TRENDING TAGS :
Banda News: नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में जल चढ़ाने होड़, देवी पांडाल भी बने आकर्षण का केंद्र
Banda News: बांदा शहर के महेश्वरी देवी मंदिर, सिंहवाहिनी देवी मंदिर, मरही माता मंदिर, काली देवी मंदिर, महामाई माता मंदिर और चौसठ योगिनी देवी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना-जाना जारी रहा।
Banda News: शारदीय नवरात्र के पहले दिन देवी मंदिरों में जल चढ़ाने और पूजन नमन की होड़ रही। श्रद्धालुओं में महिलाएं आगे दिखीं। फूल पत्ती और प्रसाद विक्रेताओं के चेहरे खिले दिखे। बांदा शहर से ग्राम्यांचलों तक प्रमुख देवी मंदिरों कमोवेश यही नजारा नजर आया। लेकिन शाम होते-होते मंदिरों के अलावा जगह-जगह सजे-धजे देवी पांडाल भी गुलजार हो गए। मंदिरों माता का परंपरागत श्रंगार और पांडालों में स्थापित विविध रंग-रूप वाली देवी प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र बनी हैं।
बांदा शहर से ग्राम्यांचलों तक श्रद्धालुओं में जोर मारे रही भक्ति भावना
बांदा शहर के महेश्वरी देवी मंदिर, सिंहवाहिनी देवी मंदिर, मरही माता मंदिर, काली देवी मंदिर, महामाई माता मंदिर और चौंसठ योगिनी आदि देवी मंदिरों में तड़के से ही श्रद्धालुओं की आमदरफ्त जारी रही। जल चढ़ाने में महिलाएं आगे रहीं। उधर, गिरवां इलाके में शक्तिपीठ की मान्यता समेटे खत्री पहाड़ स्थित विंध्यवासिनी मंदिर में इलाकाई श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। बेंदा में अति प्राचीन कालका देवी मंदिर में भी माथा टेकने के लिए श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। ग्राम्यांचल के अन्य देवी मंदिरों में भी नवरात्र पर्व की धूम रही।
दुल्हन से सजे बांदा पर पूर्व विधायक बोले, कमेटियों का रचनात्मकता पर जोर
शाम को देवी मंदिरों के साथ जगह-जगह सजे देवी पांडाल भी लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गए। मंदिरों में मां जगदम्बे का परंपरागत श्रंगार और पांडालों में देवी प्रतिमाओं की बहुरंगी छटा निहारने के लिए लोगों का हुजूम नजर आया। महिला, पुरुष, बच्चे सभी शामिल थे। मंत्रमुग्ध करतीं मिट्टी से बनी देवी प्रतिमाएं गढ़ने वालों को कुछेक लोगों से दाद भी मिली। कलाप्रेमियों ने मूर्तिकारों के हुनर को सराहा। बिजली की सजावट से बांदा शहर को दुल्हन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। देवी प्रतिमाओं की स्थापना से विसर्जन तक पूरे आयोजन की कमान संभालने वाली केंद्रीय दुर्गा महोत्सव समिति के प्रमुख नेतृत्वकर्ता पूर्व विधायक राजकुमार शिवहरे कहते हैं, "शारदीय नवरात्र बांदा का प्रमुख महोत्सव बन गया है। आम और खास की भागीदारी से पांडाल संचालन कमेटियां सजावट के अलावा रचनात्मकता के जरिए भी उत्सव में चार चांद लगाती हैं।"