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यूपी सरकार के एक दर्जन से अधिक मंत्री लोकसभा चुनाव में नहीं बचा सके पार्टी की लाज!
Lok Sabha Election Result: प्रदेश सरकार में एक दर्जन से अधिक ऐसे मंत्री हैं जो सरकार में बड़े पदों पर होने के बावजूद अपनी विधानसभा में पार्टी की लाज नहीं बचा पाए।
Loksabha Result 2024: उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव के निराशाजनक नतीजों ने राज्य के कई मंत्रियों की चुनावी जमीन खिसका दी है साथ ही इस बात का एहसास करा दिया है कि आने वाले समय में यदि अपनी कुर्सी बचानी है तो क्षेत्र में जमकर मेहनत करनी होगी वरना जनता उन्हें भी सत्ता से बाहर कर देगी। प्रदेश सरकार में एक दर्जन से अधिक ऐसे मंत्री हैं जो सरकार में बड़े पदों पर होने के बावजूद अपनी विधानसभा में पार्टी की लाज नहीं बचा पाए।
कैबिनेट से लेकर राज्य मंत्री तक हारे हैं अपनी विधानसभाएं
ऐसे मंत्री जो प्रदेश भर में अपना बड़ा वोटबैंक होने का दावा करते नहीं थकते थे वह भी इस चुनाव में विधानसभा स्तर पर पार्टी को जीत नहीं दिला पाए। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही पथरदेवा सीट से आते हैं यहाँ भारतीय जनता पार्टी बुरी तरह हार गई। भोगनीपुर विधानसभा से आने वाले राकेश सचान भी अपनी विधानसभा नहीं जीत पाए। जयवीर सिंह की मैनपुरी, ओमप्रकाश राजभर की जहूराबाद, असीम अरुण की कन्नौज, मयंकेश्वर शरण की तिलोई, सुरेश राही की हरगांव, सोमेंद्र तोमर की मेरठ दाक्षिण, अनूप वाल्मीकि की खैर, सतीश शर्मा की दरियाबाद और विजयलक्ष्मी गौतम की सलेमपुर विधानसभा से भी भाजपा हार गई। भले ही राजयमंत्री अनूप वाल्मीकि हाथरस लोकसभा सीट बड़े अंतराल से जीते हों लेकिन खैर विधानसभा सीट पर जनता ने उन्हें हार का स्वाद चखा दिया।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के गृह क्षेत्र में हारी भाजपा
कौशाम्बी जनपद जो प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का गृह क्षेत्र है यहाँ से भाजपा बुरी तरह समाजवादी पार्टी से हार गई। डिप्टी सीएम की सिराथू विधानसभा सीट से भाजपा इस बार काफी पीछे रही। वहीं जल शक्ति मंत्री और चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के जालौन में तो भाजपा को 50 हजार से अधिक वोटों से सपा ने हरा दिया। इसके अलावा ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के गृह क्षेत्र मऊ में भी भाजपा हार गई। जबकि परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की बलिया सदर सीट में भले ही पार्टी ने बढ़त हासिल की हो लेकिन यहाँ भी भाजपा समाजवादी पार्टी के वोट दोगुने होने से रोक नहीं पाई। ऐसे में उनके गृह क्षेत्र में भी पार्टी की पकड़ ढीली ही पड़ी है। वहीं, घोसी के साथ ही प्रदेश भर में नोनिया चौहान वोटों को साधने के लिए मंत्री बनाए गए दारा सिंह चौहान भी घोसी में पार्टी की हार रोक नहीं पाए।