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सेवा की मिसाल है भारत रक्षा दल, स्वयंसेवक निभाते हैं सामाजिक जिम्मेदारियां

भारत रक्षा दल अब तक 21 घूसखोर अधिकारियों-कर्मचारियों को पकड़वा चुका है। सेवा व समर्पण भी इस संगठन की खास पहचान है। इस संगठन ने अब तक 165 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है। रक्तदान, निर्धन परिवार की लड़कियों का विवाह आदि कार्य भी किए जाते हैं।

zafar
Published on: 30 Sep 2016 7:29 AM GMT
सेवा की मिसाल है भारत रक्षा दल, स्वयंसेवक निभाते हैं सामाजिक जिम्मेदारियां
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़: आजमगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से मुहिम छेडऩे वाला संगठन भारत रक्षा दल अब तक २१ घूसखोर अधिकारियों-कर्मचारियों को पकड़वा चुका है। सेवा व समर्पण भी इस संगठन की खास पहचान है। इस संगठन ने अब तक 165 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है। संगठन से जुड़े लोगों ने गोरखपुर एंटी करप्शन ब्यूरो से संपर्क साधकर सबसे पहले चिट फण्ड कार्यालय के लिपिक ज्ञानचन्द रावत को वर्ष 2006 में रंगे हाथ पकड़वाया। यहीं से यह अभियान लगातार आगे बढ़ता चला गया।

परिणाम यह रहा कि यह संगठन अब तक जिला पूर्ति अधिकारी भागीरथी सिंह, सीएमओ के.एम. अग्रवाल व पुलिस भर्ती बोर्ड का सदस्य बनकर आजमगढ़ आए एएसपी राजेश कृष्ण सहित 21 घूसखोर अधिकारियों-कर्मचारियों को गिरफ्तार करा चुका है।

बड़ी पहल

इस संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव एवं जिलाध्यक्ष उमेश सिंह ने तीन साल पहले देखा कि कुछ पुलिस वालों ने एक शव को पुल से नीचे फेंक दिया। पूछने पर पता चला कि ऐसा तो रोज होता है। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस वाले लावारिस लाशों को ऐसे ही फेंकते हैं और कुत्ते उन्हें नोंचते खसोटते हैं। इसी घटना के बाद भारत रक्षा दल ने इस दिशा में काम करने का फैसला किया। तय किया गया कि सभी लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार संगठन करेगा। अगले दिन से कार्यकर्ता पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचने लगे और लावारिस शव को पोस्टमार्टम के बाद उसका अंतिम संस्कार करने लगे। अब तो हालत यह है कि जिस भी थाना क्षेत्र में लावारिस लाश मिलती है, वहां के थानाध्यक्ष का फोन तत्काल इस संगठन के जिलाध्यक्ष के पास आ जाता है।

पोस्टमार्टम के बाद भारत रक्षा दल के कार्यकर्ता उस शव को मर्चरी हाउस से ले लेते हैं और अंतिम संस्कार करते हैं। अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी हरिकेश विक्रम श्रीवास्तव, उमेश सिंह, रणजीत सिंह, सुनील यादव, आरपी श्रीवास्तव, जैनेन्द्र चौहान, धर्मवीर विश्वकर्मा, गोपाल प्रसाद निभाते हैं। जिलाध्यक्ष उमेश सिंह कहते हैं कि कभी-कभी कई दिनों की सड़ी हुई लाशें मिलती हैं। फिर भी उनके कार्यकर्ता अपने कर्तव्य से विचलित नहीं होते और उसका भी अंतिम संस्कार करते हैं। एक बार इस संगठन ने सूचना के अधिकार से पुलिस कप्तान से जानकारी मांगी कि लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के लिए कितना पैसा मिलता है। उन्होंने जानकारी दी कि 2700 रुपए मिलते हैं। यह संगठन तो पैसा लेता नहीं। ऐसे में ये रुपये कहां चले जाते हैं, यह भी एक सवाल है। पितृ पक्ष में यह संगठन पिण्डदान भी करता है। तमसा तट स्थित राजघाट पर श्राद्घ कर्म करने के बाद शहर के अम्बेडकर पार्क में विशाल सामूहिक भोज भी किया जाता है जिसमें हजारों लोग शिरकत करते हैं।

रक्तदान, गरीब लड़कियों का विवाह

यह संगठन कई और भी काम करता है। महापुरुषों की जयंती पर पूरे जिले के सभी महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई की जाती है। हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चन्द बोस की जयंती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित करता है। इसके अलावा युवाओं में देशभक्ति का जज्बा भरने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वालों को पुरस्कृत भी करता है। सूचना अधिकार कानून के प्रति युवाओं को जागरूक करने के साथ ही इस संगठन ने कार्यशालाएं आयोजित कर उन्हें प्रशिक्षित किया। रक्तदान, निर्धन परिवार की लड़कियों का विवाह आदि कार्य भी किए जाते हैं।

भारत रक्षा दल का दर्द

भारत रक्षा दल के जिलाध्यक्ष उमेश सिंह गुड्डू कहते हैं कि जब मुलायम सिंह यादव यहां से चुनाव लडऩे आए तो उनके भतीजे सांसद धर्मेन्द्र यादव से विद्युत शवदाह गृह बनाने, सरकारी जिला अस्पताल में न्यूरो चिकित्सक एवं आजमगढ़ में एंटी करप्शन ब्यूरो की इकाई खोलने की मांग की गई थी। उन्होंने चुनाव बाद तीनों मांगें पूरी करने की बात कही। मगर कुछ नहीं हुआ।

भारत रक्षा दल का गठन

इसका गठन 21 सितम्बर 1997 को लखनऊ में गोमती तट पर 128 नौजवानों ने अपने खून का तिलक लगाकर किया। संकल्प लिया था कि अन्याय, शोषण व भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष किया जाएगा तथा इन मुद्दों पर आमजन को जागरूक किया जायेगा। भले ही यह प्रदेशव्यापी संगठन हो मगर आजमगढ़ के अलावा कहीं पर भी इस संगठन का जमीनी वजूद नहीं है।

सब मिलकर उठाते हैं खर्चा

जिले में इस संगठन के 7000 से अधिक सदस्य हैं। आपस में चंदा करके खर्चों का बोझ उठाया जाता है। इच्छुक सदस्य को ताला बन्द गुल्लक दी जाती है जिसमें वह रोजाना कम से कम एक रुपया जरूर डालते हैं। साल में एक बार सभी गुल्लक सबके सामने खोली जाती है। वैसे इस संगठन का हर जिम्मेदार व्यक्ति कोई न कोई रोजगार कर रहा है।

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