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Barabanki News: कुमार विश्वास शानदार कविताएं सुनाकर बांधा समा, जमकर बटोरी तालियां
Barabanki News: देश के विख्यात हिंदी कवि कुमार विश्वास कल बाराबंकी में थे। उन्होंने यहां साझी विरासत द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरे में शिरकत की।
कवि कुमार विश्वास
Barabanki News: देश के विख्यात हिंदी कवि कुमार विश्वास कल बाराबंकी में थे। उन्होंने यहां साझी विरासत द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरे में शिरकत की। इस दौरान कुमार विश्वास ने अपनी लोकप्रिय कविता कोई दीवाना कहता है... से तो दर्शकों को झुमाया ही, साथ ही राजनीतिक व्यंगों से भी खूब समां बांधा। कुमार विश्वास ने मंच संभालते ही सबसे पहले दिल्ली की राजनीति पर जमकर चुटकी ली। उन्होंने कहा कि तिरंगे से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाली आम आदमी पार्टी आज दारू का हिसाब दे रही है। इस दौरान कुमार विश्वास ने उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति को लेकर भी कई व्यंग्य किये।
कवि सम्मेलन और मुशायरे का किया आयोजन
बाराबंकी जिले के जीआईसी ऑडिटोरियम में साझी विरासत द्वारा कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके अरविंद सिंह गोप ने अपने बड़े भाई और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अशोक सिंह की याद में आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन देर रात प्रमुख सचिव समाज कल्याण डॉ. हरिओम के साथ मिलकर किया। मंच का संचालन मशहूर शायर अबरार कासिफ ने किया।
कार्यक्रम की शुरूआत ने की शायर फजल इमाम मदनी
कार्यक्रम की शुरूआत शायर फजल इमाम मदनी ने की। इस बीच कई कवियों ने काव्य पाठ किया तो शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम भी पेश किए। वहीं, ऑडिटोरियम में मौजूद भीड़ डॉ. कुमार विश्वास को सुनने के लिए बेताब दिखी और बार-बार मंच पर बुलाने की मांग करने लगी। इसके बाद जैसे ही डॉ. कुमार विश्वास ने माइक संभाला पूरा ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने एक के बाद एक अपनी कई शानदार कविताएं बढ़ीं।
कुमार विश्वास ने सुनाई रचनाएं
इस दौरान कुमार विश्वास ने अपनी सबसे मशहूर कविता कोई दीवाना कहता है कोई, पागल समझता है, मगर इस धरती की बेचैनी को इक पागल समझता है....पढ़ी। इस दौरान दर्शक अपने चहेते कवि की एक झलक पाने के लिए बार-बार उठ जा रहे थे। जिन्हें संभालने के पुलिस को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। इस कार्यक्रम में कवि प्रियांशु गजेंद्र, मुमताज नसीम, उस्मान मिनाई, अज्म शाकिरी, नईम फ़राज, मीसम गोपालपुरी समेत कई फनकारों ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं।