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इलाहाबाद: नंदी की तरकीब और BJP की प्रचंड जीत, अभिलाषा फिर बनी महिला मेयर
भारी भितरघात और परंपरागत वोटों के छितराने के बावजूद इलाहाबाद में मेयर पद पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कैंडिडेट अभिलाषा गुप्ता ने अपनी प्रचंड जीत दर्ज करा दी है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार विनोद चंद्र दुबे को 63,284 वोटों से हरा दिया।
अमृता त्रिपाठी
इलाहाबाद: भारी भितरघात और परंपरागत वोटों के छितराने के बावजूद इलाहाबाद में मेयर पद पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कैंडिडेट अभिलाषा गुप्ता ने अपनी प्रचंड जीत दर्ज करा दी है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार विनोद चंद्र दुबे को 63,284 वोटों से हरा दिया।
अभिलाषा ने न केवल दोबारा मेयर होने का, वरन लगातार दोबारा महिला मेयर होने का रिकार्ड भी अपने नाम दर्ज करा लिया। कोई कुछ भी कहे, पार्टी कुछ भी दावा करे लेकिन यह नंदी की अपनी तरकीब और निजी सिस्टम की जीत है। वह अपने कार्यकर्ताओं के बीच हमेशा कहते रहे हैं कि अबकी बार मेयर जिता दीजिए, 2027 में मैं उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर दिखा दूंगा।
चुनाव परिणाम में तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार विजय मिश्र रहे जो बीजेपी से बगावत कर कांगेस में गए थे। अभिलाषा गुप्ता को 1,31, 1297 वोट मिले जबकि विनोद चंद्र दुबे को 67,913 वोट मिले। कांग्रेस के विजय मिश्र को 64,579 वोट हासिल हुए।
चौथे नंबर पर रहे बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार रमेश केसरवानी जिन्हें 24,969 वोट ही मिल पाए। आम आदमी पार्टी की तो और दुर्गति हुई। वह निर्दल उम्मीदवार फूलचंद्र दुबे से भी पीछे हो गए। फूलचंद्र दुबे को 10,086 वोट और आप उम्मीदवार सलिल श्रीवास्तव को 4695 वोटों में ही संतोष करना पड़ा। 1544 वोटरों ने नोटा पर बटन दबाया।
जीत का श्रेय पार्टी और कार्यकर्ताओं को देना तो एक परंपरा है लेकिन असल मायने में यह जीत उत्तर प्रदेश सरकार के स्टांप पंजीयन अौर नागरिक उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की निजी रणनीति की है। पार्टी के एक सांसद ने परिवारवाद के मसले पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार का चटखारे लेते हुए विरोध किया था। सार्वजनिक मंच पर उनका भाषण तक तंज भरा था। इतना ही नहीं पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेताओं तक ने भितरघात करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। नंदी को इन सारी बातों को अंदाजा था, इसीलिए उन्होंने अपने हिसाब से चुनाव की रणनीति बनाई लेकिन पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह अहसास भी नहीं होने दिया। जानकार बताते हैं कि कोई माने न माने, दो मंत्री भी उनसे नाराज थे और अपने तरीकों से उन्होंने भी भितरघात करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इन नाराजगियों को भांपते हुए नंदी का समानान्तर सिस्टम अपने तरीके से काम करता रहा।
जानकारों का मानना है कि परंपरागत वोटों में भितरघात का अंदाजा लगने पर नंदी और उनके निजी सिस्टम ने सपा उम्मीदवार विनोद चंद्र दुबे के मुकाबले कांग्रेस उम्मीदवार विजय मिश्र का चुनाव खुद चढ़ाया। मुस्लिमों के बीच इस बात का हल्ला मचवाया कि विजय मिश्र को ब्राह्मणों और जायसवालों के सारे वोट मिल रहे हैं। वही जीतेंगे। ऐसे में मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया। विनोद चंद्र दुबे के वोट इसी अफवाह के नाते लगातार घटते गए। विजय मिश्र की हैसियत इतने वोट पाने की मानी ही नहीं जा रही है क्योंकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में इतना दम नहीं था कि वह अपने उम्मीदवार को इतने वोट दिला पाते।
किसको कितने वोट मिले
अभिलाषा गुप्ता, बीजेपी: 1,31297 वोट
विनोद चंद दुबे, सपा: 67,913 वोट
विजय मिश्र, कांग्रेस: 64,579
रमेश केसरवानी, बीएसपी: 24,969
सलिल श्रीवास्तव, आप: 4695
फूल चंद दुबे, निर्दलीय: 10,086
नोटा: 1544