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Sant Kabir Nagar News: प्रधानमंत्री आवास योजना में जांच,कहीं बन ना जाए सरकार के लिए खाज
Sant Kabir Nagar News: सूची में स्थान मिलते ही उनके दिलों में आवास मिलने की आस बढ़ गई। समय समय पर प्राथमिकता के आधार पर जब लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिलने लगा तो बचे हुए सूचीबद्ध ग्रामीण अपनी बारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे रहे।
Sant Kabir Nagar News: प्रधानमंत्री आवास योजना इन दिनों गांव गांव ग्रामीणों की जुबान पर तैर रहा है। कभी गहन जांच के बाद ही इस योजना के लिए पात्रता सूची में आवास हीन लाभार्थियों का नाम सूची में दर्ज हुआ था। सूची में स्थान मिलते ही उनके दिलों में आवास मिलने की आस बढ़ गई। समय समय पर प्राथमिकता के आधार पर जब लाभार्थियों को इस योजना का लाभ मिलने लगा तो बचे हुए सूचीबद्ध ग्रामीण अपनी बारी के इंतजार में टकटकी लगाए बैठे रहे। इस बार जब संतकबीरनगर जिले में 12641 लाभार्थियों को आवास दिए जाने का लक्ष्य आया और समूची वेटिंग सूची को संतृप्त करने का फरमान जारी हुआ तो बचे हुए सूचीबद्ध ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे।
19 बिंदुओं के अधिकारी कर रहे जांच
तमाम ग्रामीणों ने केंद्र की मोदी सरकार की इस दरियादिली पर सरकार के प्रति अपना समर्पण और अपनी प्रतिबद्धता दिखाना शुरू कर दिया। हो भी क्यों ना आखिर उनके टूटे फूटे आशियाने को संवारने और पक्का बनाने की आस वर्षों पुरानी आस जो पूरी होनी थी। अब तक मोदी सरकार की जयकार करने में जुटे हजारों ग्रामीणों की उम्मीदों पर अधिकारियों ने अपने पात्रता मापदंड को जब लागू करना शुरू किया तो उनके पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई। सरकार द्वारा जारी 19 बिंदुओं के पात्रता मापदंड की सूची और अपने उच्चाधिकारियों के धमक भरे निर्देश का फरमान लेकर जब संबंधित सचिव गांव पहुंचे तो ग्रामीण खुद को ठगा महसूस करने लगे।
इतने हजार लाभार्थियों को मिलेगा आवास
अधिकारियों द्वारा तय किए गए मानकों पर खरा उतरने और जांच की कठिन प्रक्रिया से गुजरने के बाद जब जिले के 11420 लाभार्थियों का आवास के लिए चयन स्वीकृत हो गया तो फिर जिले के वातानुकूलित कार्यालयों में बैठे जिम्मेदार साहबों को भी यह संख्या अखरने लगी। ग्रामीणों के बीच यह सवाल बड़ी तेज़ी से चर्चा में है कि अगर सरकार ने कबीर की धरती के गरीबों के लिए 12641 आवास देने की तैयारी किया तो इस जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने 11420 को ही आवास का पात्र क्यों चुना? इतना ही नहीं जब जिम्मेदारों की भागीरथ जांच के बाद 11420 परिवारों के आशियाना निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया तो फिर जिले के जिम्मेदारों ने एक और जांच क्यों बैठा दिया।
जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने गैर ब्लॉक के सचिवों की उनके एडीओ पंचायत के नेतृत्व में आवास के जांच रिपोर्ट के सत्यापन की जिम्मेदारी दूसरे ब्लॉक में तय कर दिया। विकास विभाग से जुड़े सूत्रों की माने तो इस नई जांच प्रक्रिया के पीछे सरकार को प्रधानमंत्री आवास योजना में आवाम के बीच बदनाम करने की नियत रखने वाले अधिकारियों ने जांच की जांच उसी संवर्ग से करा कर ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों को लड़ाने की गुप्त मुहिम शुरू किया है। इसका सीधा असर गांव गांव नजर आ रहा है। ग्रामीणों का दावा है कि अगर अधिकारी इतने ही पारदर्शी सोच और ईमानदार हैं तो नगर पंचायतों और नगर पालिका में प्रधान मंत्री आवास योजना में जांच की जांच क्यों नही करते? ग्रामीणों का दावा है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में अगर केंद्र सरकार के इस जन कल्याण योजना का गांव गांव विपरीत असर पड़ा तो इसके जिम्मेदार उन जिलों में तैनात अधिकारी ही होंगे।