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Barabanki News: रैन बसेरों की रियलिटी चेक में सोता मिला कुत्ता, तो कहीं सुकून से सोते मिले लोग
Barabanki News: प्रशासन के ठण्ड से निपटने के तमाम दावों की हकीकत जानने के लिये आधी रात को रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया गया। जिसमें कुछ रैन बसेरों की व्यवस्था तो ठीक मिली, जबकि कुछ रैन बसेरों में व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति ही दिखी।
Rain Basera Reality Check
Barabanki News: पूरे प्रदेश में सर्दी का सितम जारी है। बाराबंकी जिले में ठंड से लोग बेहाल हैं। भीषण शीतलहर के चलते लोग पूरे दिन ठंड से ठिठुर रहे हैं। सर्दी से बचने के लिए कोई अलाव का सहारा ले रहा है तो कोई रैन बसेरे में रात गुजारने को मजबूर है। इस सबके बीच प्रशासन के ठण्ड से निपटने के तमाम दावों की हकीकत जानने के लिये आधी रात को रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया गया। जिसमें कुछ रैन बसेरों की व्यवस्था तो ठीक मिली, जबकि कुछ रैन बसेरों में व्यवस्था के नाम पर केवल खानापूर्ति ही दिखी। एक रैन बसेरे में कुत्ता सोता मिला। वहीं ,एक अन्य रैन बसेरे में महिला ने आसरा लिया था। लेकिन उस महिला की सुरक्षा के लिये कोई व्यवस्था नहीं मिली।
रात लगभग साढ़े 12 बजे सबसे पहले हम बाराबंकी में नगर पंचायत बंकी में बने रैन बसेरे का हाल देखने पहुंचे। जहां रैन बसेरे के नाम पर एक टेंट लगा हुआ था। जिसमें चार चारपाइयां पड़ी हुई थीं। इस रैन बसेरे में केवल एक शख्स सोता मिला। जो इतने नशे में था कि आंख तक नहीं खोल पा रहा था। वहीं, इस रैन बसेरे में एक चारपाई पर कुत्ता भी सोता हुआ मिला। इस रैन बसेरे में पानी की खाली टंकी रखी हुई थी। साथ ही कोई भी केयर टेकर देखरेख और लोगों की जांच करने के लिये नहीं था। इसके अलावा रैन बसेरे के आसपास काफी गंदगी भी मिली।
रात पौने एक बजे बाराबंकी के बस स्टॉप के पास में बने दो रैन बसेरों का रियलिटी चेक किया गया। जहां अगल-बगल बने दो रैन बसेरों में केवल एक केयर टेकर था। साथ ही रैन बसेरे में एक महिला भी सो रही थी, लेकिन यहां सुरक्षा के लिये न तो कोई महिला पुलिसकर्मी थी और न ही महिला केयर टेकर ही मिली। हालांकि जो केयर टेकर मिला उसने दोनों रेन बसेरों में सो रहे लोगों की पहचान करके रजिस्टर पर इंट्री की थी और उनके आधार नंबर भी लिये थे।
सबसे आखिर में रात करीब 1 बजे हम बाराबंकी शहर के पटेल तिराहे पर बने रैन बसेरा का हाल जानने पहुंचे। जहां हमें अलाव भी जलता मिला और रेन बसेरे में लोगों के रुकने की अच्छी व्यवस्था भी मिली। यहां के केयर टेकर ने बताया कि वह सभी आने वाले लोगों की पहचान करके ही उन्हें रैन बसेरे में रुकने देते हैं। यहां हापुड़ से आये एक परिवार ने बताया कि रात ज्यादा हो जाने के चलते उन्हें साधन नहीं मिल सका। इसलिये वह यहां रात गुजार रहे हैं। रैन बसेरे की व्यवस्था अच्छी है। वहीं एक अन्य शख्स ने बताया कि वह दिन में मजदूरी करता है और रात में रैन बसेरे में आकर रुकता है।