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बिसाहड़ा-एक साल बाद: न घाव भरा न खाई, सन्नाटे में गुजर गए ईद और होली के त्योहार

हत्या के आरोप में जेल गए 18 लोग न्याय की मांग कर रहे हैं। मथुरा फॉरेंसिक लैब से गोवंश मांस होने की पुष्टि के बाद गांव वालों की अदालती लड़ाई तेज हो चुकी है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अकलाख Qj परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ गोहत्या का केस दर्ज हो गया है। लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। गिरफ्तारी के लिए धरना

zafar
Published on: 28 Sep 2016 8:03 AM GMT
बिसाहड़ा-एक साल बाद: न घाव भरा न खाई, सन्नाटे में गुजर गए ईद और होली के त्योहार
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नोएडा: बिसाहड़ा के अखलाक कांड को एक साल बीत चुका है। गांव में इस दौरान न ईद मनी, न होली। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच टूटा भरोसा भी नहीं जुड़ पाया। इसलिए बिसाहड़ा ने पूरा साल संगीनों के साए में गुजार दिया। अखलाक का परिवार मुआवजे का मरहम लेकर गांव से विदा भी हो गया। लेकिन इस एक साल में घटना का सच लोगों के सामने नहीं आ सका।

बिसाहड़ा का एक साल

-28 सितंबर 2015। गौतमबुद्ध नगर के बिसाहड़ा में गोवंश मांस होने के संदेह में भीड़ ने अखलाक के परिवार पर हमला किया और अखलाक की हत्या कर दी।

-28 सितंबर 2016। बिसाहड़ा गांव में शांति है, लेकिन बेचैनी भरी। अखलाक का परिवार गांव छोड़ चुका है, लेकिन हत्या के आरोप में जेल गए 18 लोग न्याय की मांग कर रहे हैं।

-मथुरा फॉरेंसिक लैब से गोवंश मांस होने की पुष्टि के बाद गांव वालों की अदालती लड़ाई तेज हो चुकी है।

-कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अखलाक व परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ गोहत्या का केस दर्ज कर लिया है। लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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गिरफ्तारी के लिए धरना

-कोर्ट से राहत नहीं मिलने पर भी पुलिस ने अभी तक जान मोहम्मद को गिरफ्तार नहीं किया है।

-इसके विरोध में बुधवार को गांव की महिलाएं मंदिर के बाहर शांतिपूर्ण धरना दे रही हैं। धरना गिरफ्तारी तक जारी रखने की बात कही गई है।

-बिसाहड़ा में एहतियातन पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। हत्याकांड की बरसी पर प्रशासन सतर्क है।

सीबीआई जांच की मांग

-गांव वालों का आरोप है कि राजनीतिक दबाव के कारण गोहत्या केस की जांच धीमी है, जबकि अखलाक हत्याकांड की जांच में पुलिस ने तेजी दिखाई थी।

-अखलाक की हत्या के मामले में आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार किया गया था, लेकिन गोहत्या के केस में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।

-ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस लोगों के सामने पूरा सच नहीं ला पाई। इसलिए वे अब भी सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

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न गिरफ्तारी, न फॉरेंसिक रिपोर्ट

-घटना के एक साल बाद भी हत्याकांड में ट्रायल शुरू नहीं हो सका है। आरोपियों पर चार्ज भी फ्रेम नहीं हुआ है।

-मामले में दो नाबालिग आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। जबकि 16 आरोपी अब भी जेल में बंद हैं।

-28 सितंबर को हुई हत्या के मामले में पुलिस ने 23 दिसंबर 2०15 को चार्जशीट दाखिल की थी।

-मथुरा लैब की रिपोर्ट के बाद ग्रामीण सूरजपाल ने जारचा कोतवाली में अखलाक, पत्नी इकरामन, मां असगरी, बेटी शाइस्ता, सोना, बेटे दानिश और भाई जान मोहम्मद के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।

-रिपोर्ट दर्ज होने के बाद घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम आई थी। टीम ने मौके से सूखे खून के धब्बों के नमूने लिए थे। लेकिन अभी तक फॉरेंसिक रिपोर्ट नहीं आई है।

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क्या कहते है पक्ष विपक्ष के लोग

-बिसाहड़ा कांड में जेल गए 18 आरोपियों में सभी की हालत लगभग एक जैसी है। मेहनत और खेती कर परिवार का पालन पोषण करने वाले लोग।

-कुछ आरोपी परिवार केस लड़ते हुए कर्ज में डूब गए हैं। सच अब भी किसी को नहीं पता। इस बीच लोग एक दूसरे पर ही आरोप मढ़ने लगे हैं।

-अखलाक की हत्या के बाद प्रदेश सरकार ने परिवार के लोगो को ग्रेटर नोएडा में 4 फ्लैट दिए थे। अखलाक के तीनों भाइयों ने फ्लैट में रहना शुरू कर दिया है। लेकिन अखलाक के फ्लैट पर ताला लगा है।

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क्या कहते हैं लोग

-ग्रामीण संजय राणा का आरोप है कि पुलिस-प्रशासन ने शुरू से ही एकतरफा कार्रवाई की। प्रदेश सरकार ने भी अखलाक के परिवार के प्रति नरमी दिखाई।

-मथुरा फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट में मांस के गोवंश होने की पुष्टि हुई थी। फिर भी, गोहत्या के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया गया।

-बचाव पक्ष के अधिवक्ता रामशरण नागर का कहना है कि फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट हो गई है। हमारा प्रयास है युवकों को जल्द से जल्द जमानत दिलाई जाए। चार्ज फ्रेम करना कोर्ट का काम है।

-अखलाक परिवार के अधिवक्ता यूसुफ सैफी का कहना है कि जेल भेजे गए सभी 18 युवक आरोपी हैं। हमारा प्रयास है कि आरोपियों को सख्त सजा मिले।

-मृतक अखलाक के भाई जान मोहम्मद का कहना है कि भाई की हत्या के जख्म अभी पूरी तरह से नहीं भरे हैं। हमारे परिवार पर जो आरोप लगे हैं, हम उसका भी सामना करेंगे। हमें कानून पर पूरा भरोसा है।

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एक नजर में बिसाहड़ा कांड

28 सितंबर : बिसाहड़ा गांव में अखलाक की पीट-पीट कर हत्या।

29 सितंबर : ऊंचा अमीरपुर में पुलिस और ग्रामीणों के बीच पथराव, फायरिंग, एनटीपीसी में हुई वार्ता।

04 अक्टूबर : प्रदेश सरकार ने अखलाक के परिजन को 45 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया।

14 अक्टूबर : अखलाक के परिवार ने बिसाहड़ा गांव छोड़ा।

09 दिसंबर : सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए ग्रामीण।

11 दिसंबर : पुलिस की जांच में 9 नाम बयान के आधार पर शामिल।

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