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इस धार्मिक नगरी में भी दिखा योगी के आदेश का असर, दुकानदारों ने दुकान पर लिखा नाम
Barabanki News: लोधेश्वर महादेवा में भी दुकानदारों ने अपनी इच्छा से दुकान के आगे नेम प्लेट लगा लिया है। दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने आपसी सहमति से दुकान के आगे नेम प्लेट लगा लिया है।
Barabanki News: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी दुकानों में नेमप्लेट लगाने का आदेश दिए जाने के बाद से इस पर राजनीति भी तेज हुई। लेकिन अब बाराबंकी के लोधेश्वर महादेवा में भी दुकानदारों ने अपनी इच्छा से दुकान के आगे नेम प्लेट लगा लिया है। हालांकि दुकानदारों का कहना है कि उन्होंने आपसी सहमति से दुकान के आगे नेम प्लेट लगा लिया है। यहां पर दूर दूर से ग्राहक आते हैं। सावन महीने में कांवड़िये भी आते रहते हैं और यहां पर किसी तरह का भेदभाव नहीं है। वहीं कांवड़ियों का कहना है कि उन्हें नाम या धर्म से कोई फर्क नहीं पड़ता।
बाराबंकी के लोधेश्वर महादेवा मंदिर में भी सावन महीने में हजारों कांवड़िया पहुंचते हैं और भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। सावन के सोमवार को बाराबंकी के श्री लोधेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने के लिए महादेवा मंदिर में लाखों श्रद्धालु जुटेंगे। इसके लिए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। इसी को देखते हुए लोधेश्वर महादेवा के स्थानीय दुकानदारों के द्वारा आपसी सहमति से दुकान के आगे नेम प्लेट लगा लिया गया है। इनमें से कुछ दुकानदारों ने पहले से ही अपना नाम दुकान के आगे लिख रखा था। जबकि कुछ लोगों ने अभी नाम लिखवाया है। हालांकि स्थानीय दुकानदरों ने बताया कि नेम प्लेट लगाने के बाद भी कारोबार पर कोई फर्क नहीं पड़ता और सभी लोग खरीदारी करने आते हैं।
वहीं इस दौरान कानपुर से लोधेश्वर महादेवा में जलाभिषेक के लिए जा रहे कांवड़िया दीपू ने बताया कि वह कानपुर से कावड़ में जल लेकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने लोधेश्वर महादेव जा रहे हैं। कानपुर से आते समय वह रास्ते में तमाम जगहों पर रुके और खाना खाया। रास्ते में वह खाने पीने की दुकान पर केवल साफ सफाई देखते हैं। दीपू के मुताबिक दुकान हिंदू या मुस्लिम में से किसी की भी हो, उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता। वह दुकानदार से पूछ लेते हैं कि वह केवल शाकाहारी भोजन बनाते हैं। शाकाहारी होटल होने पर वह केवल साफ सफाई देखकर खाना खा लेते हैं। उन्हें होटल वाले की हिंदू होने या मुस्लिम होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि अगर वह याद देखेंगे तो शायद रास्ते में भूखे ही रह जाएंगे। इसलिए केवल सफाई का ध्यान रखते हैं और खाना खाते हैं।