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Barabanki News: किंतूर, बाराबंकी से है ईरान के सबसे बड़े धार्मिक नेता खुमैनी का कनेक्शन
Barabanki News: क्या आपको पता है कि ईरान के तार यूपी से भी जुड़े हैं। ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्ला अली खामनेई के पूर्वज बाराबंकी के हैं।
Barabanki News: इजराइल और ईरान के बीच इन दिनों जंग जारी है। दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल दाग रहे हैं। क्या आपको पता है कि ईरान के तार यूपी से भी जुड़े हैं। ईरान के सबसे बड़े नेता अयातुल्ला अली खामनेई के पूर्वज बाराबंकी के हैं। इनके दादा सैय्यद अहमद मूसवी हिंदी ने सन 1790 में बाराबंकी की सिरौलीगौसपुर तहसील के छोटे से गांव किन्तूर में ही जन्म लिया था। बाद में वह ईरान के खुमैन गांव में गये और वहीं बस गए। इनके पिता भी धार्मिक नेता थे। फिर भी सैय्यद अहमद मूसवी ने भी अपना उपनाम 'हिंदी' ही रखा। जो भारत में उनके जीवन और समय की याद दिलाता था।
सैय्यद अहमद मूसवी के पुत्र अयातुल्ला मुस्तफ़ा हिंदी का नाम इस्लामी धर्मशास्त्र के जाने-माने जानकारों में शुमार हुआ। उनके दो बेटों में छोटे बेटे रूहुल्लाह का जन्म सन 1902 में हुआ, जो आगे चलकर अयातुल्ला अली खामनेई या इमाम खामनेई के रूप में प्रसिद्ध हुए। बाराबंकी के किंतूर में बसे लोगों ने बताया कि अयातुल्ला रूहुल्ला खामनेई साहब के दादाजी सैयद अहमद मूसवी हिंदी का जन्म 1790 में यहीं पर किन्तूर में हुआ था। अयातुल्ला अली खुमैनी के परिवार के आदिल का कहना है कि 40 साल की उम्र में वह अवध के नवाब के साथ 1830 ईसवी में इराक के रास्ते ईरान पहुंचे और वहीं पर खुमैन गांव में बस गए, क्योंकि यहां पर उन्हें अंग्रेजी सरकार के द्वारा काफी परेशान किया जा रहा था।
आदिल ने बताया कि ईरान में बसने के बाद खुमैनी साहब के पिता अयातुल्ला मुस्तफा हिंदी का जन्म हुआ और 1902 में अयातुल्ला रुहुल्लाह खामनेई साहब का जन्म हुआ। जब हम लोग सुनते हैं कि उन्होंने इतनी बड़ी क्रांति की और इस्लामिक गणराज्य की स्थापना की तो हमें बहुत फक्र होता है। उन्होंने कहा कि ईरान एक शांति पसंद मुल्क है और कभी किसी के ऊपर हमला नहीं किया लेकिन इस प्रकार हमारे लोगों और पूर्वजों के साथ हो रहा है तो अच्छा नहीं लग रहा। इन दिनों जो ईरान और हमारे पूर्वजों के साथ हो रहा है उसे सुनकर दुख भी हो रहा है।