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बेहमई नरसंहार: लाइन में खड़ाकर भून दिया था 20 लोगों को, आज कोर्ट सुनाएगा फैसला
वहीं मामले के मुख्य गवाह जन्टर सिंह ने बताया पूरी उम्मीद लेकर आये हैं आज फैसला होगा, भगवान से यही कामना है कि इन लोगो को फांसी की सजा हो। वादी राजाराम ने कोर्ट में बने मंदिर हनुमान से की प्रार्थना आज आ जाये फैसला मिले न्याय। वहीं पूरे मामले को लेकर बेहमई गांव के ग्रामीणों में फैसले को लेकर बड़ी आशा है।
कानपुर देहात: नई सदी की युवा पीढ़ी ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी का नाम जरूर सुना होगा लेकिन उन्हे इस बात की जानकारी शायद न हो कि कौन थी फूलन देवी और उनका बेहमई कांड से क्या लेना देना है? डकैत से सांसद बनी फूलन देवी पर 20 लोगों की हत्या का आरोप लगा था लेकिन बाद में उनकी भी हत्या हो गयी है।
आइए आपको बतातें हैं बेहमई कांड
फूलन देवी की कहानी शुरू होती है साल 1981 से जब उन्होंने ठाकुर जाति के 20 लोगों की हत्या कर दी थी। यमुना के तट पर बसा कानपुर देहात का छोटा सा गांव बेहमई महज 1981 में हुए हत्याकांड के लिए जाना जाता है। इस कांड की तब देश भर में चर्चा हुई थी। उस समय देश के कई राज्यों में डकैतों का आतंक हुआ करता था।
खूब आतंक था अस्सी के दशक में डकैतों का
उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह हुआ करते थें लेेकिन प्रदेश में डकैतों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसी दौरान ही मुख्यमत्री वीपी सिंह के भाई की डकैतों ने हत्या कर दी थी। इसके बाद वीपी सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय डकैतों के गिरोह में आगे निकलने की होड थी लाला राम श्रीराम विक्रम मल्लाह से लेकर मुस्तकीम तक के नाम आए दिन अखबारों की सुर्खिया बना करते थें।
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जमीन विवाद के कारण फूलनदेवी बन गयी थी डकैत
मल्लाह परिवार में जन्म लेनी वाली फूलन के चाचा ने उसके पिता की जमीन पर कब्जा कर रखा था। जब फूलन के पिता ने अपने भाई से जमीन मांगी तो चाचा ने उल्टा ही अपनी भतीजी फूलन देवी पर डकैती का केस दर्ज करवाकर जेल भेज दिया। जेल से निकलने के बाद फूलन का असल डकैतों से परिचय हो गया तो गैंगवार के चलते दूसरे गैंग ने फुलन देवी से सामूहिक बलात्कार कर दिया। इसमें अधिकतर ठाकुर जाति के ही डकैत थें। इस पर फूलन को ठाकुर जाति के लोगों से चिढ हो गयी और इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया था।
लाइन में खड़ा करके सामूहिक हत्या हुई थी 20 ठाकुरों की
इसी दौर में 14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी के गिरोह ने बेहमई गांव में धावा बोला था। जिसमें जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, लाल सिंह, रामाधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
हर बार फरार फूलनदेवी को पकड़ने में पुलिस रही नाकाम
इसके बाद फूलनदेवी फरार हो गयी। पुलिस ने कई बार उसे पकडने की कोशिश की लेकिन हर बार वह पुलिस के हाथ से निकल जाती थी। इसके बाद जब मध्यप्रदेश में डाकू मलखान सिंह ने संरेडर किया तो यूपी में फुलनदेवी ने भी 1983 में सरेंडर कर दिया।
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बिना मुकदमा चलाये ग्यारह साल तक जेल में रहने के बाद फूलन को 1994 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने रिहा कर दिया। ऐसा उस समय हुआ जब दलित लोग फूलन के समर्थन में गोलबंद हो रहे थे और फूलन इस समुदाय के प्रतीक के रूप में देखी जाती थी। फूलन ने अपनी रिहाई के कुछ समय बाद बौद्ध धर्म में अपना धर्मातंरण किया।
क्या कहते हैं गवाह
बेहमई कांड के वादी राजाराम सिंह और गवाह जन्टर सिंह आज सुबह से कानपुर देहात कोर्ट पहुंचे गये इस मामले में फैसला 1 बजे के बाद आने की उम्मीद है वादी राजाराम सिंह ने बताया कि फैसले की उम्मीद पर आये हैं। पहले 6 तारीख थी बढ़ाकर 18 कर दी गयी थी हमे आशा है कि आज हम लोगों को न्याय मिलेगा, और आरोपियों को फांसी की सजा मिलेगी।
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वहीं मामले के मुख्य गवाह जन्टर सिंह ने बताया पूरी उम्मीद लेकर आये हैं आज फैसला होगा, भगवान से यही कामना है कि इन लोगो को फांसी की सजा हो। वादी राजाराम ने कोर्ट में बने मंदिर हनुमान से की प्रार्थना आज आ जाये फैसला मिले न्याय। वहीं पूरे मामले को लेकर बेहमई गांव के ग्रामीणों में फैसले को लेकर बड़ी आशा है।