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भाजपा का मिशन यूपी, कई मंत्रियों की हो सकती है छुट्टी
अंशुमान तिवारी/आरबी त्रिपाठी
लखनऊ: सपा-बसपा गठबंधन अपनी सक्रियता तेज करे इससे पहले भारतीय जनता पार्टी उनकी धार कुंद कर देना चाहती है। इसलिए उसने लोकसभा चुनाव से नौ महीने पहले ही मिशन यूपी की शुरुआत कर दी है। इसके लिए भाजपा के चाणक्य और अमित शाह ने जहां विस्तासकों में उत्साह की हवा भरी वहीं तकरीबन 35-35 लोगों के साथ बनारस व आगरा में बैठकर रणनीतिक चर्चा की जिसमें उन्होंने राजनीतिक चुनौतियों, गठबंधन को लेकर पैदा होने वाली समस्याओं, गठबंधन से मतदाताओं के बदल रहे मनोविज्ञान तथा पार्टी कार्यकर्ताओं के असंतोष को लेकर गंभीर चिंतन मनन किया। मिर्जापुर में उन्होंने विस्तारकों से बात की मगर गंभीर रणनीतिक चिंतन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में रात आठ बजे से बारह बजे तक किया।
आगरा में उन्होंने पार्टी की सिर फुटौव्वल खत्म करने के निर्देश दिए। अमित शाह के मिशन यूपी का सीधा सा मकसद संगठन व सरकार के बीच रिश्तों को मजबूत करना था। माइक्रो मैनेजमेंट के जरिये 51 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य उन्होंने सबके सामने रखा। उनकी इस यात्रा के बाद कभी उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में फेरबदल की उम्मीद की जा सकती है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर तैनात महेन्द्र नाथ पांडेय की जगह पिछड़ा वर्ग से किसी को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। भारी शिकायत वाले मंत्रियों में कई की छुट्टी भी हो सकती है। इनमें सिंचाई मंत्री धर्मपाल, दारा सिंह चौहान, अनुपमा जायसवाल, स्वाति सिंह, मुकुट बिहारी वर्मा, रमापति शास्त्री और सत्यदेव पचौरी के नाम हैं।
कुंभ के जरिये लोगों को जोडऩे की योजना
मिशन यूपी में भाजपा संग संघ भी होगा। संघ की पूरी नजर उत्तर प्रदेश पर केंद्रित है क्योंकि भाजपा व संघ दोनों जानते हैं कि 73 सीटों की भरपाई किसी भी इलाके से नहीं हो सकती है। इसीलिए हाल में निरालानगर सरस्वती शिशु मंदिर में संघ के 36 लोगों ने सरकार के कामकाज व अगले लोकसभा चुनाव पर गंभीर मंत्रणा की। उनमें से नौ लोगों ने बाद में सीएम आवास जाकर योगी से भी गुफ्तगू की। सूत्रों की मानें तो कुंभ के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी अपने चुनाव प्रचार को शबाब पर ले जाने की तैयारी कर रही है क्योंकि कुंभ में इतनी ज्यादा संख्या में लोग होंगे कि उस दौरान बहुत कम खर्च पर केन्द्र व राज्य सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। कुंभ की तैयारी खुद सीएम देख रहे हैं। अब तक तय नुस्खे के मुताबिक इस बार गंगा में पानी की कमी बिल्कुल नहीं रहेगी। सरकार की कोशिश इस कुंभ इस तरह बनाने की है कि लोग सरकार की वाह-वाह करते हुए जाएं।
कार्यकर्ताओं को और सक्रिय करेगी भाजपा
मिशन उत्तर प्रदेश में इस बात पर खुशी जताई गयी कि दूसरे दलों में मोदी का कोई विकल्प नहीं है। विस्तारकों को यह निर्देश दिए गए हैं कि जिस भी परिवार को केन्द्र व राज्य सरकार की किसी भी योजना का फायदा पहुंचा है उस पर सीधी नजर रखें। विस्तारकों को 22 बिन्दु लोगों से संपर्क करने के संबंध में दिए गए हैं। सोशल मीडिया पर काम कर रहे लोगों को 25 से 50 लाख और लोगों को जोडऩे को कहा गया है। बूथ मैनेजमेंट के काम में संघ भी लगेगा। तय कार्यक्रम के मुताबिक संघ अपने कार्यकर्ताओं और उनके परिजनों के लिए सरकार के काम का पत्रक तैयार करेगा। अगस्त से जनवरी तक हर विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम का खाका अमित शाह ने नेताओं को सौंपा जिसमें मोटरसाइकिल रैली, जनसम्पर्क और केन्द्र की योजनाओं में बिचौलियों को दूर रखने पर नजर रखने को कहा है। जनवरी तक भाजपा लगातार हर महीने कार्यक्रम करेगी ताकि सक्रियता बरकरार रखी जा सके।
शाह के निशाने पर सपा-बसपा
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लोगों को भरोसा है कि वह आपस में मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिलिस्म भेद लेंगे। दोनो पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां बना रही हैं। जातीय आधार वाली इन दोनों पार्टियों को भरोसा है कि वह अपने-अपने वोट बैंक को गोलबंद कर भाजपा को पटखनी देने में समर्थ हैं और भाजपा की असल चुनौती भी यही है। इसीलिए चुनावी नजरिए से मिर्जापुर, बनारस और आगरा के दौरे पर पहुंचे अमित शाह ने पार्टी के विस्तारकों और सोशल मीडिया वालेंटियर्स की बैठकों में सपा-बसपा के 45 प्रतिशत वोटों के मुकाबले 51 प्रतिशत वोट जुटाने पर जोर दिया। शाह ने इसीलिए कांग्रेस को लेकर ज्यादा माथापच्ची नहीं की, लेकिन सपा-बसपा को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानते हुए कार्यकर्ताओं से साफ तौर कहा कि आपको 51 प्रतिशत वोट जुटाने हैं। माइक्रो मैनेजमेंट से मतदान प्रतिशत बढ़ाकर ही इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
राहुल गांधी की जवाबी तैयारी
इस बीच देश की सबसे पुरानी लेकिन दूसरे नंबर की बड़ी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के दौरे पर आए। यूं तो राहुल गांधी ने अपने क्षेत्रीय कार्यक्रम निपटाए, लेकिन गौशाला जाकर गायों का हाल जानने के साथ ही मदरसे में लंच भी लिया।
इस अभियान के जरिए उन्होंने पार्टी का वही पुराना चेहरा दिखाने की कोशिश की है। हालांकि एक कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना था कि गौशाला में जाना प्रकारान्तर से भाजपा नेताओं की नकल जैसा है, जो पार्टी कभी नहीं करती रही है। अपने दो दिवसीय दौरे में राहुल गांधी ने भी चुनावी नजरिए से लोगों का मन टटोलने की कोशिश की है मगर जो हालात हैं, उनमें उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अब भी मुख्यधारा में नहीं दिख रही। इस पार्टी का नेतृत्व और कार्यकर्ता इसके लिए कोई जुगत करते भी नहीं दिख रहे।
नहीं दिख रही सपा-बसपा की सक्रियता
सपा-बसपा के नेता और कार्यकर्ता केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार की कई नाकामियां और भाजपा के चुनावी वायदों को मोहरा बनाकर अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं, लेकिन इन दोनों को अपने बलबूते भाजपा से लडक़र जीत पाने का भरोसा नहीं है। एक सपा नेता की मानें तो दोनों पार्टियां गठबंधन पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं। दोनों का मानना है कि अगर मिलकर लड़ेंगे तभी भाजपा को हराया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी जिस तरीके से चुनावी सक्रियता दिखा रही है, उसके मुकाबले सपा-बसपा की सक्रियता जमीनी तौर पर नहीं दिख रही है। हालांकि बसपा के कुछ नेता यह भी आशंका जताने से नहीं चूक रहे हैं कि बहनजी शायद ही सपा से गठबंधन करें। गठबंधन की ज्यादा व्याकुलता भी सपा की ओर से ही दिख रही है।