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कुंभ में प्रतिबंधित डी.डी.टी. के छिड़काव पर रोक की मांग में याचिका पर सरकार से जवाब-तलब

मेले की समाप्ति के बाद गंगा, यमुना कछार में उगने वाली सब्जी के जरिए लोगांे के शरीर में जायेगी। इससे मनुष्य व वन्य जीवों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी। याचिका में कुम्भ मेले में इस कीटनाशक का छिड़काव तत्काल रोकने की मांग की गयी है।

Shivakant Shukla
Published on: 8 Feb 2019 7:48 PM IST
कुंभ में प्रतिबंधित डी.डी.टी. के छिड़काव पर रोक की मांग में याचिका पर सरकार से जवाब-तलब
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प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुम्भ मेला प्रयागराज में प्रतिबंधित कीटनाशक दवा डी.डी.टी. के छिड़काव पर रोक लगाने व लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 15 मार्च को होगी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने औता, मेजा, प्रयागराज के सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप कुमार गौतम की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता के.के.राय व चार्ली प्रकाश व राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की।

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याची का कहना है कि कुम्भ मेले में एक लाख किलोग्राम डीडीटी मंगायी गयी है जिसका मेला क्षेत्र में छिड़काव किया जा रहा है। यह भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में प्रतिबंधित है। इसके बावजूद कुम्भ मेला प्रशासन व प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग प्रतिबंधित कीटनाशक का मेले में छिड़काव करा रहा है। डीडीटी मानव ही नहीं वन्य जीवों के लिए घातक है। इसका असर जमीन में वर्षाें तक रहता है। सरकार ने घातक प्रभाव को देखते हुए कृषि फसलों पर इसके छिड़काव को प्रतिबंधित कर दिया है।

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इंसेक्टिसाइड एक्ट 1968 के तहत केन्द्र या राज्य सरकार को उत्पादक कंपनी मेसर्स हिन्दुस्तान इंसेक्टिसाइडस लिमिटेड से सीधी खरीद कर विशेषज्ञों की निगरानी में उपयोग में लाने की छूट दी गयी है। याची का कहना है कि भारत सरकार ने 1972 में डीडीटी के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। यह कल्पवासियों, श्रद्धालुओं व शहर के लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही है।

मेले की समाप्ति के बाद गंगा, यमुना कछार में उगने वाली सब्जी के जरिए लोगांे के शरीर में जायेगी। इससे मनुष्य व वन्य जीवों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी। याचिका में कुम्भ मेले में इस कीटनाशक का छिड़काव तत्काल रोकने की मांग की गयी है।

Shivakant Shukla

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