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BHU में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, MS ने कहा- की गई है सीमित OPD की व्यवस्था
वाराणसीः बीएचयू में डॉक्टरों और स्टूडेंट्स के बीच खूनी संघर्ष और आगजनी की घटना के बाद बीएचयू प्रशासन डैमेज कंट्रोल में जुटा है। दूसरे दिन भी रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीजों की जान सांसत में है। मध्यप्रदेश बिहार से आए सैकड़ों मरीज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है हालांकि सर सुन्दरलाल हॉस्पिटस के एमएस डा. ओपी उपाध्याय ने बताया कि उन्होंने सीमित ओपीडी की व्यवस्था की है जिसमें सिनियर कंसलटेंट मरीजों को देख रहे है और इमरजेंसी सेवा को भी बहाल रखा गया है।
क्या कहते हैं एमएस ओपी उपाध्याय?
-हड़ताल पर गए डॉक्टरों की सभी मांगे मान ली गई है लेकिन अभी भी वे कार्य से विरत हैं।
-उनको काम पर वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
-प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए आरोपी 26 स्टूडेंट्स को निलंबित कर दिया गया है।
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-उनके यूनिवर्सिटी कैंपस में आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
-मरीजों की सुविधा के लिए रेजीडेंट सीमित ओपीडी की व्यवस्था की गई है।
-इसमें सिनियर डॉक्टरों ने मोर्चा संभाल रखा है।
-सीमित ओपीडी में सिनियर डॉक्टर महज 100 से 150 मरीज ही देखेंगे।
-इस हॉस्पिटल में हर डॉक्टर एक दिन में दो सौ से तीन सौ मरीज देखते है।
-जुनियर डॉक्टरों की हड़ताल का नतीजा है कि सैकड़ों मरीज यहां से आ कर लौट रहे हैं।
-डॉक्टरों की मांग पर ट्रामा सेंटर में पुलिस चौकी बनाने का निर्देश दे दिया गया है।
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पर्ची केंद्र पर लगा है ताला
बीएचयू के एमएस चाहे जो भी दावा करे लेकिन पर्चा केंद्र पर लगा ताला ये बता रहा है कि हॉस्पिटल की व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी है। हॉस्पिटल की सड़क पर पड़े पड़े तड़प रहे मरीजों के तिमारदार डॉक्टरों की इस हड़ताल से बेहद आक्रोशित है। बिहार से आए तिमारदार ने बताया कि वह अपने रिश्तेदार को दिखाने के लिए रात भर ट्रेन में सफर करके यहा पहुंचा लेकिन सुबह आने के बाद देखा तो पर्चा केंद्र पर ही ताला लगा हुआ। ऐसे में वे मरीज को लेकर जाएं तो जाएं कहा।
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मीडिया के सामने रखी अपनी परेशानी
ऐसे ही कुछ और मरीज के तिमारदारों ने मीडिया के सामने अपनी परेशानी को रखा। कहा कि इस गर्मी में इतनी दूर से वे इलाज कराने आए है और यहां हड़ताल के चलते डॉक्टर अपने चेंबर से गायब है। मरीजों का कहना है कि वे गरीब है बाहर के प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज करा नहीं सकते है। उनके लिए तो बीएचयू हॉस्पिटल ही सबकुछ है।
वार्डों में भर्ती मरीज डिस्चार्ज हो रहे है और जो नए मरीजों की भर्ती होने की जो रफ्तार है वे बहुत स्लो है। सुबह से दोपहर तक महज 15 से 20 लोग भर्ती हो पाए हैं। भर्ती मरीज भी भगवान भरोसे है क्योंकि सिनियर कंसलटेंट वैसे भी वार्डों में कम ही जाते है और वह ओपीडी, ओटी संभालें कि इमरजेंसी वार्ड संभाले।