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राज्यसभा चुनाव से BJP ने साधा बड़ा समीकरण, UP में कांग्रेस को अब अपने गढ़ में ही बड़ा खतरा
UP Rajya Sabha Election: सपा विधायकों की टूट से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले दो लोकसभा क्षेत्रों अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है।
UP Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर हुए चुनाव में आठ सीटों पर भाजपा की जीत से बड़ा सियासी संदेश निकला है। सपा अपने सिर्फ दो उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब हो सकी जबकि पार्टी के तीसरे उम्मीदवार पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ की जीत में सपा के सात विधायकों की क्रॉस वोटिंग की सबसे बड़ी भूमिका रही जबकि पार्टी की एक विधायक गैर हाजिर रहीं। सपा के तीसरे प्रत्याशी की हार से पार्टी को करारा झटका लगा है और इसका बड़ा सियासी असर पड़ने वाला है।
राज्यसभा चुनाव के दौरान टूट भले ही सपा विधायकों में हुई हो मगर इसका बड़ा असर कांग्रेस पर भी पड़ने वाला है। दरअसल सपा विधायकों की टूट से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले दो लोकसभा क्षेत्रों अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। दोनों क्षेत्रों में भाजपा अब पहले से काफी मजबूत दिखने लगी है। अमेठी में पार्टी ने पिछले चुनाव में ही कांग्रेस को करारा झटका दिया था और अब सोनिया गांधी के रायबरेली से चुनाव न लड़ने के फैसले के बाद रायबरेली में भी कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किलें पैदा होने वाली हैं।
रायबरेली-अमेठी में दबदबा रखने वालों ने किया खेल
राज्यसभा चुनाव के दौरान पालाबदल का खेल करने वाले सपा विधायकों में रायबरेली की ऊंचाहार सीट के विधायक मनोज पांडेय भी शामिल हैं। उन्होंने सपा के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देने के बाद भाजपा के पक्ष में मतदान किया। मनोज पांडेय के अलावा रायबरेली और अमेठी में दबदबा रखने वाले तीन और सपा विधायकों ने भी भाजपा के पक्ष में मतदान किया।
अब इस पाला बदल के खेल का लोकसभा चुनाव पर बड़ा असर पड़ना तय माना जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था मगर सोनिया गांधी ने रायबरेली का दुर्ग बचा लिया था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ इसी एकमात्र सीट पर जीत हासिल हुई थी मगर अब अमेठी के साथ ही कांग्रेस का यह दुर्ग भी खतरे में आ गया है।
मनोज पांडेय के पाला बदल का बड़ा असर पड़ना तय
मनोज पांडेय के पहले बदलने के बाद उन्हें रायबरेली लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस को चुनौती देने के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से उन्हें रायबरेली के सियासी अखाड़े में उतारा जा सकता है। पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी को चुनौती देने वाले भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह ने भी कहा है कि पार्टी की ओर से जिसे भी उतारा जाएगा,उसे हम भरपूर समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि अगर मनोज पांडेय को पार्टी की ओर से उतारा गया तो मैं भाजपा की इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोडूंगा। माना जा रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से टिकट का ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही मनोज पांडेय ने पाला बदल किया है।
रायबरेली में कैसे कमजोर हुई कांग्रेस
यदि विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से देखा जाए तो भी रायबरेली में कांग्रेस की स्थिति कमजोर नजर आती है। 2017 के विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने रायबरेली सदर और हरचंदपुर सीट पर जीत हासिल की थी। रायबरेली सदर से अदिति सिंह को जीत मिली थी जबकि हरचंदपुर से राकेश सिंह ने चुनाव जीता था। बाद में दोनों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। भाजपा की ओर से 2022 के विधानसभा चुनाव में इन दोनों को लड़ाया गया था और दोनों ने भाजपा के टिकट पर कामयाबी हासिल की थी।
अब सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया है। पिछले दिनों उन्होंने इस संबंध में रायबरेली के मतदाताओं के नाम भावुक चिट्ठी भी लिखी थी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनावी जंग में उतारा जा सकता है मगर प्रियंका गांधी के लिए भी रायबरेली की चुनावी जंग आसान साबित नहीं होगी। भाजपा ने उनकी तगड़ी घेरेबंदी का मुकम्मल इंतजाम कर लिया है।
अमेठी में भी कांग्रेस को लगेगा बड़ा झटका
रायबरेली के अलावा अमेठी लोकसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस को करारा झटका लगा है। अमेठी की गौरीगंज विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले राकेश प्रताप सिंह ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करते हुए भाजपा को समर्थन दिया है। जिन दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य हिंदू धर्म और धार्मिक ग्रंथों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे थे,उन दोनों भी राकेश सिंह ने मुखर विरोध जताया था। अब वे खुलकर भाजपा के पक्ष में आ गए हैं।
राकेश सिंह के अलावा अमेठी विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाली महाराजी देवी ने राज्यसभा चुनाव में हिस्सा ही नहीं लिया। पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी देवी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव की ओर से आयोजित डिनर में भी हिस्सा नहीं लिया था। इससे साफ हो गया है कि उन्होंने भी अब सपा से दूरी बना ली है।
अमेठी में लगातार सक्रिय हैं स्मृति ईरानी
अमेठी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है मगर 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करीब 55 हजार वोटों से हराकर सनसनी फैला दी थी। चुनावी जीत हासिल करने के बाद स्मृति ईरानी लगातार अमेठी में सक्रिय रही हैं जबकि वायनाड से चुनावी जीत हासिल करने वाले राहुल गांधी लगातार क्षेत्र से कटे रहे हैं।
स्मृति ईरानी ने हाल में अमेठी में अपने नए घर का गृह प्रवेश भी किया था और इस कार्यक्रम में भी सपा विधायक महाराजी देवी को देखा गया था। इस तरह अब अमेठी में भी कांग्रेस की चुनावी राह काफी मुश्किल मानी जा रही है।
राज्यसभा चुनाव से निकला बड़ा संदेश
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है। इस गठबंधन में कांग्रेस को 17 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा जबकि 63 की सीटें सपा के खाते में गई हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को जिन 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का मौका मिलेगा, उनमें रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटें भी शामिल हैं।
इन दोनों सीटों को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है मगर अब इन दोनों लोकसभा क्षेत्र में सियासी हालात काफी बदल चुके हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि राज्यसभा चुनाव के जरिए भाजपा बड़ा सियासी समीकरण साधने में कामयाब हुई है और इसका असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है। इस चुनाव से बड़ा संदेश यह निकला है कि भाजपा ने जहां इन दोनों चुनाव क्षेत्रों में अपनी सियासी स्थिति मजबूत बना ली है,वहीं कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है।