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Barabanki News: पसमांदा महाज के मुसलमानों की बढ़ाई जाए भागीदारी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष को लिखा पत्र

Barabanki News: ऑल इंडिया पसमांदा महाज के अध्यक्ष ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में पसमांदा मुसलमान की भागीदारी को बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है।

Sarfaraz Warsi
Published on: 2 Sept 2024 4:05 PM IST (Updated on: 2 Sept 2024 4:06 PM IST)
Participation of Muslims of Pasmanda Mahaj should be increased, letter written to the President of Muslim Personal Law Board
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पसमांदा महाज के मुसलमानों की बढ़ाई जाए भागीदारी, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष को लिखा पत्र: Photo- Newstrack

Barabanki News: मुसलमानों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का गठन किया गया था जिसमें मुसलमान के हित को लेकर कार्य किया जाता है । इसी को लेकर ऑल इंडिया पसमांदा महाज के अध्यक्ष ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में पसमांदा मुसलमान की भागीदारी को बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है। क्योंकि 85 फीसदी आबादी वाले देश में पसमांदा मुसलमान की है। उसके बावजूद भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में पसमांदा समाज के लोगों की भागीदारी सबसे कम है। इसीलिए पसमांदा महाराज के अध्यक्ष ने पत्र लिखते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में पसमांदा मुसलमान की भागीदारी को बधाई जाने की मांग की है और उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि यदि भागीदारी बढ़ाई नहीं गई तो फिर पसमांदा समाज के मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से अलग हो जाएंगे ।

पसमांदा समाज से बड़े ओहदों पर कोई हिस्सेदारी नहीं

आपको बता दें कि पसमांदा महाज के अध्यक्ष वसीम राइन ने बताया है कि पसमांदा मुसलमानों कुल आबादी का 85 फ़ीसदी पसमांदा मुसलमानों की आबादी हैं उसके बाद मुस्लिम क़ौम के नाम पर चलने वाले तमाम इदारो में नुमाइंदगी न के बराबर हैं। उसके उलट 15 फ़ीसदी आबादी वाले अशराफ मुसलमानों की हर जगह कब्जा हैं। यही हॉल ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का है। पसमांदा समाज से बड़े ओहदों पर कोई हिस्सेदारी नहीं हैं । जिसको लेकर मुश्लिम पर्सनल बोर्ड इस पर ख़ुसूशी तवज्जो दें और पसमांदा मुसलमानों की आबादी के हिसाब से बोर्ड में जगह दें।

ऑल इण्डिया पसमांदा महाज़ भारत में अशराफ मुसलमानों के ज़रिए जात पांत, छुआछूत की विचारधारा से फैली हुई गंदगी के विरोध में हैं। हमारा मानना हैं कि हिन्दू समाज से ज़्यादा मुस्लिम समाज में अशराफ़ो का दबदबा हैं वो पसमांदा मुसलमानों को गिरी हुई नज़र से देखते हैं। जहां एक तरफ़ अशराफ मुसलमान सैय्यद, शेख़, मुग़ल, पठान अपने को पसमांदा मुसलमानों से ऊँचा समझते हैं ।

नहीं तो पसमांदा मुस्लिम अपना रास्ता खुद तैयार करेगा

वहीं वसीम राइन ने बताया कि कुंजड़ा, जुलाहा, धुनियाँ, धोबी आदि बिरादरियों के नाम से अपमानित करने के लिए संबोधित करते हैं । अगर किसी को बेईज्जत करना हो तो क्या कुंजड़ा कसाई समझे हो। कम आबादी वाले अशराफ मुसलमानों को अपना रहनुमा माना मगर उन्होंने अपनी रहनुमाई को छुआछूत की भेंट चढा दिया। पसमांदा समाज को ग़रीबी, जाहिलयत, फ़साद और लिंचिंग से बचा सके, इसीलिए हमको अपनी जिम्मेदारियों का एहसास ख़ुद करना होगा। उसके साथ ही यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हमारी इन मांगों को पूरा नहीं करता है और हमारी हिस्सेदारी बोर्ड में नहीं बढ़ाएगा तो पसमांदा मुस्लिम बोर्ड अपना रास्ता खुद तैयार करेगा ।

Shashi kant gautam

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