मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, नौकरी मामले में विवाद बढ़ने के बाद लिया फैसला

सिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई अरुण द्विवेदी ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

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Newstrack NetworkPublished By Shivani
Published on: 26 May 2021 8:21 AM GMT (Updated on: 26 May 2021 8:40 AM GMT)
मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा, नौकरी मामले में विवाद बढ़ने के बाद लिया फैसला
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बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी फाइल फोटो

Dr Satish Chandra Dwivedi Brother: उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी (Basic Education Minister Dr. Satish Chandra Dwivedi) के छोटे भाई को सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट पर ईडब्लूएस सर्टीफिकेट के आधार पर नौकरी मिलने का मामला विवादों में आने के बाद अब उनके भाई ने बड़ा कदम उठाया है। मंत्री के भाई अरुण द्विवेदी ने असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

दरअसल, यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री डा. सतीश द्विवेदी के भाई अरुण द्विवेदी को सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय में असिस्‍टेंट प्रोफेसर पर नौकरी मिलने के बाद से वह से विवादों में थे। सोशल मीडिया पर जमकर उनसे और शिक्षा मंत्री से सवाल किए जा रहे थे। उन्हें ईओडब्ल्यू कोटे से नियुक्ति मिली थी। विवादों में घिरने के बाद आज डा. अरुण ने सिद्धार्थ विश्‍वविद्यालय में असिस्‍टेंट प्रोफेसर पद से इस्‍तीफा दे दिया है। विवि के कुलपति प्रो.सुरेन्‍द्र दुबे ने उनका इस्‍तीफा स्‍वीकार कर लिया है।

मंत्री के भाई की नौकरी पर विवाद क्यों?

सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी के छोटे भाई अरुण कुमार को असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित किया गया है। विश्ववि​द्यालय के अनुसार इस पद पर नियुक्ति के लिए 150 लोगों ने आवेदन किया था। मेरिट के आधार पर अरुण कुमार दूसरे स्थान पर थे जबकि साक्षात्कार, शैक्षणिक व अन्य अंकों के आधार पर उन्हें पहले स्थान पर पाया गया है। इस कारण उनका चयन किया गया। यह सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्ष के राजनेताओं समेत कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि मंत्री के भाई को आ​र्थिक रूप से कमजोर वर्ग का लाभ कैसे मिल गया।

इस पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने राज्यपाल को शिकायती पत्र भेजा था। जिसमें उन्होंंने बताया कि अरुण कुमार इससे पहले वनस्थली विद्यापीठ के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर थे तो वह ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र हासिल करने में कैसे कामयाब हो गए। उनकी पत्नी भी बिहार के किसी कॉलेज में शिक्षक हैं और उन्‍हें करीब 70 हजार रुपए मासिक से ज्‍यादा वेतन मिलते हैं। ऐसे में उनकी कुल आय आठ लाख रुपये सालाना से कम कैसे हो गई।


अरुण कुमार के ईडब्लयूएस प्रमाण पत्र पर उठे सवाल

दूसरी ओर सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन ने अरुण कुमार के ईडब्लयूएस प्रमाण पत्र को सही बताया है। इटवा के तहसीलदार अरविंद कुमार के अनुसार सामान्य वर्ग के आवेदक की वार्षिक आय आठ लाख रुपये प्रतिवर्ष से कम, शहरी क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट से अधिक क्षेत्रफल में मकान न हो और पांच एकड़ से कम खेती की जमीन हो तो उसे ईडब्ल्यूएस कोटे का प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है।

मामले में मामला बढ़ा तो बेसिक शिक्षा मंत्री ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कपिलवस्तु की सिद्धार्थनगर यूनिवर्सिटी में उनके छोटे भाई को जो नौकरी मिली है, वह चयन प्रक्रिया के सभी मानदंडों पर खरा उतरने के बाद मिली है। ईडब्ल्यूएस कोटे से नौकरी मिलने को लेकर उन्होंने शै दी थी कि अरुण उनके भाई हैं, इसलिए मंत्री सतीश द्वि की सम्पत्ति में उनका कोई हक नहीं हैं। आर्थिक तौर से कमजोर सवर्ण जाति को मिलने वाले आरक्षण के तहत उन्हें चयनित किया गया है।

Shivani

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