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सिपाही ने SSI को मारी गोली: छुट्टी को लेकर हुआ विवाद, दोनों अस्पताल में भर्ती
उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद के उझानी कोतवाली का है। यहां पर तैनात कॉन्स्टेबल ललित कुमार ने एसएसआई राम अवतार से छुट्टी मांगी थी। बताया जा रहा है कि उसने दस दिनों की छुट्टी के लिए आवेदन किया था। लेकिन सिपाही के आवेदन पर इंस्पेक्टर ने सिर्फ चार दिनों की छुट्टी ही मंजूर की।
बदायूं: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में छुट्टी को लेकर बदायूं जनपद में एक सिपाही ने एसएसआई को गोली मारकर खुद गोली मार ली। मिली जानकारी के मुताबिक सिपाही ने इंस्पेक्टर से दस दिनों की छुट्टी मांगी थी। इंस्पेक्टर ने दस दिन की बजाए उसे चार दिन की ही छुट्टी दी। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया और गुस्साए सिपाही ने इंस्पेक्टर को गोली मार दी।
दस दिन की छुट्टी का आवेदन सिर्फ चार दिनों की छुट्टी
यह घटना उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद के उझानी कोतवाली का है। यहां पर तैनात कॉन्स्टेबल ललित कुमार ने एसएसआई राम अवतार से छुट्टी मांगी थी। बताया जा रहा है कि उसने दस दिनों की छुट्टी के लिए आवेदन किया था। लेकिन सिपाही के आवेदन पर इंस्पेक्टर ने सिर्फ चार दिनों की छुट्टी ही मंजूर की।
कोरोना संक्रमित हैं कोतवाली के इंस्पेक्टर
दरअसल कोतवाली के इंस्पेक्टर ओमकार सिंह बीते दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे। वह छुट्टी पर चल रहे हैं। इंस्पेक्टर का चार्ज एसएसआई राम अवतार के पास था। सिपाही और एसएसआई के बीच छुट्टी को लेकर विवाद इतना बढ़ा की सिपाही ने गोली चला दी।
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बरेली मेडिकल कॉलेज में कराया गया भर्ती
घटना के बाद दोनों को आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया। जिला अस्पताल में हालत गंभीर देखते हुए दोनों को बरेली के मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। दोनों को बरेली में भर्ती कराया गया है। दोनों का इलाज चल रहा है।
पुलिस विभाग में छुट्टी को लेकर है समस्या
बता दें कि वर्ष 2013 में तत्कालिन डीआइजी नवनीत सिकेरा ने पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश दिलाने के लिए पहल शुरू की थी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ के गोमतीनगर थाने के पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश देकर शुरूआत की गई। इसका नतीजा भी सफल और सकारात्मक रहा, लेकिन विभाग के जिम्मेदार इस पहल को अमली जामा पहनाने में नाकाम रहे।
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ऐसे शुरू हुई थी तैयारी
आपको यह बता दें कि जब इस योजना की शुरूआत की गई थी तब छुट्टी लेने वाले पुलिसकर्मियों के स्वास्थ्य का परीक्षण कराया जाता था। जांच में पुलिसकर्मियों का ब्लड प्रेशर व एक्टिव मशीन से उनके नींद, थकान एवं तनाव के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती थी। शोध में अवकाश देने की योजना सार्थक साबित हुई थी और पुलिसकर्मी भी मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थ पाए गए थे। यही नहीं छुट्टी हासिल करने वाले पुलिसकर्मियों ने प्रतिक्रिया में इस पहल को लाभकारी बताया था।