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माता को खुश करने को सहते हैं हर दर्द, मुंह के आर-पार करते हैं स्वांग
कानपुर- चैत्र के नवरात्र यूं तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है, लेकिन कानपुर में नवरात्रि के पर्व को लोग अपने ही अंदाज से मनाते हैं। इस पर्व में भक्तों की आस्था मां बारादेवी से इस कदर जुड़ी है कि वह अपना खून बहाने से भी गुरेज नहीं करते हैं।
41 साल से ज्वार उठाकर मन्नतें पूरी करते हैं
मां दुर्गा पर आस्था रखने वाले भक्त ज्वार में शामिल होकर स्वांग लगवाकर अपनी आस्था का अनूठा प्रदर्शन करते हैं। कानपुर में ज्वारे का इतिहास बहुत पुराना है। यह किसी को नहीं मालूम कि नवरात्रि के पर्व में ज्वारे की शुरुआत कब से हुई और किसने की, लेकिन लोगों की इस पर्व से अटूट आस्था जुडी है। 41 साल से लोग ज्वार उठाकर अपनी मन्नते पूरी कर रहे हैं।
ज्वारे की पूजा के बाद लगाई जाती है स्वांग
-ज्वारे का जुलूस निकालने से पहले पूरे विधि विधान से पूजा होती है।
-पुजारी पृथ्वीराज के मुताबिक स्वांग की पूजा के लिए पान, सुपाड़ी, लौंग और गरी से स्वांग को तपाया जाता है और उसी पर मंत्रोचारण कर हवन किया जाता जाता है।
-इसके बाद कपूर जलाकर नींबू काटा जाता है और स्वांग की पूजा की जाती है।
-इसके बाद ही भक्तों के स्वांग लगाई जाती है।
कोई साइड इफेक्ट नहीं होता
-स्वांग लगाने से पहले एक कपडे में गरी का गोला और मां दुर्गा के लिए फेटा कमर में बांधी जाती है।
-जिसका अर्थ होता है कि कोई दुश्मन ज्वारे के जुलूस के दौरान हमला न कर सके।
-इस कमर बंद फेटा से मां दुर्गा रक्षा करती हैं।
-पुजारी पृथ्वीराज ने इसका साइंटिफिक कारण भी बताया कि स्वांग गर्म करने से बैक्टीरिया मर जाते हैं।
-जिससे भक्तों को किसी प्रकार का साइड इफेक्ट न हो।
स्वांग का नुकीला हिस्सा गालों में चुभाते हैं
-स्वांग लगाने से पहले पुजारी हवन की राख निकालकर भक्तों के माथे पर लगाते हैं।
-इसके बाद स्वांग का नुकीला हिस्सा भक्त के गालो में चुभो देते हैं।
-एक मामूली से दर्द के बाद सब ठीक हो जाता है और भक्त मुस्कराते हुए माता के दरबार की ओर चल देता है।
-इसमें बच्चे, महिलाएं भी पीछे नहीं हटते हैं।
-छोटे-छोटे बच्चे पीठ, कान और पेट में सुई चुभो कर इस जुलूस की शोभा बढ़ाते हैं।
-वहीँ कुछ लोग लोहे की कील और चाकुओं से बने झूमर को अपनी पीठ पर मारते हैं और अपनी आस्था का प्रदर्शन करते हैं।
स्वांग हटाकर गालों में लगाते हैं हवन की राख
बड़ी सख्या में जब भक्तों का जुलूस माता रानी के दरबार पर पंहुचा तो वहां पर पुरोहित श्याम शंकर ने एक-एक कर सभी के मुंह से स्वांग हटाया और इसके बाद हवन की राख गाल पर लगाकर माता के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया।
क्या कहते हैं भक्त
-लोगो का कहना है कि उन्हें मां बारादेवी पर पूर्ण आस्था है।
-स्वांग लगवाकर शरीर को कष्ट देकर माता के दरबार पहुंचेंगे, तो मां हमारी मुरादे जरूर पूरी करेंगी।
-एक छोटी बच्ची स्वारी के मुताबिक पूरे दिन उपवास रहने के बाद उसने यह स्वांग लगवाया है।
-वह कहती है कि मुझे जरा भी डर नही लग रहा है और दर्द का अहसास तक नहीं है।
-यह सब माता रानी की कृपा है।
-रजनी का कहना है कि मैं पिछले 7 सालों से स्वांग लगवाकर इस जुलूस का हिस्सा बन रही हूं।
-उन्होंने बताया कि इससे पहले मेरे पति की तबियत ठीक नही रहती थी, जिस वजह से मेरा पूरा परिवार बिखर गया था।
-जब से मां बारादेवी के दरबार पर उपवास कर स्वांग लगवाकर जाने का सिलसिला शुरु किया है तब से पति की तबियत ठीक हो गई है और पूरा परिवार संगठित हो गया है।