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बेसिक स्कूलों का नया लुक देने की तैयारी

seema
Published on: 12 Oct 2018 7:32 AM GMT
बेसिक स्कूलों का नया लुक देने की तैयारी
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बेसिक स्कूलों का नया लुक देने की तैयारी

सुधांशु सक्सेना

लखनऊ। प्रदेश सरकार बेसिक स्कूलों को नया लुक देने की तैयारी में है। इसके लिए बेसिक शिक्षा महकमे ने जिलेवार बजट स्वीकृत किया है। इसमें हर जिले को विभिन्न मदों में बजट आवंटित किया गया है। बेपटरी और बदहाल हो चुकी बेसिक शिक्षा को अब इस बजट से बदलाव की आस है। शिक्षा महकमे के सूत्रों की मानें तो हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के प्राथमिक विद्यालय नरउर में बच्चों से मुलाकात की थी। इसके बाद ही इस बजट को मंजूरी दी गयी। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के कहने पर प्रदेश के स्कूलों की छवि बदलने की तैयारी चल रही है। महकमे की इस मुहिम के पीछे जो भी वजह हो, लेकिन इस बजट से प्राथमिक स्कूलों की तस्वीर बदलने की उम्मीद जरूर है।

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बच्चों को मिलेगा बदला हुआ माहौल

यूपी बेसिक शिक्षक संघ के लखनऊ जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा के अंतर्गत संचालित परिषदीय स्कूलों में कक्षा 1 से 5 में 130.62 लाख छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। बेसिक शिक्षा के अंतर्गत संचालित कक्षा 6 से 8 के स्कूलों की बात करें तो करीब 56.09 लाख छात्र-छात्राएं इन विद्यालयों में पंजीकृत हैं। ऐसे में स्कूलों की तस्वीर बदलने से छात्र संख्या बढ़ेगी। साथ ही इन स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को भी नया माहौल मिलेगा। जब सरकारी स्कूल में एक अच्छा इंफास्ट्रक्चर होगा तो बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में इजाफा होना स्वाभाविक है। अब सबकी उम्मीदें बजट पर टिकी हुई हैं।

इन मदों में जारी होना है बजट

अपर बेसिक शिक्षा निदेशक (शिविर) ललिता प्रदीप ने बताया कि प्रदेश के जिलों में बेसिक शिक्षा के स्कूलों का रंग रोगन समेत अन्य कार्यों के लिए प्रतिवर्ष अलग-अलग मदों में कक्षा 1 से 5 तक के बेसिक परिषदीय स्कूलों को 1,113,490,000 रुपये की धनराशि आवंटित की जाती है। इसी तरह कक्षा 6 से 8 तक के बेसिक शिक्षा स्कूलों को प्रतिवर्ष 296,335,000 रुपये की धनराशि का आवंटन होता रहा है। इस बार कुछ अन्य मदों को बेसिक शिक्षा महकमे ने अपने बजट में शामिल किया है। उसी का अतिरिक्त बजट जिले की आवश्यकता के अनुरूप जारी किया जा रहा है। इसके पीछे विभाग की मंशा है कि परिषदीय बेसिक स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर सुविधाओं से लैस किया जाए। इससे जहां ड्राप आउट रेट कंट्रोल होगा, वहीं इनरोलमेंट रेट में भी सुधार आएगा। कई जिलों में बजट भेजा जा चुका है। अन्य के लिए तैयारी चल रही है।

इस बार जिन अतिरिक्त मदों में बजट भेजा जा रहा है, उनमें टाट-पट्टी, अग्निशमन यंत्र, स्टेशनरी, रेडियो, इंटरनेट बिल, विद्युत उपकरण, कूड़ेदान, बाल्टी, मरम्मत कार्य, रंगाई-पुताई, पेंटिंग व अन्य सामान की खरीदारी आदि शामिल है। कंपोजिट स्कूल ग्रांट खर्च करने के लिए शासन ने 17 मद सुझाए हैं। इसमें स्वच्छता अभियान के तहत झाड़ू, कूड़ेदान, हाथ धोने का साबुन, फिनायल, चूना, बाल्टी आदि खरीदी जाएगी। अनुरक्षण कार्य में विद्यालय में मौजूद कुर्सी-मेज, हैंडपंप, ब्लैकबोर्ड, फर्श, दीवार आदि की मरम्मत होगी। रंगाई-पुताई, पेंटिंग के साथ-साथ फस्र्ट एड बॉक्स भी रखे जाएंगे। इन सभी मदों के लिए सरकार करोड़ों खर्च करने को तैयार है। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से इस संबंध में एक आंतरिक रिपोर्ट भी मांगी गई है।

लखनऊ को भी अतिरिक्त बजट की आस

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ.अमरकांत सिंह ने बताया कि जिले में ग्रामीण क्षेत्र में कुल 1172 प्राइमरी स्कूल हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ही करीब 415 उच्च प्राथमिक स्कूल संचालित हैं। शहरी क्षेत्र की बात करें तो नगर क्षेत्र में 195 प्राइमरी स्कूल और 55 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। पूरे जिले में बेसिक शिक्षा के अंतर्गत संचालित परिषदीय स्कूलों की संख्या 1837 है। इनमें इस शैक्षिक सत्र में 45 स्कूलों को माडर्न स्कूल बनाकर संचालित किया जा रहा है। इन स्कूलों में करीब 8 हजार शिक्षक और दो लाख से अधिक छात्र हैं। निदेशालय से इन स्कूलों के रंगरोगन समेत अन्य मदों से जुड़ी रिपोर्ट मांगी गई थी, जिस पर जल्द ही बजट जारी होना है। विभाग की मंशा स्कूलों के आवरण को ठीक करने की है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही जिले के स्कूलों के लिए 6 से 7 करोड़ की धनराशि उपलब्ध हो जाएगी।

अभी रंगरोगन के लिए मिलता है कम पैसा

बेसिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुधांशु मोहन ने बताया कि अभी जो धनराशि सरकारी भवनों की सूरत बदलने पर खर्च की जा रही है, वह महज एक मजाक है। प्राथमिक स्कूलों में चाक से लेकर डस्टर आदि के नाम पर पांच हजार से 7 हजार सालाना दिया जाता है। इसमें उम्मीद की जाती है कि हम भवनों में टूट-फूट की मरम्मत से लेकर रंगाई-पुताई भी करवा लें। ये संभव नहीं है। वहीं उच्च प्राथमिक स्कूलों में यही धनराशि दस हजार रूपये तक प्रति स्कूल आवंटित होती है। दरअसल ये पुरानी दरें हैं जो अभी तक चली आ रही हैं। ये सभी धनराशि 20-20 साल पुरानी हैं। इनका अपग्रेड होना बेहद जरूरी है।

यूपी में बेसिक शिक्षा के स्कूलों का विवरण एवं खर्च

प्राथमिक स्कूलों की संख्या -1,13,249

उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या -45,590

प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं -130.62 लाख

उच्च प्राथमिक स्कूलों में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं -56.09 लाख

लखनऊ में कुल प्राथमिक स्कूलों की संख्या -1367

लखनऊ में कुल उच्च प्राथमिक स्कूलों की संख्या -470

लखनऊ में प्राथमिक स्कूलों को नवीन मदों में अनुमानित बजट की

संभावना-लगभग 7 करोड़

प्रदेश सरकार का एक वित्तीय वर्ष में अनुमानित खर्च -20 हजार करोड

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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