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Bhadohi News: घोंसला बनाकर करें गौरैया का संरक्षण
Bhadohi: शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि हमारी आधुनिक जीवन शैली गौरैया को सामान्य रूप से रहने के लिए बाधा बन गई है। हमें घोंसला बनाकर गौरैया का संरक्षण करना चाहिए।
Bhadohi News: प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के साथ.साथ गौरैया का भी संरक्षण करना आज के परिवेश में नितांत आवश्यक है। याद आता है बचपन के वो दिन जब गौरैया घर के आंगन में सुबह.सुबह चीं चीं चीं चीं करते आ जाया करती थी और मां चावल के तिनकों को उनके सामने डाल दिया करती और वे खाकर के छत के मुंडेर पर बैठ खेलती रहती थी।
कुछ दशकों से गौरैया की गणना दुर्लभ पक्षी के रूप में होने लगा: अशोक कुमार गुप्ता
गौरैया संरक्षण के लिए उनके घोंसलों को लगाते हुए राष्ट्रपति पुरस्कार से पुरस्कृत शिक्षक अशोक कुमार गुप्ता ने कहा कि मनुष्य और गौरैया लगभग दस हजार वर्षों से एक साथ रहते आ रहे हैं लेकिन कुछ दशकों से गौरैया की गणना दुर्लभ पक्षी के रूप में होने लगा है। हमारी आधुनिक जीवन शैली गौरैया को सामान्य रूप से रहने के लिए बाधा बन गई है। हमें घोंसला बनाकर गौरैया का संरक्षण करना चाहिए।
गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण ध्वनि प्रदूषण
पेड़ों की अंधाधुंध कटाई खेतों में रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग एवं टेलीफोन के टावरों से निकलने वाली खतरनाक तरंगे इनके जीवन शैली को खतरे में डाल दिया है। ध्वनि प्रदूषण भी गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है। इनकी घटती आबादी को देखते हुए इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर 2002 में इसे विलुप्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल कर दिया है।
गौरैया के संरक्षण के ऊपर देना होगा ध्यान
हम सबको पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण के साथ-साथ गौरैया के संरक्षण के ऊपर ध्यान देना होगा ताकि हमारी आने वाली नस्लों को गौरैया को किताबों में पढ़ने के बजाय देखने का भी सौभाग्य मिल सके।