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अयोध्या विवाद: सुब्रमण्यम स्वामी के बयान पर फिर तूफान
लखनऊ: सुब्रमण्यम स्वामी जब भी कुछ बोलते हैं, बड़ा ही बोलते हैं। उनका यही बड़ा बोलना किसी न किसी विवाद को जन्म दे देता है। स्वामी ने फिर बोल दिया है। अयोध्या जैसे अतिसंवेदनशील मुद्दे पर स्वामी के ये बोल कल से ही चर्चा में हैं। स्वामी ने दावा किया है, कि इसी वर्ष अक्टूबर में श्रीराम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा।
स्वामी ने ऐसे समय यह बात कही है जब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई शुरू हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में बतौर मुख्य वक्ता डॉ. स्वामी ने कहा, कि 'भगवान राम हमारे राष्ट्र की अवधारणा का प्रतीक हैं। अक्टूबर तक राम मंदिर बनना शुरू हो जाएगा। यह बात किसी भावना में बहकर नहीं, बल्कि तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर बोल रहा हूं।' वह यहां अरुंधती वशिष्ठ अनुसंधान पीठ द्वारा आयोजित भारतीय एवं पाश्चात्य राष्ट्र दृष्टि सेमिनार को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमारे द्वारा रखे गए साक्ष्य और गवाहों का दोबारा से अवलोकन किया जाना है, उसके लिए बहस की जरूरत नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि हमारा कहना है कि अक्टूबर तक राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो जाएगा। यह धर्म का विवाद नहीं, बल्कि भूमि विवाद है। उसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में निर्णय देगा।
उल्लेखनीय है, कि पिछली सुनाई में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था, कि इसे भूमि विवाद के तौर पर ही देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भावनात्मक और राजनीतिक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। यह केवल कानूनी मामला है। 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखने की दलील दी गई थी। कोर्ट में 87 सबूतों को जमा किया गया है। इसमें रामायण और गीता भी शामिल है। कोर्ट ने कहा, कि 'इनके अंशों का अनुवाद किया जाए। यह भी स्पष्ट किया कि राम मंदिर पक्ष से अब कोई नया पक्ष नहीं जुड़ेगा। जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनका नाम हटाया जा रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने स्पष्ट किया कि सभी के लिए ये जमीन के मालिकाना हक का मामला है, लिहाजा कोई भी भावनात्मक टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।'
करीब 45 मिनट तक चली सुनवाई में अदालत ने पूछा भी था, कि किस पक्षकार की ओर से कौन से दस्तावेज जमा किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा, कि अब इस मामले में अन्य किसी पक्षकार को नहीं जोड़ा जाएगा। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि पहले इस मामले की प्रमुख याचिका पर पूरी सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने कहा, कि पहले मुख्य याचिकाकर्ता की सुनवाई होगी, उसके बाद अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की जाएगी। इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से एज़ाज मकबूल ने कोर्ट में कहा कि अभी दस्तावेज़ का अनुवाद पूरा नहीं हुआ है, जिन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाना है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि अभी 10 किताबें और दो वीडियो कोर्ट के सामने पेश किए जाने हैं। 42 हिस्सों में अनुवादित दस्तावेज कोर्ट में जमा किए जा चुके हैं। कोर्ट केस से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के अनुवाद किए गए 9,000 पन्नों को देखेगा। इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेजों को अनुवाद कराने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।