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बस्ती: सरकारी अस्पताल पर ताला, झोलाछाप डाॅक्टरों के भरोसे ग्रामीण, स्वास्थ्य के साथ हो रहा खिलवाड़

Government Hospital: बस्ती जिले के भानपुर तहसील के अंतर्गत आने वाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाहिया हमेशा बंद ही रहता है।

Amril Lal
Reporter Amril LalPublished By Shivani
Published on: 25 May 2021 9:44 AM IST
Basti Hospital
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बस्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 

Government Hospital: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त आदेश के बावजूद भी बस्ती जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रहा है ,इस कोरोना महामारी काल में, बस्ती जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाहिया में ताला लटक रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कभी डॉ .नहीं आते हैं। अस्पताल के गेट पर ही आये दिन ग्रामीण दाह, संस्कार का पूजा पाठ करते हैं। इस मुद्दे पर जिलाधिकारी बस्ती सौम्या अग्रवाल से बात हुई तो उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी हुई है। हमने तत्काल सीएमओ को निर्देशित कर दिया गया है। जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख़्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमे को सख्त निर्देश दिए कि इलाज के अभाव में किसी की जान ना जाए। जरूरत पड़े तो जिले में प्राइवेट अस्पतालों को भी लिया जाए। तो वहीं बस्ती में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था सीएम के आदेशों के प्रतिकूल नजर आई।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाहिया की बदहालीः

बस्ती जिले के भानपुर तहसील के अंतर्गत आने वाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाहिया का निर्माण सरकार ने यह सोच कर कराया था कि लगभग हजारों गांव की जनता इस अस्पताल से जुड़ जाएगी और अपना समुचित इलाज यहीं से कराएगी।

अस्पताल जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर देहात क्षेत्र में बना हुआ है। इस अस्पताल का निर्माण लगभग 16 साल पूर्व कई करोड़ रुपए की लागत से हुआ था। लेकिन अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र करमाहिया का बीमार जनता लाभ नहीं उठा पा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से इस अस्पताल में हमेशा ताला लटका रहता है ।

अस्पताल निर्माण के समय ये माना जा रहा था कि गरीब जनता को इलाज के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा और समय पर पास में ही उन्हे मेडिकल सुविधाएं मिल सकेंगी। लेकिन स्वास्थ्य महकमे की कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से इस अस्पताल में डॉ कभी नहीं आते हैं और हमेशा ताला जड़ा रहता है।

कोरोना काल में भी अस्पताल हमेशा बंद

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में भी यह अस्पताल हमेशा बंद रहता है, जिससे हम लोगों का इलाज यहां पर नहीं हो पाता है। मजबूरन हम लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाकर अपना इलाज करवाते हैं। झोलाछाप डॉक्टर मनमाफिक पैसा लेते हैं।

उनका कहना है कि हम लोगों को यह सरकारी अस्पताल खुलने से कोई लाभ नहीं मिला। अस्पताल होने के बाद भी लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाने के लिए मजबूर हैं। क्योंकि जिले में जाने के लिए लगभग 35 किलोमीटर दूरी तय करनी पड़ती है। इसीलिए मजबूरी में ग्रामीण करमाहिया बाजार में झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाते हैं। बताया गया कि महामारी के दौर में अधिकांश लोग सर्दी जुखाम से पीड़ित हैं, ना तो गांव में कोई छिड़काव हो है ना ही कोई जांच हो रही है, जबकि गांव में अधिक काम अधिकांश लोग सर्दी जुखाम बुखार से पीड़ित हैं।

लापरवाह डाॅक्टरों और कर्मचारियों पर होगी कार्रवाई

जब इस मुद्दे पर जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा चाहे सीएससी हो या चाहे पीएसी, ओपीडी छोड़कर सारे अस्पतालों में इमरजेंसी सेवाएं चालू की गई हैं। इस अस्पताल की मुझे जानकारी मिली है, हमने तत्काल सीएमओ को निर्देशित किए हैं और इसकी जांच कराई जाएगी। लापरवाही करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


इस संबंध में जब स्थानीय व रुधौली विधानसभा के बीजेपी विधायक संजय प्रताप जायसवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया की यह मामला मेरे संज्ञान में आया है । उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी जांच कराई जाएगी। इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि वहां पोस्टेड डॉक्टर अस्पताल क्यों नहीं जा रहे हैं। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



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