फिर ‘सुलगने’ लगा बीएचयू, छोटी सी घटना ने लिया भयानक रूप

raghvendra
Published on: 14 Sep 2018 9:56 AM GMT
फिर ‘सुलगने’ लगा बीएचयू, छोटी सी घटना ने लिया भयानक रूप
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वाराणसी: लगभग सालभर पहले की बात है। सितम्बर के महीने में काशी हिंदू विश्वविद्यालय सुलग रहा था। छेडख़ानी और अपने हक की मांग को लेकर सडक़ पर उतरी छात्राओं के साथ हुई घटना ने हर किसी को झकझोर दिया। इस घटना के बाद सरकार और विश्वविद्यालय का ओर से बड़े-बड़े दावे किए गए, खासतौर से कैंपस में छात्रों की सुरक्षा को लेकर। लेकिन एक साल बाद, हालात ने फिर से खुद को दोहराया है। 12 सितम्बर की सुबह एक छोटी सी घटना ने ऐसा रूप लिया कि समूचा कैंपस दहल उठा। पुलिस और उपद्रवी आमने-सामने थे।

कश्मीर के ‘पत्थरबाजों’ सरीखे छात्र पुलिस पर पत्थर बरसा रहे थे। बंदूक और बमों की गूंज बीएचयू की खामोशी को तोड़ रही थी। ऐसा लग रहा है कि देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार बीएचयू अब अराजकता का नया अड्डा बन चुका है। पिछले एक साल से ये उपद्रवियों की गिरफ्त में है। जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन सुरक्षा के नाम पर हर साल भारी रकम खर्च करता है। सुरक्षाकर्मियों का एक बड़ा बेड़ा कैंपस में मुस्तैद रहता है। लेकिन उपद्रवियों के आगे सब फेल है।

उपद्रवियों के आगे फिर नतमस्तक पुलिस

12 सितम्बर की सुबह अय्यर हॉस्टल में बिड़ला हॉस्टल के छात्रों ने जमकर बवाल किया। विवाद कैंटीन में नाश्ते को लेकर शुरू हुआ और देखते ही देखते बड़े उपद्रव में तब्दील हो गया। बिड़ला हॉस्टल के छात्रों ने अय्यर हॉस्टल में घुसकर पथराव किया, छात्रों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। दो दर्जन से अधिक बाइक को अपना निशाना बनाया।

हैरानी की बात है कि घटना के वक्त वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी मूकदर्शक बने रहे। बवाल के बाद पुलिस ने बिड़ला हॉस्टल पर छापा मारा तो हालात बेकाबू हो गए और फिर हंगामा शुरू हो गया। मुंह पर रुमाल और गमछा बांधे छात्रों के हुजूम ने पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम से हमला किया। शहर में मुख्यमंत्री भी मौजूद थे। अधिकारी तय नहीं कर पा रहे थे कि छात्रों पर सख्ती करें कि नहीं। लगभग तीन घंटे तक हंगामा चलता रहा मगर विश्वविद्यालय का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी सामने नहीं आया।

फिर फेल हुआ खुफिया तंत्र

विश्वविद्यालय में एलआईयू के साथ ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग सादे वेश में जानकारियां इक_ा करते हैं। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी ये इंतजाम फेल साबित हुए। जिस तरीके से इतना बड़ा बवाल हुआ, उसके पीछे साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक इस घटना में भी वही चेहरे शामिल थे जिन्होंने पिछले साल 20 दिसंबर को कैंपस में आगजनी और तोडफ़ोड़ की थी। इस बार भी आगजनी और पत्थरबाजी के पीछे भी वही चेहरे थे। विश्वविद्याल प्रशासन को शक है कि कुछ लोग कैंपस की फिजा बिगाडऩे की कोशिश कर रहे हैं। कैंपस में बाहरी अराजक तत्वों की मौजूदगी की बात कही जा रही है।

फिलहाल सीसीटीवी से मिले फुटेज के आधार पर पुलिस उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है। बीएचयू की इस घटना से मुख्यमंत्री भी नाराज दिखे। अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीएचयू में बार-बार होने वाली घटनाओं को लेकर सवाल किए।

बीएचयू में बवाल के पीछे आखिर कौन?

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कैंपस में आरएसएस की जड़ें मजबूत हुई हैं। एक ओर बीएचयू प्रबंधन पर हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ावा देने का आरोप है। तो वहीं वामपंथी विचारधारा के छात्रों ने विश्वविद्यालय में अपनी स्थिति मजबूत की है। नतीजा ये है कि छात्रों का एक गुट लगातार विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। पिछले साल सितंबर महीने में छात्राओं के आंदोलन के पीछे भी इसी गुट का हाथ बताया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो महीने पहले सैकड़ों छात्रों को बाहर का रास्ता दिखा दिया लेकिन फिर भी हालात नहीं सुधरे। अध्यापकों का एक गुट भी नहीं चाहता कि सब कुछ ठीकठाक चलता रहे। ये वही लोग हैं जो पूर्व कुलपति जीसी त्रिपाठी के खिलाफ छात्रों को भटकाते थे। वर्तमान कुलपति राकेश भटनागर के खिलाफ भी वैसा ही माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है। खबरों के मुताबिक अय्यर हॉस्टल में तोडफ़ोड़ करने वाले उपद्रवी सेंट्रल ऑफिस के कुछ अधिकारियों के संपर्क में थे।

सुरक्षा के नाम पर करोड़ों का बजट

बीएचयू में छात्रों की सुरक्षा के नाम पर हर साल लगभग 9 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होते हैं। इसके बाद भीचोरी, छिनैती, रंगदारी और मारपीट की घटनाएं नहीं रुक रही हैं। पिछले साल की घटना के बाद पूरे कैंपस को सीसीटीवी कैमरे से लैस करने की बात कही गई। पहली बार महिला प्रॉक्टोरियल बोर्ड बनाने के साथ ही क्विक रिस्पान्स टीम का गठन किया गया। लेकिन हालात ज्यों कि त्यों हैं।

अय्यर हॉस्टल के छात्रों का आरोप है कि घटना के बाद उन्होंने प्रॉक्टोरियल बोर्ड के हेल्पलाइन पर फोन किया लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। क्यूआरटी के जवान भी घटना के आधे घंटे बाद पहुंचे। अय्यर हॉस्टल सहित कैंपस के अधिकांश सीसीटीवी कैमरे खराब हो चुके हैं। 500 जवान छात्रों की सुरक्षा में लगे हैं जो 11 वाहनों से कैंपस में राउंड करते हैं।

एक साल में हुईं घटनाएं

  • 22 सितंबर 2017 छेडख़ानी को लेकर सडक़ पर उतरी छात्राएं।
  • 23 सितंबर - छात्राओं पर लाठीचार्ज।
  • 24 सितंबर -लाठीचार्ज के बाद पूरे दिन छात्राओं का प्रदर्शन।
  • 28 सितंबर -सामाजिक विज्ञान संकाय में छात्रा के साथ मारपीट और छेडख़ान।
  • 10 नवंबर -आईआईटी में डीजे नाइट्स के आरोप में मारपीट और बवाल।
  • 30 नवंबर -ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान मौत के बाद तोडफ़ोड़।
  • 20 दिसंबर - छात्र की गिरफ्तारी के विरोध में आगजनी, तोडफ़ोड़।
  • 22 दिसंबर - विश्वविद्यालय के पीआरओ राजेश सिंह को जान से मारने की धमकी।
  • सीनियर डॉक्टर से 15 लाख रुपए रंगदारी की मांग।
  • 8 मई 2018 - बिड़ला और लाल बहादुर शास्त्री हॉस्टल के छात्रों में बवाल।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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