे नसीमुद्दीन की ससुराल में निकाह का सारा आकर्षण विवेक ने हर लिया था। इसी के साथ अन्य लोग भी आगे आए और विवेक राजनैतिक कौशल बखान की मानो होड़ लग गई।

वो बोलते थे मिस्टर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और ये बोलते हैं अहो! सरकार

इन्हीं में से किसी ने कहा, जरा देखिए! कितना फर्क आ गया है। विवेक, जब भी डीएम को फोन करते थे तो 'डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट' संबोधित कर निर्देशित करते थे। और आज.. हमारे माननीय डीएम को 'सरकार.. सरकार..' बोलकर न केवल अपनी और मतदाताओं की तौहीन कराते हैं, बल्कि एक कलेक्ट्रेट कर्मी का उस से इस तहसील स्थानांतरण न करा पाने की अपनी लाचारी पर लंतरानियां पेश करते हैं। इन माननीय को तनिक प्रशिक्षण की जरूरत है।



Shalini Rai

Shalini Rai

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