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MLC Election: यूपी में 1990 के बाद पहली बार होगा ऐसा, जब दोनों सदनों में किसी सरकार का होगा बहुमत
12 अप्रैल को यूपी में भाजपा बड़ी उपलब्धि दर्ज करने जा रही है। 1990 के बाद पहली बार बीजेपी विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी बहुमत हासिल कर सकती है।
Lucknow: उत्तर प्रदेश में दूसरी बार सत्ता हासिल कर इतिहास रचने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नाम एक और रिकॉर्ड बनने जा रहा है। 12 अप्रैल को यूपी में भाजपा बड़ी उपलब्धि दर्ज करने जा रही है। पहली बार बीजेपी विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी बहुमत हासिल कर सकती है। ऐसे इसलिए क्योंकि यूपी विधानसभा परिषद (UP Legislative Council) के लिए कल मतदान होगा। 36 सीटों में से 9 पर भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। बची 27 सीटों पर कल वोटिंग होगी और 12 अप्रैल को इसके नतीजे आएंगे। अभी तक यह देखने को मिला है कि जिसकी सत्ता रहती है विधान परिषद में उसकी ही जीत होती है। क्योंकि ये सत्ता का चुनाव होता है और निर्वाचित प्रतिनिधि इसमें मतदान करते हैं।
अगर 12 अप्रैल को भाजपा 80 फीसदी सीटें जीत जाती है तो उसका विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी बहुमत हो जाएगा। पूर्व सरकारों की बात करें तो पूर्व सीएम स्वर्गीय कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और रामप्रकाश गुप्त की सरकार में दोनों सदनों में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। 2017 के बाद 2022 में भी बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल की है। अब विधान परिषद में भी उसके बहुमत के पूरे आसार दिखाई देते हैं।
यूपी में है 100 सीटें
उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की सीटों की बात करें तो कुल 100 एमएलसी की सीटें हैं। विधान परिषद (UP Legislative Council) में बीजेपी के पास वर्तमान में 33 एमएलसी हैं। कल (9 अप्रैल) को होने वाले चुनाव से पहले 36 सीटों में से 9 पर उनके प्रत्याशी निर्विरोध चुने जा चुके हैं। 27 एमएलसी की सीटों पर मतदान होना है। इनमें से ऐसी कई सीट हैं जहां बीजेपी के उम्मीदवारों की जीत लगभग तय मानी जा रही है। इस वक्त यूपी विधान परिषद में भाजपा के 33, सपा के 17, बसपा के 4, कांग्रेस, अपना दल एस और निषाद पार्टी का 1-1 एमएलसी हैं। हालांकि कांग्रेस के एक मात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल जुलाई 2022 में खत्म हो रहा है। इसके बाद विधान परिषद में कांग्रेस शून्य हो जाएगी जबकि बसपा के एक मात्र एमएलसी रहेंगे।
2016 में सपा ने जीती थी 31 सीटें
स्थानीय निकाय चुनाव में आमतौन पर सत्ता पक्ष का ही बोलबाला रहता है। 2004 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे उस वक्त एमएलसी के चुनाव में सपा 36 में से 24 सीटों पर सफलता हासिल की थी। इसके बाद 2010 में यूपी में मायावती के शासनकाल में हुए चुनाव में बसपा (BJP) ने 36 में से 34 सीटों पर कब्जा किया था। 2016 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में स्थानीय निकाय के चुनाव में सपा के 36 में से 31 प्रत्याशी जीते थे। इसमें से आठ उम्मीदवार निर्विरोध भी जीते थे। इन आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि इस बार भाजपा का विधान परिषद में बहुमत होना तय हैं हालांकि आखिरी फैसला 12 अप्रैल को हो जाएगा।
1990 के बाद पहली बार होगा ऐसा
12 अप्रैल को नतीजे घोषित होने के बाद अगर भाजपा के ज्यादा प्रत्याशी जीतते हैं तो 1990 के बाद पहली बार ऐसा होगा जब किसी सरकार ने दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत हासिल किया हो। विधानसभा के साथ विधान परिषद में अगर बीजेपी का पूर्ण बहुमत हो गया तो उसके लिए बिल पास कराना आसान हो जाएगा। जैसे अभी केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के पास है। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पास भी लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत है।
मनोनयन कोटे की 6 सीट हो रही खाली
यूपी में विधान परिषद की अप्रैल-मई में 6 और सीटें रिक्त हो रही हैं, ये मनोनयन कोटे की हैं। इन सीट के लिए सरकार की संस्तुति पर राजभवन एमएलसी का मनोनयन करता है। ऐसे में भाजपा के संख्या बल में ही इजाफा होगा।
100 सीटों पर पूरा आंकड़ा
यूपी में विधान परिषद की कुल 100 सीटों की बात करें तो इनमें 38 सीटों पर सिर्फ विधानसभा के सदस्य मतदान करते हैं। 36 सीटें स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों से चुनी जाती हैं। 8 सीटें शिक्षक निर्वाचन कोटे से चुनी जाती हैं। 8 सीटों पर रजिस्टर्ड ग्रेजुएट मतदाता अपने प्रतिनिधि चुनते हैं। जिन्हें शिक्षक एमएलसी कहा जाता है। 10 सीटों पर राज्य सरकार की संस्कृति पर राज्यपाल मनोनयन करते हैं।
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