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Banda News: बुंदेलखंड में बारिश के लिए गधी-गधा स्वयंवर और राई नृत्य अनुष्ठान जैसे आयोजनों की बहार
Banda News: बारिश के लिए अनाप शनाप आयोजनों की यह बयार जल्द ही उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में भी बहती नजर आए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
Banda News: 'एर गेर बरसे, बुंदेलखंड तरसे' बुंदेलों की जुबां पर चढ़ा यह वाक्य अब तक पर्याप्त बारिश न होने की व्यथा बयां करता है। व्यथा मेटने की चाहत पूरे अंचल में महसूस होती है। लेकिन मध्यप्रदेश के हिस्से में बुंदेले अधीर हो चले हैं। इंद्रदेव को रिझाने के लिए टोने टोटके समेत अनाप शनाप आयोजन कर रहे हैं। गधी-गधा स्वयंवर रचाने से लेकर राई नृत्य अनुष्ठान आजमाने तक का सिलसिला चल निकला है। आयोजनों में जनभागीदारी भी देखते बनती है। जागरूक लोग ऐसे आयोजनों को ढोंग बताकर खरी खोटी सुनाने में तनिक भी कंजूसी नहीं बरत रहे। बारिश के लिए अनाप शनाप आयोजनों की यह बयार जल्द ही उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में भी बहती नजर आए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।
सूखे असाढ़ के बाद सावन भी सूना, जेठ को मात दे रही तेज धूप
असाढ़ सूखा रहने के बाद सावन भी फिलहाल सूना है। तेज धूप जेठ माह को भी मात दे रही है। बादल आते हैं। बूंदा बांदी होती है। थोड़ी बहुत फुहारें उमस बढ़ाकर लोगों को बेबस बनाती हैं। कम बारिश का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि बांदा जिले में बीते बरस जून में 212 मिली पानी बरसा था। जबकि इस साल जून और जुलाई में अब तक महज 210 मिली ही बारिश हुई है। धान की फसल खटाई में पड़ गई है। यूपी-एमपी में पसरे बुंदेलखंड के सभी 13 जिलों में बारिश को लेकर कमोवेश बांदा जैसे हालात हैं।
छतरपुर में गधा-गधी स्वयंवर ने ताजा की मेंढ़क-मेंढ़की विवाह की यादें
यह बेचैनी इंद्रदेव को मनाने के लिए लोगों को अनाप शनाप आयोजनों के लिए उकसा रही है। इसकी झलक सबसे पहले छतरपुर में दिखी और कुछ साल पहले बारिश के लिए मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहीं माननीय के मेढ़क-मेढ़की विवाह आयोजन की यादें ताजा हो गईं। इस बार छतरपुर के लोगों ने इंद्रदेव को रिझाने के लिए गधा-गधी स्वयंवर रचाकर खासी चर्चा बटोरी है।
श्रवण गौरव बोले, ऐसे आयोजनों में नेताओं, व्यापारियों, पत्रकारों की भागीदारी दुर्भाग्यपूर्ण
बारिश के लिए गधा-गधी स्वयंवर रचाने वालों को खरी खोटी सुनाने वालों की भी कमी नहीं है। छतरपुर के जुझारू पत्रकार श्रवण गौरव कहते हैं, ऐसे आयोजन मूर्खता की पराकाष्ठा हैं। आज के वैज्ञानिक युग में इस कदर अंधविश्वास को बढ़ावा देने की जमकर मुखालफत होनी चाहिए। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि समाज को दिशा देने की बातें करने वाले भाजपाइयों और कांग्रेसियों समेत व्यापारियों और पत्रकारों भी बड़ा तबका ऐसे आयोजनों की मेजबानी कर स्वयं को धन्य मान रहा है।
टीकमगढ़ के गलान में राई नृत्य अनुष्ठान से झमाझम बारिश की कामना
गधा-गधी स्वयंवर की चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि टीकमगढ़ जिले के गलान गांव में बारिश के लिए राई नृत्य अनुष्ठान सामने आया है। ग्रामीणों का मानना है कि राई नृत्य अनुष्ठान से गांव की अधिष्ठात्री देवी करीला माता प्रसन्न होंगी और झमाझम पानी बरसेगा। देवी पूजन के बाद राई नृत्य के दौरान जमकर रंग गुलाल भी उड़ा। गांव के राम सिंह यादव ने बताया, आपसी चंदे से राई नृत्य अनुष्ठान संभव हुआ है। अनुष्ठान रंग लाएगा। माता प्रसन्न होंगी। पानी बरसाएंगी।
अंधविश्वास के बावजूद उम्मीद की मुस्कान बने ऐसे आयोजन: डा. नरेंद्र अरजरिया
बुंदेलखंड की पत्रकारिता के पहले शोधार्थी और सहारा समय चैनल के टीकमगढ़ ब्यूरो प्रमुख डा. नरेंद्र अरजरिया कहते हैं, बेशक यह सब अंधविश्वास है। लेकिन सूखती फसलों से किसानों के मुरझाए चेहरों में ऐसे आयोजन उम्मीद भरी मुस्कान बिखेरने का सबब बने हैं। बुंदेली समाज में टोटके गहरे रचे बसे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से पूछा, राई नृत्य से बारिश का क्या वास्ता। लेकिन वह कोई तार्किक उत्तर देने के बजाय अपनी धुन में मगन हैं। कहते हैं, अब जल्द ही बारिश होगी। सूखती फसलों में हरियाली आएगी।
बांदा में भी निराशा के बीच जोर मार रही ऐसे आयोजनों की हसरतें
बारिश के अनाप शनाप आयोजनों का सिलसिला फिलहाल भले ही मध्यप्रदेश वाले बुंदेली अंचल तक सिमटा हो, लेकिन एक से हालातों के चलते ऐसे आयोजनों के कुछेक नमूने जल्द ही उत्तर प्रदेश वाले हिस्से में नजर आएं तो कतई ताज्जुब नहीं होना चाहिए। बांदा जिले के नरैनी इलाके में गरीब गुरबों के बीच समाजसेवा की मशाल जलाए विद्याधाम समिति सचिव राजा भैया कहते हैं, पर्याप्त बारिश न होने से किसान चिंतित हैं। निराश हैं। निराशा चमत्कार खोजती है। खोज ढोंग और स्वांग पर जा टिकती है। यहां भी किसानों में ऐसी हसरतें जोर मार रही हैं।