BHU News: बीएचयू के वैज्ञानिकों का रिसर्च, धान की उत्पादकता बढ़ाने वाले बैक्टीरिया का Genetic Engineering से किया विकास

BHU News: ये बैक्टीरिया जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में वृद्धि तभी कर पाते है, जब वे पौधों की जड़ो द्वारा स्रावित कार्बन यौगिको का उपयोग करने मे सक्षम हो।

Durgesh Sharma
Written By Durgesh Sharma
Published on: 10 Nov 2022 7:51 AM GMT
BHU News development of bacteria increase productivity of paddy with genetic engineering
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BHU News development of bacteria increase productivity of paddy with genetic engineering (Social Media)

BHU News: पौधों की वृद्धि को बढ़ावा देने वाले बहुत से बैक्टीरिया पौधों की जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र मे पाये जाते है और ऑक्सिन जैसे हार्मोन का स्रावण करके पौधों की जड़ प्रणाली को विकसित करने में मदद करते है जो कि फसलों की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिए महत्वपूर्ण होते है।

लेकिन ये बैक्टीरिया जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में अपनी वृद्धि तभी कर पाते है, जब वे पौधों की जड़ो द्वारा स्रावित कार्बन यौगिको का उपयोग करने मे सक्षम हो। हाल ही में यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल "एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी" (स्प्रिंगर नेचर) में 05 नवंबर को प्रकाशित हुआ।

इसी तरह के लाभदायक बैक्टीरिया की श्रेणी में एज़ोस्पिरिलम ब्रासिलेंस एसपी7 (Azospirillum brasilense Sp7) होता है, जो कि कई महत्वपूर्ण फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाने वाला बहुत लोकप्रिय जैव उर्वरक है, परन्तु यह बैक्टीरिया धान की जड़ों के द्वारा स्रावित ग्लूकोज का कुशलता से उपयोग कर पाने में असमर्थ होता है।

जिस कारण धान की जड़ों के सम्पर्क क्षेत्र में यह अपनी वृद्धि करने में अक्षम होता है एज़ोस्पिरिलम ब्रासिलेंस (Azospirillum brasilense) की धान की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी, डॉ. विजय शंकर सिंह, सुशांत राय ने एज़ोस्पिरिलम ब्रासिलेंस (Azospirillum brasilense) की अनुवांशिकी अभियंत्रिकी (Genetic Engineering) के द्वारा ग्लूकोज का इस्तेमाल करने वाले जीन्स की अभिव्यक्ति करने में सफल रहे।

जिसके कारण एज़ोस्पिरिलम ब्रासिलेंस (Azospirillum brasilense) न केवल ग्लूकोज का उपयोग अपनी वृद्धि के लिए करने लगता है, बल्कि धान की जड़ों में तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है। इस प्रकार यह अभियंत्रित (Engineered) स्ट्रेन धान के पौधों के बायोमास में लगभग 30-40 प्रतिशत वृद्धि कर सकता हैं। इस शोध से धान की उत्पाादकता बढ़ाने के लिए महत्वापूर्ण होने की संभावना है।

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