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फिर अन्नदाताओं पर बरसी आसमानी आफत, फसलों का हुआ भारी नुकसान

आज सुबह तड़के अचानक मौसम के एक बार फिर करवट बदलते ही अन्नदाता किसान जो परेशान था उसकी कमर टूट गयी। इस माह दो बार बारिश के साथ जो ओलावृष्टि हुई, उसने फसलों को चौपट कर दिया।

Shreya
Published on: 13 March 2020 10:24 AM GMT
फिर अन्नदाताओं पर बरसी आसमानी आफत, फसलों का हुआ भारी नुकसान
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फिर अन्नदाताओं पर बरसी आसमानी आफत, फसलों का हुआ भारी नुकसान

बाराबंकी: आज सुबह तड़के अचानक मौसम के एक बार फिर करवट बदलते ही अन्नदाता किसान जो परेशान था उसकी कमर टूट गयी। इस माह दो बार बारिश के साथ जो ओलावृष्टि हुई, उसने फसलों को चौपट कर दिया। आज बची खुची फसल को तबाह कर किसानों को कुछ मिल जाने की उम्मीद पर पानी फेर दिया। बरबाद हुई फसलों ने किसानों के सपने को चकनाचूर कर दिया। हालाकि इससे पूर्व ही जिलाधिकारी ने सभी उपजिलाधिकारी को फसलों की बर्बादी की रिपोर्ट माँग रखी है लेकिन आज की ओलावृष्टि ने एक बार फिर से उन्हें नई रिपोर्ट तैयार करने को मजबूर कर देगी।

बारिश और ओलावृष्टि से फसलों का हुआ भारी नुकसान

बाराबंकी की कई तहसीलों में आज बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई जिससे किसानों की फसलों का भारी नुकसान हुआ। किसान जो कि अपनी इन्ही फसलों के जरिये आगे की योजनाएं बना रहा था अर्थात किसी के घर शादी , किसी के घर की चल रही दवाई और आने वाली होली के दौरान बच्चों के लिए नए कपड़े आदि का सपना संजोयें बैठा था । उस सपने को आज हुई ओलावृष्टि ने चकनाचूर कर दिया । अब इन बरबाद किसानों के लिए सरकार से मिलने वाली सहायता ही कुछ राहत दे पाएगी।

ओलावृष्टि ने बर्बाद कीं फसलें

किसानों के हालात जानने जब हम ग्राउंड जीरो पर अर्थात खेतों पर पहुंचे तो खेतों ने जैसे सफेद चादर ओढ़ रखी थी और यह स्थिति किसानों की तबाही की कहानी बयान कर रही थी। आज सुबह की पहली किरण पड़ने से पूर्व ही हुई इस तेज बारिश के साथ भीषण ओलावृष्टि होने का नज़ारा हमारे कैमरे में कैद हो गया और कैद हुआ किसानों की बरबादी।

https://drive.google.com/file/d/1Z7ySXx_b7tnl-qs0EbIp2rpPf5M5ljwj/view

किसानों की उम्मीदें हुईं धराशायी

फसलों को लेकर किसान हमेशा अपनी आगे के योजनाओं को पूरा करने के सपने देखता है। मगर उनके सपने आज इसी आसमानी आफत में चकनाचूर हो गए। खेतों में सिर्फ फसल ही नहीं गिरी बल्कि फसल के साथ किसानों की उम्मीदें भी धराशायी हो गयी। किसानों से जब हमने ओलावृष्टि के बारे में बात की तो उनका दर्द आँखों से छलक कर सामने आ गया। इन किसानों को अब सरकारी इमदाद ही सहारा दे सकती है जिसकी वह टकटकी लगाए आस देख रहा है।

अब सरकार का है सहारा

अब यह सरकारी सहायता से कब प्राप्त होगी, कितनी प्राप्त होगी, किस तरह से अधिकारी उनकी बरबादी की रिपोर्ट तैयार करेंगे यह सब सोंच कर ही अन्नदाता परेशान है। अगर उनकी यह फसल तैयार हो जाती तो इसका उन्हें नगद मूल्य प्राप्त हो जाता और वह अपनी योजनाओं पर काम कर सकते थे लेकिन अब उनका इंतजार सरकार के रहमो करम पर टिका हुआ है।

https://drive.google.com/file/d/15nkMiOAXCM8JCc3z6ri7_moDqtiJQgNS/view

Shreya

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