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Bhadohi: भदोही के अमिलौर में बाढ़ राहत शिविर बना मजाक, मनमानी और लापरवाही की भेंट चढ़ा

Bhadohi: प्रशासन की ओर से पीड़ित लोगों के लिए राहत शिविर बनाया गया है, लेकिन डीघ ब्लॉक अमिलौर प्राथमिक विद्यालय में बना राहत शिविर मनमानी और लापरवाही की भेंट चढ़ गया है।

Umesh Singh
Published on: 30 Aug 2022 11:12 PM IST
Bhadohi News Today
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अमिलौर प्राथमिक विद्यालय का बाढ़ राहत शिविर

Bhadohi: जनपद में जहां बाढ़ को लेकर गंगा के किनारे रहने वालों की नीद उड़ी है और प्रशासन के लोग भी बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद की बात कर रहे है। पीड़ित लोगों के लिए राहत शिविर बनाया गया है, लेकिन डीघ ब्लॉक अमिलौर प्राथमिक विद्यालय (Deegh Block Amilor Primary School) में बना राहत शिविर मनमानी और लापरवाही की भेंट चढ़ गया है। बाढ़ राहत शिविर (flood relief camp) में न बाढ़ से प्रभावित लोग देखे जा रहे है न ही प्रशासन के तरफ से नियुक्त कर्मचारी। केवल लेखपाल और कानूनगो शिविर में देखे गये और बाद में वे लोग भी चले गये और बाढ़ राहत शिविर में ताला लगा दिया गया।

6 दर्जन से अधिक लोगों को राहत शिविर में किया था शिफ्ट

मालूम हो कि 28 अगस्त को रामपुर घाट (Rampur Ghat) के करीब 6 दर्जन से अधिक लोगों को राहत शिविर में शिफ्ट किया गया था। लेकिन मंगलवार को शाम को राहत शिविर में न कोई बाढ़ पीडित था न कोई प्रशासन के तरफ से नियुक्त कर्मचारी। मंगलवार की शाम को शिविर में स्थानीय लेखपाल और कानूनगो मौजूद रहे। पूछे जाने पर कानूनगो ने बताया कि जब लोग शिविर में नहीं रहना चाह रहे है तो लोगों को कैसे रोका जाये? जबकि स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार को सुबह जब खाना दाना सही समय से नहीं मिला तो कौन राहत शिविर में रहेगा।

अमिलौर में बना राहत शिविर ठीक से दो दिन भी नहीं चल सका

हालांकि ग्राम प्रधान और पुलिस के लोग ग्रामीणों को राहत शिविर में रहने के लिए प्रेरित किये लेकिन ग्रामीण अव्यवस्था की बात कह कर शिविर में नहीं जा रहे है। इसलिए अमिलौर में बना राहत शिविर ठीक से दो दिन भी नहीं चल सका और यह लापरवाही और मनमानी की भेंट चढ गया। राहत शिविर में सरकारी कर्मचारी और ग्राम प्रधान बाढ़ग्रस्त लोगों को दोष दे रहे है और गंगा के किनारे रहने वाले लोग राहत शिविर की व्यवस्था से नाखुश होकर अपने घर में ही रहना चाह रहे है।

विदित हो कि सोमवार को दिन में करीब 11 बजे तक लोगों को खाना नहीं मिला था और बाद में तहसीलदार के आने के बाद खाना आया और उस समय भी कुछ लोग ही मौजूद थे। लेकिन मंगलवार की शाम को तो बाढ़ राहत शिविर पर ताला लटक गया। अब यहां सवाल पैदा होता है कि आखिर बाढ़ग्रस्त लोग सही बोल रहे है या सरकारी कर्मचारी और ग्राम प्रधान? क्योकि बाढ़ग्रस्त लोगों के लिए चलाया जा रहा यह कार्य इतना जल्दी फ्लॉप होना काफी चिंताजनक है।



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Deepak Kumar

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