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Bharat Kund Ayodhya: अयोध्या का भरत कुंड, जानिए क्या है इसकी मान्यता

Bharat Kund Ayodhya: भरतकुंड में किया पिडदान, गया तीर्थ के समान ही फलदायी माना गया है। इसीलिए भरतकुंड को 'मिनी गया' भी कहा जाता है। यही वजह है कि पितृपक्ष में भरतकुंड आस्था का केंद्र होता है।

NathBux Singh
Published on: 9 March 2023 5:30 AM GMT (Updated on: 9 March 2023 6:02 AM GMT)
Bharat Kund Ayodhya
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Bharat Kund Ayodhya (Pic: Social Media)

Bharat Kund Ayodhya: सप्तपुरियों में अग्रणी अयोध्या से करीब 16 किलोमीटर दूर स्थित भरतकुंड यूं तो भगवान राम के वनवास के दौरान भरत की तपोस्थली के तौर पर विद्यमान है, लेकिन यह वह स्थान भी माना जाता है, जहां वनवास से लौटने पर भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किया था। भगवान विष्णु के बाएं पांव का गया जी में तो दाहिने पांव का चिह यहीं पर है।

पितृपक्ष में हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए यहां जुटते रहे हैं, हालांकि इस बार कोरोना की वजह से पिंडदान करने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बेहद कम है। भरतकुंड में किया पिडदान, गया तीर्थ के समान ही फलदायी माना गया है। इसीलिए भरतकुंड को 'मिनी गया' भी कहा जाता है। यही वजह है कि पितृपक्ष में भरतकुंड आस्था का केंद्र होता है। देशभर से जुटने वाले हजारों श्रद्धालु अपने पुरखों का पिंडदान कर उनके मोक्ष की कामना करते हैं। बड़ा स्थान दशरथमहल के संत व भरत तपस्थली के व्यवस्थापक कृपालु रामभूषण दास बताते हैं कि यह स्थान सदियों से आस्था के केंद्र में रहा है। उन्होंने बताया कि भगवान राम ने अपने पिता का पिंडदान करने के बाद से ही यहां पूर्वजों का पिडदान करने की परंपरा चली आ रही है।

सदियां बीत गईं, लेकिन भरत के तप का प्रवाह इस भूमि पर अब भी महसूस किया जा सकता है। भगवान राम के वनवास के दौरान भरतजी ने उनकी खड़ाऊं रखकर यहीं 14 वर्ष तक तप किया था। मान्यता है कि भगवान के राज्याभिषेक के लिए भरत 27 तीर्थों का जल लेकर आए थे, जिसे आधा चित्रकूट के एक कुंआ में डाला था, बाकी भरतकुंड स्थित कुंआ में। यह कुआं आज भी मौजूद है। कुंआ के पास ही सदियों पुराना वट वृक्ष भी है। भरतकुंड आने वाले श्रद्धालु कुंआ का जल अवश्य ग्रहण करते हैं। भरतकुंड में भगवान राम की जटा विवराई का जटाकुंड है। मानस तीर्थ है। पिशाच योनि से मुक्ति दिलाने वाला पिशाच मोचन कुंड भी यहीं है। यहीं वह कूप है, जिसमें 27 तीर्थो का जल है। 45 बीघे में सरोवर भी। भगवान विष्णु का बांए पांव का गयाजी में, तो दाहिने पांव का चिह्न यहीं गयावेदी पर है।

हां, यदि यहां कुछ नहीं है तो वह मूलभूत सुविधाएं हैं। एक अदद दुरुस्त यात्री शेड तक नहीं। पानी नहीं। स्वच्छता नहीं। पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था नहीं। शेड्यूल के अनुसार बिजली नहीं। चेंजिग रूम नहीं। स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय नहीं है।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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