×

बसपा की आय बीते दो साल में २६६ फीसदी बढ़ी, यानी आमदनी में बसपा टॉप पर

Newstrack
Published on: 9 Feb 2018 1:52 PM IST
बसपा की आय बीते दो साल में २६६ फीसदी बढ़ी, यानी आमदनी में बसपा टॉप पर
X

रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी व भारतीय नेशनल कांग्रेस अपने फंड की ऑडिट रिपोर्ट नियत समय सीमा में चुनाव आयोग को देने में असफल रही हैं। यह बात नेशनल इलेक्शन वाच की ताजा रिपोर्ट में सामने आयी है। रिपोर्ट के अनुसार दोनों राष्ट्रीय पार्टियां न सिर्फ इस वर्ष बल्कि पिछले तीन सालों में भी समय सीमा के भीतर ऑडिट रिपोर्ट नहीं दे सकी हैं। बहरहाल जिन दलों ने हिसाब-किताब दिया है उसमें बसपा की आय बीते दो साल में २६६ फीसदी बढ़ गई। यानी आमदनी में बसपा टॉप पर है।

. दलों के लिए अपने खातों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर 2017 थी

. बसपा, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट समय से दाखिल कर दी जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने नियत तिथि के 22 दिन बाद अपनी रिपोर्ट दी।

. भाजपा और कांग्रेस ने नियत तिथि के बाद तीन माह बीत जाने के बाद भी 7 फरवरी तक अपनी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल नहीं की है।

. भाजपा और कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग द्वारा दी गई समय सीमा में अपनी ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने में असफल रहती आ रही हैं।

2016-17 में राजनीतिक दलों का हिसाब-किताब

. बसपा ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान अपनी कुल आय 173.58 करोड़ घोषित की लेकिन खर्च कुल आय का केवल 30 फीसदी किया

. अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने वर्ष 2016-17 के दौरान अपनी कुल आय 6.39 करोड़ घोषित की लेकिन खर्च कुल आय से 280 फीसदी अधिक 17.87 करोड़ किया

. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2016-17 के दौरान अपनी कुल आय 7.733 करोड़ घोषित की लेकिन खर्च कुल आय से 200 फीसदी से अधिक 17.235 करोड़ किया

2016-17 के वित्तीय वर्ष में राजनीतिक दलों की कुल आय

= सात राजनीतिक दलों में से पांच (बसपा, एनसीपी, सीपीएम, सीपीआई और एआईटीसी) ने पूरे देश में जुटाई गई अपनी कुल आय 299.54 करोड़ बतायी है।

= 2016-17 के वित्तीय वर्ष में बसपा ने अपनी आय सबसे अधिक 173.58 करोड़ बतायी है जो कि सभी राष्ट्रीय पार्टियों की कुल रकम से 57.95 फीसदी अधिक है।

2015-16 व 2016-17 में राजनीतिक दलों की तुलनात्मक आय

. 2015-16 में भाजपा की आय सभी राष्ट्रीय दलों से अधिक 570.86 करोड़ रही लेकिन पार्टी ने अपने इनकम टैक्स रिटर्न की की कापी चुनाव आयोग को वित्तीय वर्ष 2016-17 में दी

. 2015-16 व 2016-17 में बसपा की आय में 266.32 प्रतिशत 126.195 करोड़ की वृद्धि हुई। उसकी आय 2015-16 के दौरान 47.385 थी जो 2016-17 में बढक़र 173.58 करोड़ हो गई।

. इसी तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की आय इन दो वित्तीय वर्षों के मध्य में 88.63 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2015-16 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की आय 9.137 करोड़ थी जो 2016-17 में बढक़र 17.235 करोड़ हो गई।

2016-17 में दलों के आय के स्रोत

. राष्ट्रीय दलों ने अपनी आय के तीन प्रमुख स्रोतों में दान-सहयोग को अपना प्रमुख स्रोत माना है। जिसमें बसपा को 75.26 करोड़, सीपीएम को 36.727 करोड़, एनसीपी 6.62 करोड़ व एआईटीसी 2.17 करोड़

. 2016-17 के वित्तीय वर्ष के दौरान पांच प्रमुख राष्ट्रीय दलों की कुल आय का 40.30 यानी 120.71 करोड़ रुपए ग्रांट-डोनेशन-सहयोग से एकत्र होना बताया है।

क्या हैं एडीआर की सिफारिशें

. 2017 के वित्त विधेयक के अनुसार, आईटी एक्ट का सेक्शन 13ए में राजनीतिक दलों को कर से छूट का प्रावधान है। जबकि सेक्शन 139 की उपधारा चार बी में प्रावधान है कि जो पंजीकृत राजनीतिक पार्टियां इस सेक्शन के तहत निर्धारित तिथि तक या उससे पहले अपने पिछले वर्ष का इनकम रिटर्न दे देंगी वह कर छूट की हकदार होंगी। अत: जो राजनीतिक पार्टियां जिन्होंने अपना इनकम टैक्स रिटर्न तय तिथि पर या उससे पहले दाखिल नहीं किया है उनकी आय को कर छूट नहीं दी जानी चाहिए और ऐसी पार्टियों की मान्यता समाप्त की जानी चाहिए।

. दानदाता का पूरा विवरण सूचना के अधिकार के तहत जनता के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए। कई देशों जिसमें भूटान, नेपाल, जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्राजील, बुल्गारिया, अमेरिका और जापान शामिल हैं में इसे लागू किया जा चुका है। इनमें से किसी भी देश में 75 फीसदी फंड अज्ञात नहीं होता है।

. 13 सितंबर 2013 को उच्चतम न्यायालय ने एक निर्णय दिया था कि किसी भी प्रत्याशी के शपथपत्र का कोई हिस्सा खाली नहीं छोड़ा जाएगा। इसी आधार पर एडीआर सिफारिश करता है कि चुनाव आयोग नियम लागू करे कि राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल किये जाने वाले फार्म 24ए बीस हजार से अधिक दान देने वालों के ब्योरे का कालम खाली नहीं

छोड़ा जाएगा।

. जो राजनीतिक दल आईसीएआई की गाइडलाइन का पालन नहीं कर रही हैं उनकी ऑडिट रिपोर्ट की जांच इनकम टैक्स विभाग द्वारा की जाए। . राजनीतिक दलों को सारी सूचना सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध कराने को कहा जाए। इससे राजनीतिक पार्टियां, चुनाव और लोकतंत्र मजबूत होगा।

Newstrack

Newstrack

Next Story