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बायो मेडिकल कचरा निस्तारण की अधूरी जानकारी देने पर मुख्य सचिव तलब
इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में बायो मेडिकल कचरा निस्तारण की आधी अधूरी जानकारी देकर गुमराह करने के लिए मुख्य सचिव को 12 सितंबर को तलब किया है और पूछा है कि कोर्ट को मांगी गयी जानकारी क्यों नहीं दी तथा अधूरी जानकारी देने पर क्यों न कार्यवाही की जाए।
कोर्ट ने कहा कि कई बार समय देने के बावजूद मुख्य सचिव ने गुमराह करने वाला हलफनामा दाखिल किया। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा की बेंच ने प्राइवेट बिल्डर्स एसोसिएशन की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मुख्य सचिव ने निगम को कोर्ट द्वार स्पष्ट लिखे जाने के बाद भी नहीं पढ़ा और जानबूझकर पूरी जानकारी पेश नहीं कर रहे।
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मुख्य सचिव ने सरकारी अस्पतालों के मेडिकल कचरे के निस्तारण की जानकारी दी किंतु प्राइवेट अस्पतालों, नर्सिंग होमों व क्लीनिकों के कचरे की जानकारी नहीं दी। कोर्ट ने पूछा है कि प्राइवेट अस्पतालों के मेडिकल कचरा निस्तारण पर क्या कार्रवाई की गयी है साथ ही जिलेवार कामन बायो कचरा निस्तारण प्लांट की क्षमता व कचरे की मात्रा की भी जानकारी दी जाए। यह भी बताये कि जरूरत पूरी करने वाले कितने कामन प्लांट कितने समय में लग जायेंगे। कब नियमों का सही तरीके से प्रदेश में पालन होगा। मुख्य सचिव ने ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल किया था, पर कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई।
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यमुना में प्रदूषण पर हलफनामा तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में गोकुल बैराज से कम पानी छोड़ने के चलते यमुना में बढ़ते प्रदूषण पर याची व राज्य सरकार को फोटोग्राफ के साथ हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश याची व जिलाधिकारी के हलफनामे में यमुना में प्रदूषण पर भिन्नता होने के कारण दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ ने यमुना सेवा संस्थान की जनहित याचिका पर दिया है।
याची का कहना है कि बैराज में कुल 21 गेट है, किन्तु एक ही गेट खोला गया है। पानी की कमी व शहर के नालों के यमुना में सीधे गिरने से प्रदूषण बढ़ रहा है। यमुना में बरसात में 5.6 ओबी प्रदूषण पाया गया है। जिलाधिकारी कोर्ट में मौजूद थे, उन्होंने हलफनामा दाखिल किया।
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हाईकोर्ट में वाहन पार्किंग के स्थायी उपाय के निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद जिलाधिकारी व एसएसपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और पूछा है कि हाईकोर्ट में पार्किंग व्यवस्था के लिए दो पहिया वाहन के लिए कितनी जगह चाहिए और पार्किंग समस्या का स्थायी हल क्या है।
कोर्ट ने कहा है कि आम लोगों को असुविधा न हो, इसलिए जो भी करना है, किया जाए। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि एडीए व नगर निगम से शहर की सड़कों का रिकार्ड लेकर रोड पटरी व नाली पर अतिक्रमण हटाया जाए। कोर्ट ने जानना चाहा है कि चौड़ी सड़कें संकरी कैसे हो गयी।
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कोर्ट ने एडीए को नोटिस देकर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ शहरी योजना एवं विकास अधिनियम की धारा 26 ए के अन्तर्गत कार्यवाही करने को कहा है। कोर्ट ने हाईकोर्ट के आसपास वाहन पार्किंग पर बार एसोसिएशन से भी प्रस्ताव मांगा है।
उपाध्यक्ष पंकज उपाध्याय कोर्ट में मौजूद थे। न्यायमूर्ति अरूण टंडन तथा न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ के समक्ष जिलाधिकारी ने हलफनामा दाखिल कर वाहन पार्किंग व्यवस्था की जानकारी दी जिसे कोर्ट ने संतोषजनक नहीं माना और समस्या के स्थायी हल निकालने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा शहरी योजना अधिकारी से परामर्श कर व्यवस्था की जाए। याचिका की अगली सुनवाई 11 सितंबर को होगी।