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70 साल से प्यासा है ये गांव, सरकार ने आज तक नहीं सुनी इनकी फरियाद
हिंदुस्तान आजाद होने के बाद भोगनीपुर एक में गए भोगनीपुर चौराहे पर बड़ा कुआं जो था, उसको भी नेशनल हाईवे न मिट्टी भरकर खत्म करवा दिया। नेशनल हाईवे नई सड़क तो बनवा दी।
कानपुर। कानपुर झांसी कालपी रोड व दिल्ली बनारस मुगल रोड दो हाईवे पर बसा भोगनीपुर गांव अपनी मूलभूत सुविधाओं के साथ 70 वर्षों से पानी के लिए तरस रहा है। भोगनीपुर विधायक सीट व कई राष्ट्रीय पार्टियों के जिला अध्यक्षों का निवास भी होने के बावजूद अभी तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस से नागरिक परेशान है। भोगनीपुर जो तहसील के नाम से जाना जाता है। जिसकी आबादी लगभग 10,000 है।
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भोगनीपुर गांव दो हाईवे पर बसा
यहां पर पुलिस स्टेशन क्षेत्राधिकारी कार्यालय सिविल न्यायालय सेल टैक्स कार्यालय जिले का एकमात्र फायर स्टेशन व 70 भट्टे तथा आधा दर्जन पेट्रोल पंप है। फिर भी यहां पर आज तक आजादी के बाद से पानी की टंकी का निर्माण नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि 18 57 मैं जब अंग्रेजों ने हिंदुस्तान में आकर व्यापार फैलाया था। तब उन्होंने भोगनीपुर में ही अपने फौजियों को रहने के लिए अड्डा बनाया था। जिस को चांदमारी का नाम दिया गया था। अंग्रेज 1857 से 1947 तक हिंदुस्तान में रहे जिनका प्रमुख अड्डा भोगनीपुर ही था क्योंकि भोगनीपुर गांव दो हाईवे पर बसा है।
यहां पर चारों तरफ के लिए आवागमन का सीधा साधन उपलब्ध है। दिल्ली से इलाहाबाद कानपुर से झांसी इंदौर के लिए के लिए सीधे परिवहन सुविधा है। हिंदुस्तान में जब अंग्रेजों का कब्जा था तो उन्होंने जगह जगह गहरे कुएं खुदवा कर पानी की व्यवस्था करवाई थी।
फोटो-सोशल मीडिया
भोगनीपुर की आबादी 10000 से भी अधिक
हिंदुस्तान आजाद होने के बाद भोगनीपुर एक में गए भोगनीपुर चौराहे पर बड़ा कुआं जो था, उसको भी नेशनल हाईवे न मिट्टी भरकर खत्म करवा दिया। नेशनल हाईवे नई सड़क तो बनवा दी। लेकिन पीने पानी के लिए कुए की जगह एक हैंड पंप की व्यवस्था नहीं की भोगनीपुर की आबादी 10000 से भी अधिक है।
आजादी के बाद से अभी तक गांव में एक भी पानी की टंकी नहीं बनी है। जिससे ग्रामीण स्वयं का हैंडपंप लगवा कर या समरसेबल लगवा कर पानी निकाल रहे हैं। ज्ञात हो कि भोगनीपुर गांव जो विधायक की सीट भी है। भोगनीपुर से सटे पुखराया कस्बे में भाजपा सपा व बसपा के कई कई जिला अध्यक्ष का निवासी है।
भोगनीपुर में कई विधायक भी है। बसपा के सांसद प्यारेलाल संखवार का निवासी भी पुखरायां में है। भारत के राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद की कर्मभूमि व संसदीय सीट भी भोगनीपुर ही रही है। इतने बड़े राजनेताओं के बाद भी भोगनीपुर में आज तक पानी की टंकी का निर्माण नहीं हो सका है।
एक एक बूंद पानी के लिए तरसते
जबकि भोगनीपुर तहसील के छोटे-छोटे गांव बेलापुर पिपरी चांदा पूर् हीरापुर बरौर आदि एक दर्जन गांव में पानी की टंकी बनी हुई है। इतने बड़े गांव 2 नेशनल हाईवे पर स्थित भोगनी पुर गांव होने के बाद भी अभी तक पानी की टंकी शासन प्रशासन द्वारा नहीं बनवाई गई है। जिससे ग्रामीण ही नहीं यहां निवास कर रहे सरकारी कर्मचारी भी एक एक बूंद पानी के लिए तरसते रहते हैं।
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ज्ञात हो कि भोगनीपुर के समाज सेवक राजा पठान में एक बार तहसील व जिला अधिकारी से उक्त समस्या की आवाज उठाई थी। जिसकी जांच लेखपाल अश्विनी कुमार के पास आई थी। उन्होंने भी मामला रफा-दफा कर दिया पानी टंकी के लिए ग्राम समाज की भूमि ना देने की रिपोर्ट ना उपलब्ध होने की रिपोर्ट शासन को भेज दी।
जिससे पानी की टंकी फिर अधर में लटक गई। भाजपा सरकार जहां अंतिम व्यक्ति तक खड़े जनता तक हर सुविधा उपलब्ध कराने का दम भर गई है। वहीं शासन एक गांव में मूलभूत सुविधा पानी की टंकी क्यों नहीं बनवा रही है। यह सवाल हर ग्रामीणों के बीच है।
फोटो-सोशल मीडिया
गांव में एक भी कुआं नहीं बचा
ज्ञात हो कि भोगनीपुर में जो कुछ एक सरकारी हैंडपंप लगे हैं। वह भी लगभग 10 वर्ष पुराने हैं इस समय वाटर लेवल भी 200 के नीचे चला गया है। मई-जून जुलाई माह में अब तो हैंडपंप भी पानी देना छोड़ जाते हैं। गांव में एक भी कुआं नहीं बचा है।
अब सवाल यह उठता है कि गांव की जनता कहां से पानी लाए ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग तहसील दिवस वा जिला स्तर में व मुख्यमंत्री तक शिकायत करते करते थक गए। लेकिन किसी ने पानी की समस्या का निस्तारण नहीं किया सबसे ज्यादा समस्या भोगनीपुर पुराने वाले चौराहे पर है।
यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्रियों का आवागमन रहता है। सैकड़ों सवारी वाहन खड़े रहते हैं। यह भी हैंडपंप की व्यवस्था नहीं है। यात्री रुपए 20 लीटर पानी मोल खरीद कर स्वयं व बच्चों को पिलाते हैं।
क्या यही है स्वच्छ प्रशासन क्या यही है। पंक्ति में खड़े हर व्यक्ति के पास सुविधा की घोषणा ग्रामीणों ने एक बार पुनः जिलाधिकारी व मुख्यमंत्री महोदय से फरियाद की है कि भोगनीपुर में पानी की टंकी का बजट देकर एक एक बूंद पानी के लिए तरस रहे। जनता की प्यास बुझाने का कार्य किया जाए। अन्यथा जनता विधानसभा चुनाव में इसका जवाब देने के लिए सक्षम है।
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रिपोर्ट- मनोज सिंह