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Banda News: शासन के फैसले से बगलें झांक रहा करिश्माई माननीय खेमा, प्रथम नागरिक दल की बल्ले-बल्ले
Banda News: करिश्माई माननीय ने जोर जतन आदि सारे हथकंडे अपना कर बीते 25 जनवरी को बांदा जिला पंचायत की जिस बैठक को कथित तौर पर निषेध घोषित कराने में अग्रणी भूमिका निभाई थी
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Banda News. करिश्माई माननीय और प्रथम नागरिक की रार में शुक्रवार को शासन ने कुछ निर्णायक नजरिया पेश किया। और इसे यदि बानगी मानें तो, कह सकते हैं कि करिश्माई माननीय को मुंह की खानी पड़ी है? करिश्माई माननीय ने जोर जतन आदि सारे हथकंडे अपना कर बीते 25 जनवरी को बांदा जिला पंचायत की जिस बैठक को कथित तौर पर निषेध घोषित कराने में अग्रणी भूमिका निभाई थी, उसे शासन ने न केवल सही करार दिया है, बल्कि चित्रकूटधाम कमिश्नर (बांदा) को नियमानुसार आगे की कार्यवाही के लिए भी निर्देशित किया है। देखना होगा कमिश्नर अजीत कुमार कब और क्या ऐक्शन लेते हैं। दोनों खेमों की हलचल भी आम ओ खास का ध्यान खींचती है। एक ओर बांदा महोत्सव के तमाशे से झूम-धूम की तस्वीरें परोसता रहा करिश्माई माननीय खेमा जहां बगलें झांकने को मजबूर है, तो दूसरी ओर प्रथम नागरिक की पूरी टोली जश्न के मूड में नजर आ रही है।
सवालों के घेरे में कमिश्नर और CDO
जश्न क्यों न हो? एक ही दिन पहले 28 मार्च को उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव राजेश कुमार त्यागी ने बांदा (चित्रकूटधाम) कमिश्नर को भेजे पत्र में जिला पंचायत की 25 जनवरी 25 की बैठक को वैध करार देकर न केवल कमिश्नर के निर्णय पर अपरोक्ष सवाल खड़ा किया है, बल्कि पर्दे के पीछे खेल खेल रहे करिश्माई माननीय और उच्च संपर्कों को भी आईना दिखाया है। आईने में सूरत देख सिर धुनने की नौबत आन पड़ी है।
बैठक में अभद्रता पर आमादा हुए थे दोनों माननीय
मालूम हो, बीते 25 जनवरी को जिला पंचायत की बैठक में करिश्माई माननीय और प्रथम नागरिक ने एक दूसरे के खिलाफ मर्यादा की हदें लांघी थीं। यह अलग बात है कि मर्यादा के चीरहरण में करिश्माई माननीय अव्वल साबित हुए थे। इसी दौरान प्रथम नागरिक ने बजट पास होने का ऐलान किया था और करिश्माई माननीय ने इसे प्रोपेगंडा करार दिया था। दोनों पक्ष बांदा कमिश्नर अजीत कुमार के समक्ष पेश हुए थे। कमिश्नर कुमार ने CDO और AMA से बैठक पर अलग-अलग रिपोर्ट तलब की थी। दोनों ने विरोधाभासी रिपोर्टें पेश की। AMA ने जहां बैठक को एकदम सही ठहराया, वहीं CDO ने अनेक मीन-मेख संग बैठक पर सवालिया निशान लगाए थे। दोनों रिपोर्टों का हवाला देकर कमिश्नर कुमार ने 29 जनवरी को बैठक निषेध करार देकर पूरा मामला शासन को रेफर किया था। अब, शासन ने कमिश्नर के निर्णय को खारिज कर बैठक को सही करार दिया है।
शासन ने कहा समर्थन की अनदेखी क्यों..?
उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव त्यागी ने बांदा कमिश्नर को भेजे पत्र में तमाम नियमों का हवाला दिया है। शासकीय पत्र का अपना स्टाइल होता है। औचित्य सिद्ध किया जाता है। इस सब के साथ लब्बोलुआब पेश किया गया, "धनराशि के अनुसार बजट परिवर्तन विशेष संकल्प के दायरे में आता है। विशेष संकल्प के लिए सदन के आधे से अधिक सदस्यों का समर्थन आवश्यक है। बांदा जिला पंचायत में 30 सदस्य हैं और कार्यवृत्त पर 19 सदस्यों के हस्ताक्षर होने से बैठक को निरस्त या निषेध नहीं घोषित किया जा सकता।"