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Basti: 'मेरे दो बच्चे कुपोषण की वजह से मर गए, जबकि तीसरा...', नहीं मिल रही योजनाओं का लाभ- पीड़ित हरीश

यूपी की योगी सरकार बार-बार दावा करती है कि सरकार की योजनाएं सीधे जनता तक पहुंच रही है। मगर, बस्ती जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जो उन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है।

Amril Lal
Report Amril Lal
Published on: 1 Aug 2022 3:21 PM GMT
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हरीश चंद्र पांडे

Basti News : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की योगी आदित्यनाथ सरकार (Adityanath Sarkar) भले ही दावे करती रही हो कि उनकी योजनाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है, मगर ताजा मामला तो कुछ और ही बयां करता है। बस्ती जिले के हरीश चंद्र पांडे (Harish Chandra Pandey) ने सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं। पीड़ित शख्स का कहना है कि, 'मेरे दो बच्चे कुपोषण की वजह से मर गए, जबकि तीसरा कुपोषित है। उन्होंने सरकारी दावों की पोल खोलते हुए कहा कि, 'मुझे किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।'

यूपी की योगी सरकार बार-बार दावा करती है कि सरकार की योजनाएं सीधे जनता तक पहुंच रही है। मगर, बस्ती जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जो उन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। ऐसा लगता है जैसे ये दावे सिर्फ कागजो तक ही सिमटकर तो नहीं रह गए।

क्या है मामला?

बस्ती जिले में एक गरीब परिवार रहता है। जिसके मुखिया हरीश चंद्र पांडे हैं। हरीश के तीन बच्चे और पत्नी कुपोषण के शिकार हो गए। उनके दो बच्चों और पत्नी कुपोषण की वजह से मौत हो चुकी है। करीब 7 साल की एक बच्ची को गोद में लिए हरीश अधिकारियों की चौखट पर माथा टेक रहे हैं, मगर उनकी सुनने वाला कोई नहीं। जिले के आला अधिकारियों को शिकायती पत्र दिए। बच्चे के कुपोषित होने की बात बताई। वो बार-बार कहते रहे कि, सरकारी योजनाओं का लाभ मिला तो बच्चे का इलाज हो जाएगा। मगर, सब बेकार। हरीश जैसों की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं। उनकी गुजारिश हर बार अनसुनी कर दी गई।


आखिर कहां छूट जाते हैं हरीश जैसे लोग?

सरकारी दावों की बात करें तो कुपोषण बच्चों को लेकर समय-समय पर जिले में सर्वे किए जाने की बात सरकार की तरफ से कही जाती है। इसे लेकर जिलों में समीक्षा भी होती है। जिले के उच्च अधिकारियों द्वारा इस पर मंथन भी होता है। पीड़ित बच्चों को चिन्हित कर उनके इलाज और खाने-पीने की सुविधाएं उपलब्ध कराने की बातें तो खूब होती है। क्या सच में ऐसा होता है। अगर, होता है तो हरीश चंद्र पांडे का परिवार कहां छूट जाता है?

क्या कहना है पीड़ित का?

बस्ती जिले के हरैया तहसील (Haraiya Tehsil of Basti District) के ओझा गंज गांव के रहने वाले पीड़ित हरीश चंद्र पांडेय (Haris hchandra Pandey) आरोप लगाते हुए सरकार के पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करते हैं। वो कहते हैं 'दो साल से दौड़ रहा हूं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। ना ही सरकारी योजनाओं का लाभ मुझे मिला। हरिश्चंद्र पांडेय बताते हैं, 'तत्कालीन उप जिलाधिकारी हरैया व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट प्रेम प्रकाश मीणा (Prem Prakash Meena) ने मेरी समस्याओं के मद्देनजर मुझे रहने और खेती करने के लिए जमीन का पट्टा उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। लेकिन, ग्राम प्रधान ने आज तक प्रस्ताव बनाकर नहीं भेजा। मुझे जमीन का पट्टा नहीं मिला। मैं काफी परेशान हूं। मैं इस बच्ची को लेकर दौड़ रहा हूं। अधिकारियों के कार्यालयों पर गुहार लगाई।' नतीजा सिफर रहा।


डीएम ने कहा जांच के बाद ही बता पाएंगे

हरीश चंद्र के दावों से ये सवाल खड़ा होता है कि जब कुपोषित बच्चों के लिए हर माह समीक्षा बैठक होती है, तो कैसे उनके बच्चों का आज तक ना तो इलाज हुआ और न ही कोई सरकारी लाभ मिला। वहीं, पीड़ित ने बताया कि मुझे सिर्फ राशन कार्ड बनवा दिया गया है। बाकी सरकार की किसी योजना का लाभ मुझे नहीं मिल रहा। इस संबंध में बस्ती की जिलाधिकारी प्रियंका निरंजन (Basti DM Priyanka Niranjan) से इस संबंध में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि हम जांच कराकर इस मुद्दे पर मीडिया से बात करेंगे।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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