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भीम आर्मी और चंद्रशेखर: उत्तर प्रदेश की राजनीति में उभरती ताकत
UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में तेजी से उभर रही भीम आर्मी आज एक राजनीतिक ताकत बनने की ओर अग्रसर हो रही है। चंद्रशेखर आजाद रावण इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में तेजी से उभर रही भीम आर्मी आज एक राजनीतिक ताकत बनने की ओर अग्रसर हो रही है। विधानसभा के 2022 में एक ताकत के रूप में उभरने की उसकी छटपटाहट कहीं न कहीं बड़े राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंटी का संकेत है। मुख्य बात ये है कि टाइम मैगजीन ने अपने फरवरी के अंक में इसी साल भीम आर्मी (Bheem Army) के संस्थापक चंद्रशेखर रावण (Chandrashekhar Azad Ravan) को भविष्य के सौ उभरते नेताओं में शुमार किया था।
भीम आर्मी इस चुनाव में क्या मायावती की बहुजन समाज पार्टी को झटका देगी या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगी या फायदा। समाजवादी पार्टी के साथ जाने पर क्या होंगे समीकरण। आइए इन सब मुद्दों पर चर्चा करते हैं और जानते हैं.....
ऐसे बढ़ता रहा संगठन
भीम आर्मी या भीम आर्मी भारत एकता मिशन भारत में एक अम्बेडकरवादी और दलित अधिकार संगठन है। इसकी स्थापना सतीश कुमार, विजय रतन सिंह और चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Aazad) ने साल 2015 में की थी। यह संगठन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर जिलों में दलितों और बहुजनों के लिए 350 से अधिक मुफ्त स्कूल चलाता है।
तीन दिसंबर 1986 को जन्मे चंद्रशेखर आजाद रावण, पेशे से वकील, भीम आर्मी के सह-संस्थापक और फरवरी 2021 से इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। दलित राजनीति में शक्तिशाली राजनेता बनने की ओर अग्रसर आजाद का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में जाटव परिवार में गढ़खौली में हुआ था। उनके पिता गोवर्धन दास एक सरकारी स्कूल के सेवानिवृत्त प्रिंसिपल थे। अपने गांव के बाहरी इलाके में "द ग्रेट चमार ऑफ गढ़खौली वेलकम यू" नामक होर्डिंग लगाने के बाद वह दलित नेता के रूप में प्रमुखता से उभरे थे।
आजाद ने 2019 में मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन बाद में सपा/ बसपा गठबंधन को समर्थन देने और निर्वाचन क्षेत्र में दलित वोट के बंटवारे को रोकने के लिए बाद में अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया था।
चुनावी राजनीति आज़ाद समाज पार्टी के जरिए
आज़ाद ने अपनी शुरुआत भीम आर्मी (Bhim Army) के नेता के रूप में की लेकिन बाद में उन्होंने चुनावी राजनीति में भाग लेने के लिए आज़ाद समाज पार्टी का गठन किया। 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पप्पू यादव के नेतृत्व वाली जन अधिकार पार्टी से गठबंधन किया और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के अलावा एक अलग मोर्चा का नेतृत्व किया। पप्पू यादव और आजाद के नेतृत्व वाले मोर्चे को प्रगतिशील जनतांत्रिक गठबंधन (पीडीए) का नाम दिया गया।
आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) का औपचारिक रूप से 15 मार्च 2020 को रावण द्वारा गठन किया गया था। गौरतलब है कि यह घोषणा बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक काशीराम की 86वीं जयंती पर की गई थी। खास बात यह है कि समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल के 98 पूर्व नेता आजाद की नई पार्टी में शामिल हुए थे।
सहारनपुर हिंसा से चर्चा में
चंद्रशेखर रावण को सहारनपुर हिंसा में गिरफ्तार किया गया था। इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि गिरफ्तारियां राजनीति से प्रेरित थीं, लेकिन राज्य सरकार द्वारा उन्हें लगातार जेल में रखा गया था।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक सीएए के खिलाफ आजाद के विरोध मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने जामा मस्जिद में विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कई दिनों तक हिरासत में रखा गया।
इन मामलों में हुए गिरफ्तार
चंद्रशेखर आजाद रावण को दो सीएए विरोधी प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया था। तुगलकाबाद में श्री गुरु रविदास गुरुघर के विध्वंस के विरोध में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। हाथरस गैंगरेप मामले के विरोध में आजाद को 500 भीम आर्मी के सदस्यों के साथ गिरफ्तार किया गया था। उन सभी को हाथरस में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के उल्लंघन के लिए आईपीसी और महामारी रोग अधिनियम की कई धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।
अब योगी पर निशाना
अब जबकि एक बार फिर सियासी सरगर्मी 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर तेज हो रही हैं। ऐसे चंद्रशेखर ने नया दांव खेलते हुए साफ कहा है कि बसपा से निकाले गए साथ यदि उनके साथ आना चाहें तो स्वागत है। उन्होंने यूपी में कोरोना से 50 लाख मौतों का दावा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा देने की भी मांग की है।
भाजपा के खिलाफ करेंगे गठबंधन
आजाद समाज पार्टी के मुखिया ने साफ इशारा दे दिया है कि भाजपा के खिलाफ समाजवादी पार्टी व राष्ट्रीय लोकदल के बनने वाले गठबंधन का वह हिस्सा हो सकते हैं। बहुजन समाज पार्टी और उसकी सुप्रीमो मायावती की यूपी की राजनीति में निष्क्रियता का लाभ भी चंद्रशेखर को मिल रहा है। क्योंकि दोनों संगठनों बसपा और भीम आर्मी का आधार दलित वोटर हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित वोटों की मौजूदगी भी काफी ज्यादा है, ऐसे में चंद्रशेखर का सक्रिय होना मायावती के लिए भी खतरे की घंटी साबित हो सकता है। जबकि मायावती ने किसी भी दल से गठबंधन न करने का साफ एलान कर दिया है। इससे भीम आर्मी का रास्ता साफ हो गया है।
पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनजीत सिंह नौटियाल इन आरोपों को गलत बताते हैं कि हम दलित वोट बाटेंगे जिससे बीजेपी को फायदा होगा। वह कहते हैं कि हम तो चाहते थे कि बहन सुश्री मायावती जल्द यह ऐलान करें कि वह किसी तरह का गठबंधन चाहती हैं या नहीं। अब मायावती के एलान के बाद कोई बात शेष नहीं रह गई है।
वैसे हमारे लिए गठबंधन की पहली प्राथमिकता बहुजन समाजवादी पार्टी और मायावती ही थीं, क्योंकि हम दोनों कांशीराम की राजनीतिक विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहते हैं। लेकिन बहन जी की ओर से गठबंधन के लिए कोई पहल नहीं करने के बाद हम समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके बीजेपी को हराने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे। अगर भीम आर्मी का समाजवादी पार्टी से गठबंधन हो जाता है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के समीकरणों पर वह असर डाल सकती है।
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