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कहां गईं 77 फिश प्लेट? आतंकी साजिश या शरारत, फैसला करेगी सिविल प्रशासन

aman
By aman
Published on: 9 Dec 2017 5:56 AM GMT
कहां गईं 77 फिश प्लेट? आतंकी साजिश या शरारत, फैसला करेगी सिविल प्रशासन
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कहां गईं 77 फिश प्लेट? आतंकी साजिश या शरारत, फैसला करेगी सिविल प्रशासन

लखनऊ: प्रदेश की राजधानी के एनईआर रेलवे स्टेशन डालीगंज और बादशाह नगर के बीच बीते 3 दिसंबर को 77 फिश प्लेटों को कौन चुरा ले गया, इसका फैसला सिविल प्रशासन करेगी। रेलवे ने ये जिम्मा को सौंप दिया गया है। इस घटना के बाद से रेलवे के अधिकारियों ने लगातार संकेत दिए कि यह आस-पास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले नशेड़ियों का काम है। लेकिन अभी तक इसके कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले हैं।

कुछ लोगों ने इस घटना को आतंकी साजिश भी बताया था। ऐसे में यह फैसला आना बहुत जरूरी है कि आखिर किसने इस घटना को अंजाम दिया। क्योंकि, अगर समय रहते कर्मचारियों की नजर नहीं पड़ी होती तो एक बड़ी घटना हो सकती थी।

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छोड़े कई सवाल

बता दें, कि यह घटना 3 दिसंबर (रविवार) तड़के भोर की है। रेलवे स्टॉफ की सूझ-बूझ से पटरी से छेड़खानी करने का मामला समय रहते पता चल गया और एक बड़ा हादसा होने से बच गया था। लेकिन 77 फिश प्लेट गायब की खबर ने अपने पीछे एक सवाल जरूर छोड़ दिया, कि क्या यह कोई आतंकी साजिश थी या शरारती लोगों की नासमझी? अगर, यह आतंकी साजिश है तो ये गंभीर मामला है। लेकिन अगर ये शरारती लोगों का काम है तो निंदनीय है। अपने बेमतलब के शौक को पूरा करने के लिए ऐसे लोग सैकड़ों यात्रियों की जान से खेलने में जरा भी नहीं हिचक रहे।

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ये था मामला

-पूर्वोत्तर रेलवे स्टेशन के डालीगंज और बादशाह नगर रेलवे स्टेशन के बीच पटरी के बीच से 77 फिश प्लेट गायब थी।

-गश्त कर रहे रेल कर्मचारियों ने इसे तड़के सुबह देखा।

-उन्होंने इसकी सूचना रेलवे प्रशासन को को दी, जिससे हड़कंप मच गया।

-पेट्रोलमैन शिवशंकर और संजय ने तुरंत दोनों स्टेशनों को सूचना दी और ट्रेनों का आवागमन रोक दिया गया।

-प्लेट के गायब होने की जानकारी मिलने के बाद इंजीनियरिंग टीम 15 मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गई।

-करीब 2 से 3 घंटे में ट्रैक सामान्य हो गया।

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रेलवे अधिकारियों के मुताबिक

पूर्वोतर रेलवे के पीआरओ आलोक श्रीवास्तव ने बताया था, कि 'जैसे ही हमें मामले का पता चला तो तुरंत ट्रैक की मरम्मत करने का काम चालू हो गया। गैंगमैन की सूचना पर जब इंजीनियरिंग की टीम मौके पर पहुंची, तो उसने ट्रैक के आस-पास चेक किया। उसे 14 प्लेट मिल गई। जिसके बाद रेल अधिकारी उस ट्रैक को ठीक करने में जुटे। इसके बाद स्थिति सामान्य हुई।'

'नकारा' कहे जाने वालों ने बचाई हजारों जानें

इस घटना ने तो यह जरूर साफ कर दिया, कि रेलवे के कुछ कर्मचारी आज भी अपने काम को सही तरीके से करते हैं। उसका घटना को ही उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। पेट्रोलमैन शिवशंकर और संजय ने बड़ी समझदारी से इस साजिश को पकड़ा। उन्होंने तुरंत दोनों स्टेशनों पर गाड़ियों को रुकवा दिया। इस तरह से बड़ा हादसा होने से बच गया।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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