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क्यों बोले शिक्षा मंत्री, दुर्भाग्य है कि वह मेरा भाई, कोई भी करा ले जांच

Siddharthnagar University: बेसिक शिक्षा मंत्री के छोटे भाई को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर तैनाती मिली है।

Akhilesh Tiwari
Written By Akhilesh TiwariPublished By Shraddha
Published on: 24 May 2021 4:59 AM GMT (Updated on: 24 May 2021 6:38 AM GMT)
बेसिक शिक्षा मंत्री के छोटे भाई को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर मिली तैनाती
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 बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

Siddharthnagar University: प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी (Basic Education Minister Dr. Satish Chandra Dwivedi) ने अपने छोटे भाई की नौकरी मामले में कहा है कि उसका चयन योग्यता के आधार पर हुआ है। इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं है। जो भी चाहे इस पूरे मामले की जांच करा ले। यह दुर्भाग्य है कि वह मेरा भाई है। इसलिए मामले को इतना तूल दिया जा रहा है।

सिद्धार्थनगर विश्व​विद्यालय में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई अरुण कुमार को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर मिली तैनाती के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। बेसिक शिक्षा ने एक ​दिन बाद अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कपिलवस्तु की सिद्धार्थनगर यूनिवर्सिटी में उनके छोटे भाई को जो नौकरी मिली है। वह चयन प्रक्रिया के सभी मानदंडों पर खरा उतरने के बाद मिली है।

बताया जा रहा है कि उनके भाई ने यूनिवर्सिटी में आवेदन ​किया था और योग्यता के आधार पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने उसका चयन किया है। जहां तक ईडब्ल्यूएस कोटे की सुविधा लेने का मामला है तो मेरा भाई होने की वजह से वह मेरी संपत्तियों का साझेदार नहीं है। उसकी अपनी आर्थिक हैसियत अलग है। आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण जाति को मिलने वाले आरक्षण के तहत अगर उसे चयनित किया गया है तो इसमें मेरी हैसियत को नहीं देखा जाना चाहिए। इस मामले में जो सवाल उठाए जा रहे हैं वह किसी भी तरह से तार्किक नहीं हैं। अगर किसी को एतराज है तो वह पूरे मामले की जांच करा ले। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि यह दुर्भाग्य है कि वह मेरा भाई है। इस वजह से ही उसके चयन को विवादित किया जा रहा है।

क्या है पूरा मामला

सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई अरुण कुमार को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित किया गया है। विश्ववि​द्यालय के अनुसार इस पद पर नियुक्ति के लिए 150 लोगों ने आवेदन किया था। मेरिट के आधार पर अरुण कुमार दूसरे स्थान पर थे जबकि साक्षात्कार, शैक्षणिक व अन्य अंकों के आधार पर उन्हें पहले स्थान पर पाया गया है। इस कारण उनका चयन किया गया। यह सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्ष के राजनेताओं समेत कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि मंत्री के भाई को आ​र्थिक रूप से कमजोर वर्ग का लाभ कैसे मिल गया।

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने राज्यपाल को इस मामले में शिकायती पत्र भी भेजा है। उन्होंंने बताया कि अरुण कुमार इससे पहले वनस्थली विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे तो वह ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र हासिल करने में कैसे कामयाब हो गए। उनकी पत्नी भी बिहार के किसी कॉलेज में शिक्षक हैं। ऐसे में उनकी कुल आय आठ लाख रुपये सालाना से कम कैसे हो गई। दूसरी ओर सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन ने अरुण कुमार के ईडब्लयूएस प्रमाण पत्र को सही बताया है। इटवा के तहसीलदार अरविंद कुमार के अनुसार सामान्य वर्ग के आवेदक की वार्षिक आय आठ लाख रुपये प्रतिवर्ष से कम, शहरी क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्रफल में मकान न हो और पांच एकड़ से कम खेती की जमीन हो तो उसे ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।

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