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संगम के तट पर बह रही भागवत कथा की दिव्यता,पवित्रता और मिठास: चिदानंद

इस अवसर पर जल संसाधन एवं गंगा पुनरूत्थान मंत्री के निजी सचिव सुधीर दिवे व परिवार, कीवा फेस्टिवल मनाने दक्षिण अफ्रिका से आये विशेष अतिथि ऐरिवर्त,न्यायाधीश सुरोही, विनिता शाह, स्वामिनी आदित्यनन्दा, नन्दिनी त्रिपाठी, श्रीमती रेखा और अनेक गंगा प्रेमी, यमुना प्रेमी, भगवत प्रेमी साधक उपस्थित रहे।

Shivakant Shukla
Published on: 5 Feb 2019 7:04 PM IST
संगम के तट पर बह रही भागवत कथा की दिव्यता,पवित्रता और मिठास: चिदानंद
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आशीष पाण्डेय,

कुंभ नगर: कुंभ नगर सेक्टर 18 अरैल क्षेत्र के परमार्थ निकेतन शिविर में मंगलवार से पर्यावरण को समर्पित श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ हुआ। संगम के तट पर भागवतकिंकर अनुराग कृष्ण शास्त्री के मुखारबिन्द से भगवत ज्ञान धारा प्रवाहित हो रही है।

श्रीमद्भागवत कथा का शुभारम्भ जल चेतना यात्रा, कलश यात्रा से हुआ। वेद मंत्रों के दिव्य उद्घोष के साथ परमार्थ निकेतन शिविर से कलश यात्रा आरम्भ हुई। देशी-विदेशी माताओं और बहनों ने दिव्य कलशों में मां यमुना का जल भरकर विश्व शान्ति की कामना करते हुए कलशों को कथा पांडाल में स्थापित किया। सभी संतों ने विश्व शान्ति और जल संरक्षण के लिए विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती,अनुराग कृष्ण शास्त्री, मोहन जी महाराज,सुधीर दिवे,आचार्य देवेन्द्र एवं यजमान परिवार के सदस्यों ने दीप प्रज्जवलित कर भागवत कथा का शुभारम्भ किया। स्वामी चिदानन्द ने भक्तों को भागवत कथा के मंच से संदेश देते हुए कहा कि कुम्भ से पर्यावरण संरक्षण का संदेश जाना अति आवश्यक है ताकि कुम्भ की धरती पर आई जन चेतना यहां से संदेश लेकर जाए।

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उन्होंने कहा कि वही मेले सार्थक है जो समाज को कोई दिशा देते है। यह दिव्य कथा समाज को दिशा देने के लिए समर्पित है। यहां से तीर्थों के लिये एक नई चेतना जागेगी। तीर्थो के लिए कुछ नयी योजनायें बनायी जा रही है। जिसके माध्यम से स्वच्छ तीर्थ और हरित तीर्थ के साथ वैदिक शिक्षा के महत्व से अवगत कराया जा सके। प्रयाग की धरती यज्ञों के लिये प्रसिद्ध है। ब्रह्म जी ने भी सृष्टि की रचना के बाद पहला यज्ञ इसी प्रयाग की धरती पर किया था। ऋषि याज्ञवल्क और ऋषि भारद्वाज की यह धरती जिनके संवादों ने इसे दिव्य और पवित्र बनाया। पुराणों में भी प्रयागराज की दिव्य महिमा है। तीर्थो का राजा है

इस यज्ञ प्रयाग की धरती पर एक ओर तो योग प्रयाग का संगम हो रहा है वहीं दूसरी ओर श्रीमद् भगवत कथा का संगम हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि भारत, भूमि का टुकड़ा नहीं है बल्कि यह तो दिव्यता से युक्त प्रेम और शान्ति की भूमि है। इतिहास बताता है कि भारत ने दुनिया को हमेशा से शान्ति का संदेश दिया है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है। हमारे धर्मग्रन्थ हमें श्रेष्ठ जीवन जीने का संदेश देते है।

स्वामी चिदानन्द ने कहा कि नदियां है तो आज प्रयाग की धरती पर यह दिव्य आयोजन हो रहा है। जहां पर करोड़ों लोग एक डुबकी लगाकर अपना जीवन धन्य बना रहे है। पृथ्वी पर जितनी भी सभ्यतायें है उनमें से अधिकतर सभ्यताओं का उदय नदियों के किनारों पर हुआ है। हमें नदियों को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनायें रखना होगा तभी हम अपनी भावी पीढ़ियों को स्वच्छ जल की सौगात प्रदान कर सकते है। हम नदियों के ठेकेदार नहीं बल्कि पहरेदार बने।

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स्वामी चिदानंद ने बताया कि पर्यावरण को समर्पित श्रीमद् भागवत कथा में प्रतिदिन पर्यावरण एवं जल संरक्षण हेतु संकल्प कराया जायेगा क्योंकि भारत के यशस्वी और ऊर्जावान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो स्वच्छ भारत अभियान का संकल्प दिलवाया है। वह गांव-गांव तक पहुचें, हर तीर्थ तक पहुंचे तथा हर दिल तक पहंचे।

शोभयात्रा के समय स्वामी चिदानन्द ने भक्तों को जल संरक्षण का संकल्प कराते हुये कहा कि जल है तो जीवन है। जल मनुष्य की प्रमुख मूलभूत जरूरत है। स्वच्छ जल के अभाव के कारण भारत में ही प्रतिदिन पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 1600 बच्चों की मौत हो जाती है। स्वच्छ जल के अभाव में जीवन तो क्या दुनिया की किसी भी सभ्यता की कल्पना तक नहीं की जा सकती। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और सभी संतों ने देवेन्द्र शास्त्री को उनके जन्मदिवस पर ढेर सारी शुभकामनाये देते हुये अंगवस्त्र भेंट किया।

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मधुर संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा 5 फरवरी से 11 फरवरी तक परमार्थ निकेतन शिविर दोपहर 01 बजे से 05 बजे तक होगी कथा के दिव्य मंच से प्रतिदिन संतों के प्रवचन होंगे। कथा की दिव्यता का आनन्द भारत सहित विश्व के विभिन्न देशों से आये श्रद्धालु भी ले रहे है। परमार्थ निकेतन शिविर प्रयाग की धरती पर विश्व से यथा भारत सहित, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, सर्बिया, मैसेडोनिया, मैक्सिको, क्रोएशिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, स्लोवेनिया, मॉरीशस, मलेशिया, नॉर्वे, जर्मनी, स्पेन और कई देशों से आये साधक कलशयात्रा, संगम स्नान, हवन, पूजन, रूद्राभिषेक और कथा श्रवण का आनन्द ले रहे है।

इस अवसर पर जल संसाधन एवं गंगा पुनरूत्थान मंत्री के निजी सचिव सुधीर दिवे व परिवार, कीवा फेस्टिवल मनाने दक्षिण अफ्रिका से आये विशेष अतिथि ऐरिवर्त,न्यायाधीश सुरोही, विनिता शाह, स्वामिनी आदित्यनन्दा, नन्दिनी त्रिपाठी, श्रीमती रेखा और अनेक गंगा प्रेमी, यमुना प्रेमी, भगवत प्रेमी साधक उपस्थित रहे।

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